बारिश ने बढ़ाया डेंगू का खतरा और बढ़ने लगे मरीज, एक्सपर्ट ने बताया कि डेंगू के पीक सीजन में कैसे करें बचाव

दिल्ली में जाते-जाते हुए मॉनसून सीजन की बारिश हो रही है। पिछले कुछ दिनों से रुक-रुक कर हो रही बारिश ने अचानक मौसम बदल दिया है और इसकी वजह से वायरल, मौसमी बीमारियां और डेंगू के केस बढ़ रहे हैं। ऐसे भी दिल्ली में यह सीजन डेंगू का पीक सीजन रहता है।

IANS-PIC
डेंगू के केस बढ़े

विशेष संवाददाता, नई दिल्लीः दिल्ली में 15 सितंबर से 15 अक्टूबर के बीच डेंगू का पीक रहता है। अभी दिल्ली एक तरह से डेंगू के पीक सीजन से गुजर रही है। यानी डेंगू संक्रमण का न केवल खतरा बना हुआ है, बल्कि इस समय सबसे ज्यादा डेंगू फैलने का मौसम होता है। चिंता की बात यह है कि पिछले कुछ दिनों से दिल्ली में बार-बार बारिश हो रही है और यह भी देखा जा रहा है कि डेंगू के मामलों में बड़ा इजाफा भी हो रहा है। लेकिन एक्सपर्ट का कहना है यूं तो डेंगू का सीजन 15 नवंबर तक रहता है, लेकिन बारिश के साथ तेजी से तापमान में कमी आ रही है। अगर यही कमी जारी रही तो दिल्ली वालों को डेंगू से जल्दी राहत मिल सकती है। मच्छरों में 15 डिग्री के तापमान को झेल पाने में सक्षम नहीं होती है। इसके बावजूद एक्सपर्ट ने लोगों से बचाव पर ध्यान देने की अपील की है।

एमसीडी के हिंदूराव अस्पताल के डॉक्टर डीके दास ने कहा कि इस साल अब तक 127 डेंगू के मामले और 42 मलेरिया के मामले आ चुके हैं। इसके अलावा एक चिकनगुनिया के भी हैं। अभी तो स्थिति नियंत्रण में है। अभी एक महीने काफी अलर्ट रहने की जरूत है। उन्होंने कहा कि अमूमन ओपीडी में सभी प्रकार के फीवर के 40 से 50 मरीज आते हैं, इसमें मच्छरों से होने वाले फीवर भी हैं।

एलएनजेपी के मेडिकल डायरेक्टर डॉक्टर सुरेश कुमार ने कहा कि फीवर क्लिनिक में मरीजों की संख्या बढ़ गई है। काफी मरीज आ रहे हैं। अब तो डेंगू के मरीज भी इलाज के लिए एडमिट हो रहे हैं। अभी 4 मरीज एडमिट हैं। बीएलके सुपर स्पेशलिटी के इंटरनल मेडिसिन के डॉक्टर आरके सिंघल ने कहा कि नॉर्मल से ज्यादा डेंगू के मरीज आ रहे हैं, लेकिन पैनिक वाली बात नहीं है। राहत की बात यह है कि सीवियरिटी काफी कम है।

मैक्स के इंटरनल मेडिसिन के डॉक्टर रोमेल टिक्कू ने भी कहा कि डेंगू के केस पिछले साल की तुलना में इस बार ज्यादा आ रहा है। मच्छरों से होने वाली बीमारी को लेकर अलर्ट रहने की जरूरत है। इस वायरस का न तो इलाज है और न ही वैक्सीन है। बचाव ही इसका बेहतर इलाज है। फीवर आने पर अपने मन से कोई भी दवा खाने से बेहतर होगा कि डॉक्टर को दिखाएं, डॉक्टर की सलाह पर ही दवा लें।

ऐसे समझें लक्षण

  1. ठंड लगने के बाद अचानक तेजी फीवर आना

  2. सिर, मांसपेशियों और जांइट में तेज दर्द होना

  3. आंखों के पिछले हिस्से में दर्द होना, आंख दबाने या हिलाने पर दर्द

  4. जी मितलाना, उल्टी होना, भूख न लगना, कमजोरी महसूस होना

  5. शरीर पर हल्के गुलाबी रंग के रैशेज बन जाना

बचने के तरीके

  1. सफाई रखें, ऑफिस हो या घर, साफ पानी जमा न होने दें

  2. रुका हुआ पानी अगर जमा हो तो उसमें पेट्रोल या किरोसिन तेल डाल दें

  3. घर में कूलर, गमले, खाली बर्तन, चिड़ियों को दाना देने वाले बर्तन में पानी जमा हो तो उसे उल्ट दें

  4. पानी के टंकी को ढककर रखें, फ्रिज के पीछे जमा पानी को हफ्ते में एक बार जरूर साफ करें

  5. घर की छत पर यह टूटे डिब्बे, टायर, बर्तन, बोतल हो तो उसे भी उल्टा करके रखें

  6. मच्छरों से बचने के लिए मच्छरदानी लगा कर सोएं

  7. बच्चों को पूरी बाजू के कपड़े पहनाएं