कोरोना महामारी के कारण पिछले दो वर्षों से राजस्थान कबीर यात्रा का आयोजन नहीं हो पाया.
‘लोकायन संस्थान’ और राजस्थान पुलिस के प्रोजेक्ट ‘ताना-बाना’ के तहत आयोजित देश के सबसे बड़े घूमते-फिरते संगीत उत्सव ‘राजस्थान कबीर यात्रा’ के छठे संस्करण का आयोजन साल के अंतराल के बाद फिर से हो रहा है. इस बार यात्रा का आयोजन मेवाड़ क्षेत्र में हो रहा है. कबीर यात्रा 02 अक्टूबर को उदयपुर से शुरू होगी.
राजस्थान कबीर यात्रा के आयोजक गोपाल सिंह ने बताया कि इस यात्रा का आयोजन ‘लोकायन’ द्वारा किया जाता है लेकिन सही मायनों में ये लोगों द्वारा मिलकर किया जाने वाला आयोजन है. कबीर यात्रा की सबसे सुंदर बात ये है कि कलाकार और लोग हमारे पास आते हैं और कहते हैं हम भी इस यात्रा का हिस्सा बनना चाहते हैं. गांव वाले चाहते हैं कि यह यात्रा उनके गांव आए. ये लोगों का उत्सव है, लोगों के लिए और लोगों द्वारा ही आयोजित किया जाता है. इस यात्रा के आयोजन का मकसद कि संतों की वाणी में जो विचार हैं वे समाज तक पहुंचें. संतों के शब्द यात्रियों के चित्त में, ज़ेहन में दर्ज़ हो जाएं.
इन जगहों से गुजरेगी यात्रा
कबीर यात्रा 2 अक्टूबर को उदयपुर से शुरू होकर अगले दिन 3 अक्टूबर को कोटड़ा, 4 अक्टूबर को फलासिया, 5 अक्टूबर को कुम्भलगढ़, 6 को राजसमंद, 7 अक्टूबर को सलूम्बर और 8 अक्टूबर को भीम पहुंचेगी. सांप्रदायिक सद्भाव और प्रेम को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आयोजित होने वाली यह यात्रा उदयपुर और राजसमंद जिलों से होकर गुजरेगी.
उदयपुर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक प्रफ्फुल कुमार ने कहा कि कबीर के विचारों में वो ताकत है जो लोगों और समाज को आपस में जोड़ता है. राजस्थान कबीर यात्रा के माध्यम से पूर्व में हमने देखा है कि किस तरह कबीर वाणी और उनके संगीत के माध्यम से सामाजिक सौहार्द का एक अच्छा सन्देश समाज में जाता है. राजस्थान पुलिस के प्रोजेक्ट ‘ताना बाना’ के तहत आयोजित हो रही इस यात्रा में सभी समुदाय के लोग और कलाकार हिस्सा ले रहे हैं और इस संगीतमयी यात्रा से सामाजिक सौहार्द को बढ़ाने में स्थानीय स्तर पर मदद मिलेगी.
राजस्थान कबीर यात्रा की जानकारी देते हुए उदयपुर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक प्रफ्फुल कुमार.
जुटेंगे देशभर के कलाकार
राजस्थान कबीर यात्रा के छठे संस्करण का उद्घाटन गांधी जयंती के अवसर पर उदयपुर में फतेहसागर पाल पर आयोजित होगा. उद्घाटन कार्यक्रम में मुंबई के प्रसिद्ध कबीर बैंड “नीरज आर्या कबीर कैफ़े” के अलावा मालवा के कबीर गायक कालूराम बामनिया, कच्छ से मूरालाला मारवाडा, पूगल से सूफी गायक मीर बसु बरकत खान, लोक गायिका सुमित्रा जेतारण, बंगाल से बाउल गायक आनंददास बाउल अपनी प्रस्तुतियां देंगे. लखनऊ के प्रशिद्ध दस्तानगो हिमांशु बाजपेयी और चेन्नई के गायक वेदांत भारद्वाज कबीर की विशेष दास्तान प्रस्तुत करेंगे.
राजस्थान कबीर यात्रा में कबीर, मीराबाई, बाबा बुल्लेशाह, गोरखनाथ, शाह लतीफ जैसे निर्गुण, भक्ति और सूफी वाणी गाने वाले जोगियों-संतों की बरसों से चली आ रही वाचिक तथा सत्संग परम्पराओं को याद करने के लिए देशभर के कई जाने-माने कलाकार यात्रा में शामिल होंगे. यात्रा के छठे संस्करण में गांवों की स्थानीय भजन मंडलियों के अलावा मुम्बई से कबीर कैफ़े, हरप्रीत सिंह, राधिका सूद नायक, मैप स्टूडियो बैंड और स्मिता राव बेलुर, बेंगलुरू से शबनम विरमानी व बिंदुमालिनी, मालवा मध्यप्रदेश से कालूराम बामनिया व अरूण गोयल एंड ग्रुप, लखनऊ से दास्तानगो हिमांशु बाजपेयी व प्रज्ञा शर्मा, बंगाल से आनंद दास बॉल व बाउल्स ऑफ बंगाल, चेन्नई से वेदांत भारद्वाज, नई दिल्ली से दास्तान लाइव, जयपुर से राहगीर, ऋषिकेश से नीलकंठ वेटिकुला, पुणे से श्रुति वीणा विश्वनाथ, धर्मशाला से राइजिंग मलंग जैसे सूफी, गुजरात से मूरालाला मारवाड़ा, जैसलमेर से महेशाराम मेघवाल व शकुर खान, पूगल से मीर बसु बरकत खान और मीर रज़ाक़ अली, चूरु से भंवरी देवी, बीकानेर से गवरा देवी, जालोर से सुमित्रा जैतारण, बड़नवा जागीर से नेक मोहम्मद लंगा, बाप से कासम खान तथा बाड़मेर से कबीर युवा भजन मंडली जैसे लोक कलाकार शामिल होंगे.
कबीर की प्रासंगिकता
कबीर ने अपने समय में धार्मिक कट्टरता का विरोध किया. उनकी नजर में धर्म एक ही था – केवल मानव धर्म. शायद इसी कारण उनकी दृष्टि में राम, रहीम, केशव, करीम, अल्लाह सभी एक ही रहे. ईश्वर एक ही है, पर उसके नाम अलग –अलग हैं. कबीर कहते हैं – “हमारे राम रहीम करीमा कइसो, अलह रामसति सोई। बिस्मिल मेटी बिसमभार एकै और दूजा कोई”॥