Rajasthan: कांग्रेस की इस्तीफा पॉलिटिक्स के मायने क्या हैं, क्या खतरे में गहलोत सरकार ?

Rajasthan Politics: राजस्थान में कांग्रेस विधायकों की ओर से दिए गए इस्तीफे के मामले में सियासत जारी है। सितंबर में पार्टी नेताओं की ओर से दिए गए इस्तीफे के मामले को बीजेपी कोर्ट में पहुंच गई है। बीजेपी का कहना कि हम इस पर फैसला करवा कर ही दम लेंगे।

जयपुर: राजस्थान में सिंतबर में शुरू हुए सियासी ड्रामे का अभी तक कोई हल नहीं निकला है। अशोक गहलोत गुट के शांति धारीवाल दावा कर चुके हैं कि कांग्रेस के 92 विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी को अपना इस्तीफा सौंपा है लेकिन डॉ. जोशी ने इस संबंध में अभी तक कोई एक्शन नहीं लिया। इसी बीच उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ इस मसले को कोर्ट में ले गए। राठौड़ का कहना है कि प्रदेश सरकार को 4 साल का जश्न मनाने की जरूरत नहीं है क्योंकि सरकार का संकट अभी तक टला नहीं है। राठौड़ ने कहा कि कानूनी रूप से इस्तीफे स्वीकार करने ही होंगे।

अचानक दिए गए इस्तीफे को वापस लेने का प्रावधान नहीं

राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि कांग्रेस के विधायकों की ओर से 25 सितंबर की रात को इस्तीफे दिए गए थे। विधानसभा अध्यक्ष को इस पर कार्रवाई करनी चाहिए थी लेकिन नहीं की गई। बीजेपी की ओर से तीन बार लिखित प्रतिवेदन दिए जाने के बाद भी अध्यक्ष ने कोई सुनवाई नहीं की। नेता प्रतिपक्ष के नेतृत्व में बीजेपी का प्रतिनिधि मंडल भी विधानसभा अध्यक्ष से मिला था लेकिन फिर भी सुनवाई नहीं की गई। राठौड़ ने कहा कि संविधान के आर्टिकल 190.3 (B) में और राजस्थान विधानसभा के नियम आर्टिकल 208 (A) में लिखा है कि विधानसभा सदस्य इस्तीफा दे सकते हैं। तत्काल रूप से दिए गए इस्तीफे को वापस लेने का प्रावधान नहीं है। इसीलिए मामले के निस्तारण के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। सरकार पर खतरा बरकरार है।

विधानसभा अध्यक्ष और सचिव को जारी हुए थे नोटिस

उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ की याचिका पर सुनवाई करते हुए 6 दिसंबर को राजस्थान हाईकोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष और सचिव को नोटिस जारी किए। दो सप्ताह में जवाब पेश करने के आदेश दिए गए। दो सप्ताह का समय पूरा होने वाला है। अब जल्द ही विधानसभा अध्यक्ष और सचिव को हाईकोर्ट में जवाब प्रस्तुत करने हैं। जवाब में वे किन नियमों का हवाला देते हैं। उसके बाद आगे की कानूनी प्रक्रिया शुरू होगी। बीजेपी नेता राजेन्द्र राठौड़ ने कहा है कि वे संवैधानिक लड़ाई को अंतिम क्षण तक लड़ेंगे। भले ही सुप्रीम कोर्ट जाना पड़े लेकिन इसका फैसला करवा कर ही दम लेंगे।

25 सितंबर की रात को दिए गए थे इस्तीफे

करीब तीन महीने पहले 25 सितंबर को मुख्यमंत्री निवास पर कांग्रेस विधायक दल की बैठक होनी प्रस्तावित थी। बैठक शाम 7 बजे होनी थी लेकिन इससे पहले ही अशोक गहलोत गुट के नेता शांति धारीवाल ने अपने आवास पर समानान्तर बैठक बुला ली। दर्जनों विधायक उस बैठक में शामिल हुए। इन सभी ने मुख्यमंत्री निवास पर होने वाली कांग्रेस विधायक दल की बैठक का बहिष्कार कर दिया और रात 12 बजे बस में बैठकर विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी के आवास पर पहुंचे। वहां पर विधायकों ने इस्तीफे सौंपे। अगले दिन मीडिया से बातचीत करते हुए शांति धारीवाल ने 92 विधायकों की ओर से इस्तीफा दिए जाने का दावा किया। हालांकि विधानसभा अध्यक्ष की तरफ से कोई बयान जारी नहीं किया गया।