राजगढ़, 05 जुलाई : अधिसूचना के छः मास बीत जाने के बावजूद भी जनवरी 2016 के उपरांत सेवानिवृत हुए कर्मचारियों को छठे वेतन आयोग का लाभ नहीं मिल पाया है। जिससे पैंशनर्स में सरकार के प्रति नाराजगी देखने को मिल रही है। पैंशनर्ज अमीं चंद, धर्मदास, राजेश कुमार सहित अनेक लोगों का कहना है कि छठे वेतन आयोग को लागू करने को लेकर प्रदेश सरकार द्वारा कर्मचारियों को उलझाया जा रहा है। जबकि प्रदेश के इतिहास में पहली बार हुआ है।
पेंशनर्स की फिक्सेशन को लेकर बीते छह महीनों से कार्यालयों में फाइलें भी नहीं खुल पाई है। जोकि कर्मचारी वर्ष 2016 के उपरांत रिटायर हुए है। उनकी किसी भी विभाग में अभी तक फिक्सेशन नहीं हुई है। उसके बाद पैंशन के पुननिर्धारण के लिए इन पैंशनरों का मामला महालेखाकार कार्यालय जाएगा।
ऐसा प्रतीत होता है कि पैंशनरों को संशोधित पैंशन पाने के लिए करीब छः महीने इंतजार करना पड़ सकता है तब तक विधानसभा चुनाव भी आ जाएंगे। इसका खामियाजा आने वाले विधान सभा चुनाव में वर्तमान सरकार को भुगतना पड़ सकता है। पेंशनरों का कहना है कि इससे पहले भी उनके द्वारा कई वेतन आयोग के लाभ लिए जा चुके है।
यहां तक की वर्ष 2010 में पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल द्वारा पांचवें वेतन आयोग को पंजाब की तर्ज पर लागू करके एरियर देने की घोषणा की गई थी। भले ही एरियर किश्तों में दिया गया था। इस बार जयराम सरकार एरियर देने बारे कुछ नहीं बोल रही। पैंशनर्स ने मांग की है कि बड़ी हुई ग्रेजुटी व क्मियूटेशन इत्यादि लाभ एक साथ दिए जाएं।
जिस बारे सरकार को स्पष्ट आदेश जारी करने चाहिए। इसके अतिरिक्त पैंशनरज ने सरकार से मांग की है कि 65, 70 और 75 वर्ष की आयु पूरी होने पर पैंशन पर मिलने वाले पांच प्रतिशत भत्ते को बेसिक पैंशन में जोड़ा जाए ताकि इसका लाभ पैंशनरज को मिल सके। उन्होंने सरकार से पेंशन की मांगों को समयबद्ध निपटाने का आग्रह किया है।