Balwant Singh Rajoana Case: बलवंत सिंह राजोआना ने ही दिलावर सिंह को सुसाइड बॉम्बर बनने के लिए तैयार किया जिसने पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह समेत 16 लोगों की हत्या की थी। इस मामले में वर्ष 2007 में ही सीबाआई कोर्ट ने बलवंत सिंह को फांसी की सजा सुनाई थी। लेकिन बाद में फांसी की सजा रोक दी गई। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलने को लेकर सुनवाई है।
नई दिल्ली: बलवंत सिंह राजोआना की फांसी मामले में सुप्रीम कोर्ट में आज यानी एक नवंबर से सुनवाई है। 1995 में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के मामले में दोषी बलवंत सिंह राजोआना की याचिका पर 3 जजों की पीठ सुनवाई करेगी। राजोआना ने अपनी मौत की सजा को उम्र कैद में बदलने की अपील की है। उसकी दया याचिका एक दशक से अधिक समय से सरकार के पास लंबित है। राजोआना के वकील मुकुल रोहतगी ने चीफ जस्टिस यू.यू. ललित की अध्यक्षता वाली पीठ को बताया कि उनका मुवक्किल 26 सालों से जेल में है। शीर्ष अदालत के फैसलों के आधार पर उनके पास यह एक ठोस आधार है कि संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन की स्वतंत्रता के संरक्षण का अधिकार) का हनन हुआ है।
दरअसल अदालत ने राजोआना की मौत की सजा को उम्र कैद में तब्दील करने पर केंद्र के फैसला करने में नाकाम रहने को लेकर 28 सितंबर को नाखुशी जताई थी। इससे पहले सुनवाई के दौरान रोहतगी ने पीठ के सामने जोर देते हुए कहा था कि राजोआना सजा में इस तरह का परिवर्तन किये जाने का हकदार है। पीठ में जस्टिस एस आर भट और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी भी शामिल हैं।
राजोआना की याचिका पर अलग से सुनवाई
पीठ ने इस बात का जिक्र किया था कि केंद्र ने पूर्व में सुप्रीम कोर्ट में एक सह-आरोपी की ओर से दायर अपील के लंबित रहने का हवाला दिया था। कोर्ट ने कहा था कि वह दोनों विषयों–सह आरोपी की लंबित अपील और राजोआना की याचिका–को एक ही दिन सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर सकता है। हालांकि, रोहतगी ने पीठ से राजोआना की याचिका पर अलग से सुनवाई करने का अनुरोध किया था।
जनवरी 1996 से जेल में है राजोआना
उन्होंने कहा था कि मैं (राजोआना) इसे महज इस कारण एकसाथ जोड़ना नहीं चाहता कि मैंने 26 साल जेल में बिताये हैं। मैं अपने मामले में यह दलील पेश करना चाहता हूं कि मैं अपनी सजा को उम्र कैद में तब्दील कराये जाने का हकदार हूं। रोहतगी ने कहा कि राजोआना जनवरी 1996 से जेल में है और उसकी दया याचिका मार्च 2012 में दायर की गई थी। उन्होंने कहा कि उनका मुवक्किल 2007 से मौत की सजा का सामना कर रहा है।
एक नवंबर को सुनवाई के लिए लिस्टेट
पीठ ने कहा कि राजोआना की याचिका एक नवंबर को सुनवाई के लिए लिस्टेट किया है। कोर्ट ने कहा था कि अंतिम निस्तारण के लिए इसे एक नवंबर 2022 के दिन लिस्टेड किया जाए। पीठ ने कहा कि इस बीच प्राधिकारों को उपयुक्त कार्रवाई करने की छूट है।
राजोआना को जुलाई 2007 में सुनाई थी मौत की सजा
दरअसल पंजाब पुलिस के पूर्व कांस्टेबल राजोआना को पंजाब सिविल सचिवालय के बाहर 31 अगस्त 1995 को हुए विस्फोट में संलिप्त रहने को लेकर दोषी ठहराया गया था। इस घटना में बेअंत सिंह और 16 अन्य की मौत हो गई थी। एक विशेष अदालत ने राजोआना को जुलाई 2007 में मौत की सजा सुनाई थी।