Rakul Preet Singh: फिल्म ‘छतरीवाली’ के ओटीटी पर रिलीज होने का क्या है बड़ा कारण? रकुलप्रीत सिंह ने बताई वजह

‘डॉक्टर जी’, ‘रनवे 34’, ‘थैंक गॉड’ जैसी फिल्मों में अपने अभिनय का जादू दिखा चुकीं रकुलप्रीत सिंह एक बार फिर पर्दे पर नजर आने वाली हैं। हालांकि उनकी फिल्म ‘छतरीवाली’ सिनेमाघरों में नहीं बल्कि ओटीटी प्लेटफॉर्म पर आएगी। अब इसके पीछे क्या वजह है, खुद एक्ट्रेस ने इंटरव्यू में बताया है।

बॉलीवुड एक्ट्रेस रकुल प्रीत जल्द ही ‘छतरीवाली’ में नजर आएंगी। ये मूवी 20 जनवरी 2023 को ओटीटी प्लेटफॉर्म जी5 पर रिलीज होगी। इसके पहले आपने इन्हें ‘डॉक्टर जी’, ‘रनवे 34’, ‘थैंक गॉड’ में देखा है। हालांकि इनकी फिल्में आज कर बॉक्स ऑफिस पर कमाल नहीं कर पाईं। अब ये डिजिटल प्लेटफॉर्म पर दिखाई देंगी। उसी सिलसिले में इन्होंने ‘नवभारत टाइमस’ से खास बातचीत की। दिल्ली से सर्दी से लेकर सेक्स एजुकेशन तक पर खुलकर बात की है। क्या कहा है, आइए बताते हैं-

सवाल- दिल्ली में खूब सर्दी हो रही है। आप भी यहीं से हैं, तो अब मौसम एंजॉय कर रही होंगी?
जवाब- नहीं, मैं उन लोगों में से हूं जिन्हें दिल्ली की सर्दी पसंद नहीं होती है। मुझे दिल्ली की गर्मी ज्यादा पसंद है। कई लोगों को सर्दी पसंद नहीं होती है और गर्मी पसंद होती है। शायद मेरे शरीर की बनावट ऐसी है कि मुझे गर्मी ठीक लगती है या मैं ये भी कह सकती हूं कि मुझे ज्यादा चर्बी नहीं है शरीर पर, तो गर्म नहीं रख पाती खुद को। इसलिए गर्मी में प्रॉब्लम नहीं होती मुझे।

सवाल- आपकी फिल्म ‘छतरीवाली’ सेक्स एजुकेशन के बारे में बात करती है। आखिर क्यों इस विषय पर बात करना जरूरी है?
जवाब- अगर आप फैक्ट्स देखें, तो इंडिया में सबसे ज्यादा टीनेज प्रेग्नेंसी होती हैं जिसकी वजह से अवैध अबॉर्शन भी होते हैं। लेकिन अगर एजुकेशन होगी तो टीनेज प्रेग्नेंसी नहीं होगी। अब बुक्स में तो है, 9वीं क्लास में ही इसका चैप्टर होता है यानी जब आप 14 साल के होते हैं। उस समय आपको सारी जानकारी मिलनी चाहिए क्योंकि किताबों में है, करिकुलम एक्टिविटीज भी होती हैं, क्लासेज भी होती हैं। लेकिन समाज के तौर पर हम इसके बारे में बात ही नहीं करते। तो हम इसके बारे में जितने सामान्य रूप से बात करेंगे, उतना वह सामान्य हो जाएगा।

सवाल- लेकिन कई महिलाएं भी सेक्स एजुकेशन के बारे में बात नहीं करना चाहती हैं। जब वो ही बात नहीं करेंगी तो ये चीज कैसे सामान्य होंगी।
जवाब- क्योंकि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि ये सामान्य बात है। दरअसल हम लोग एक सोसायटी के अंदर कई अलग-अलग तरह की सोसायटी में बंटे हुए हैं। उन अलग-अलग सोसायटी में अलग-अलग कम्फर्ट लेवल है लोगों का बात करने का। थोड़ी इलीट सोसायटी में इस बारे में बात थोड़ी सामान्य होगी। उसी शहर में थोड़ी दूर जाने पर बात अलग तरह की होगी। तो हमें स्कूल के स्तर पर इसे सामान्य करना होगा। जिस तरह हम बात करते हैं कि ये दिल है, ये दिमाग है तो हम ये क्यों नहीं कह सकते कि ये यूटरस है। अरे ये सामान्य बात है। अगर यूटरस नहीं होता तो ये दुनिया नहीं होती। फिल्में भी इस काम में मदद करें। जैसे कि पैडमैन एक फिल्म थी, उसने पीरियड्स के बारे में बात करने को सामान्य बनाया। तो हम इस विषय पर जितने संवेदनशील रूप से समझदारी से बात करें कि यही हमारे अस्तित्व का सच है और इसी तरह बच्चे पैदा होते हैं, ये हमारे शरीर के अंगों के नाम हैं। तो जितना हम एजुकेशन के जरिए इसके बारे में बात करेंगे, उतना यह सामान्य बनेगा।

सवाल- क्या कोई अलग तरह का किरदार देखने को मिलेगा जैसे कि ऐक्शन वगैरह में?
जवाब- नहीं अभी तो कोई ऐक्शन किरदार नहीं कर रही हूं लेकिन मैं करना जरूर चाहूंगी अगर सही मौका मिलता है तो।

सवाल- थिएटर रिलीज शुरू हो गया है तो आपकी फिल्म ओटीटी पर क्यों आ रही है?
जवाब- हमारी फिल्म शुरू से ओटीटी पर ही थी। ये एक टैबू टॉपिक है, तो टैबू समझकर आप थिएटर नहीं जाएंगे और उतर जाएगी। लेकिन अगर ओटीटी पर ये आ गई और आपके आसपास किसी ने देख ली, आपको बताया कि सामान्य फिल्म है, फैमिली के साथ देख सकते हैं तो आप इसे देख लेंगे। मतलब थिएटर के रिस्पॉन्स पर दर्शक का जजमेंट नहीं जाएगा। हमारा उद्देश्य है कि एंटरटेनमेंट तो करना है ही, साथ ही सही दर्शकों तक पहुंचना भी है। ओटीटी टियर 2 और 3 सिटीज में भी खूब पहुंचता है, तो उसके जरिए यह ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचेगी।

सवाल- पिछला साल 2022 पूरी फिल्म इंडस्ट्री के लिए पूरी तरह डिजास्टर रहा। इसकी क्या वजह मानते हैं आप?
जवाब- आप 2022 से पहले वाला साल देखें तो उस साल सारे थिएटर बंद ही तो थे। 2022 में कम से कम थिएटर खुले तो सही। कहीं से तो शुरुआत हुई ना। यह एक तरह से बस माइंडसेट है। दो साल तो थिएटर बंद ही थे, तब फिल्में ही नहीं आईं। तो अब एक-दो साल तो लगेंगे ना ठीक होने में। यह ऐसे है कि जब आपका एक्सिडेंट हो जाए तो बैसाखी पकड़कर धीरे-धीरे चलना शुरू करते हैं। तो हम बैसाखी पकड़कर चल लिए हैं, दौड़ भी लेंगे। ये हाल हर इंडस्ट्री के साथ रहा है। अगर कोई कहता है कि साउथ की फिल्में चली हैं तो साउथ एक नहीं है, वहां चार इंडस्ट्रीज हैं। ऐसे तो आप मराठी जोड़ लो, बंगाली जोड़ लो कि नॉर्थ इंडिया का सिनेमा चला। लेकिन ये सभी अलग हैं। हर इंडस्ट्री में हर शुक्रवार को फिल्में रिलीज हुई हैं और उनमें से एक-दो हिट्स हैं। वो तो हमारे भी हैं।


सवाल- 2023 में आप किन प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे हैं?
जवाब- मैं अभी दो फिल्मों की शूटिंग कर रही हूं तो वह इस साल रिलीज होंगी। इसके अलावा मैं शंकर सर (तमिल फिल्मों के डायरेक्टर) की इंडियन 2 में भी काम कर रही हूं।

सवाल- सोशल मीडिया पर फिल्मों को लेकर जो नेगेटिविटी बन रही है, बायकॉट का कल्चर चल रहा है, उससे कैसे उबरा जाए?
जवाब- हम सिर्फ नेगेटिविटी देखकर नेगेटिविटी का सवाल पूछ रहे हैं। इस बारे में सवाल पूछने बंद हो जाएं तो नेगेटिविटी भी धीरे-धीरे बंद हो जाएगी। देखिए सोशल मीडिया पर हर किसी का अपना एक ओपीनियन है। वो 10 लोग जिनका कुछ लेना-देना नहीं है, वो बस अपना ओपीनियन छोड़कर चले जाते हैं। जब सोशल मीडिया नहीं था, तब ही हर इंसान का अपना विचार होता था। लेकिन वह पता नहीं लगता था। सिर्फ सोमवार को क्रिटिक्स का रिव्यू आता था और तब पता लगता था। लेकिन आज सबका ओपीनियन है तो नेगेटिविटी के बारे में बात हो रही है क्योंकि लोगों को वह आकर्षित करती है। अगर हम उसके बारे में बात करना बंद कर दें तो वह नहीं है क्योंकि सबको अपना विचार रखने का हक होता है।