राम अवतार बैरवा की गज़ल- “महज इतनी सी दूरी हो चांद-छत की, मैं गर ज़ीना रखूं तो नीचे उतर आए”

शीत राग की मधु बेला में जब सब पत्ते झड़ जाएंगे,
तलहट से कुछ नन्हें पौधे नम घूप पकड़ने आएंगे।

बीच सड़क पे बे-बस अम्मा तारों से लिपटके रोयेगी,
आधी रात जब भूखे बच्चे चांद को खाने जाएंगे ।

सावन को कसम दिला देना, इस बार न बरसे सूरत पे,
हम किसी सूखे दरिया से प्यास मांगने जाएंगे ।

रात की परवाह मत करना हम तन्हा एक मुसाफिर हैं,
जब तारा आखिरी छिप जाए, वहीं तुम्हें हम पाएंगे।

एक चादर अपने आंगन में बेवजह ही तान के देखो,
शाम मुहाने कई मुसाफिर एक रात काटने आएंगे।

मेरे मन के सुंदर पंछी जब पिंजरे में बंदी होंगे,
तब धूप की चिड़िया चीखेगी छांव के कौवे गाएंगे ।

क्षमा करें मैं बड़े घरों में इसलिए नहीं जाता,
कोई यह न कहदे इसे बैठना भी नहीं आता।

टूटी लाठी लेकर चलती दादी क्या सोचती,
गर मैं बच्चों के लिए नये जूते ले आता।

सौ रुपए में आता है एक महका हुआ गुलाब,
हम गरीबों का मोहब्बत में पड़ता नहीं खाता।

उनकी जुल्फें भी रेशमी हैं रूह भी रेशमी,
मेरे खद्दर का सीना उन्हें बिलकुल नहीं भाता।

ख्वाबों की दुनिया में जीभर देख लेता हूं ,
हकीकत की राहों में उन्हें छू भी नहीं पाता।

वक्त की कोई ऐसी भी ना पहर आए,
घरपर मैं ना रहूं वो तब घर पर आए।

महज इतनी सी दूरी हो चांद-छत की,
मैं गर ज़ीना रखूं तो नीचे उतर आए।

आईना जहां भी हो, आईना रहे,
गरीब देखे तो धुंधला ना नज़र आए।

ख्वाबों में रोशनी हो, ना हो मगर
कोई तारा टूटता ना नजर आए।

यकायक उसके लबों पर हंसी बिखर जाए,
दौड़ती रेल में जब भी प्रेम नगर आए।

हवाओं का राग देखना घटाओं का आलाप देखना,
रिमझिम-रिमझिम थिरक पड़ेगी बारिश अपने आप देखना।

मावस की श्यामल रात ढले आ जाए रतौंधी तारों को,
पलक खोल परियों का मुजरा तुम छत से चुपचाप देखना।

ना धरती पर बरखा होगी और ना ही सागर चीखेगा,
ऐसा इक दिन लगेगा सबको नन्हें दरख्त का श्राप देखना।

कब गुजरेंगे राम यहां से कब आएगी जां में जां,
अहिल्या बनके शहर ये सारे खूब करेंगे जाप देखना।

अब तो खूब तरब से देखो मुकम्मल खेल मदारी का,
बारी हो आटा लाने की तब भालू का संताप देखना।

आकाश पर बादल का पिंजरा है
सूरज का खरगोश अधमरा है।

पत्ते, डाली पकड़कर चढ़ गए
जेठ का मेंह कितना सुनहरा है।

खुदा ताला लगाना भूल गया
जिंदगी के संदूक को खतरा है।

फिर कोई गौरय्या तबाह होगी
गिद्ध का आकाश साफ सुथरा है।

उसकी आखिरी बस भी छूट गई
अब सन्नाटे को भी बहुत खतरा है।

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