राम भक्त भारत में ही नहीं विदेशों में भी, इन देशों में भी मनाते हैं ऐसे रामलीला

देशभर में रामलीला का आयोजन हो रहा है और जगह अपनी-अपनी आस्था का रूप राम लीला के मंचों पर देखने को मिल रहा है। लेकिन हम आपको बता दें कि रामलीला केवल भारत में ही नहीं बल्कि कई विदेशों में भी होती है और यह उनकी संस्कृति का एक हिस्सा है। आइए जानते हैं किन देशों में होती है रामलीला…

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राम भक्त भारत में ही नहीं विदेशों में भी, इन देशों में भी मनाते हैं ऐसे रामलीला

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शारदीय नवरात्र की रौनक शक्ति यानी दुर्गा पूजा से तो है ही, साथ इस दौरान कई और लोक परंपराएं भी हैं, जिनका निर्वाह सदियों से होता आ रहा है। इनमें सबसे दर्शनीय कहा जाए तो रामलीला है। इसका आयोजन दिल्ली ही नहीं, देश के कई राज्यों में धूमधाम से होता है। यहां तक विदेशों में भी रामलीला का आयोजन होने लगा है। इन जगहों पर रामायण महाकाव्य का मंचन सिर्फ रंगमंच तक ही सीमित नहीं है बल्कि यह उनकी संस्कृति का प्रतीक है। आइए जानते हैं किन देशों में होती है रामलीला…

इंडोनेशिया में पूरे साल होता है मंचन

इंडोनेशिया में रामलीला का मंचन होना बड़ी बात है। दरअसल, यहां 90 फीसदी आबादी मुस्लिम है। इंडोनेशिया में रामायण को रामायण ककविन (काव्य) कहते हैं। यहां भी रामलीला का मंचन पूरे साल किया जाता है। यानी लोग किसी भी विशेष अवसर पर रामलीला करवाते हैं। यहां तक कि इस देश में स्कूलों में शिक्षा देने के लिए भी रामायण के चरित्रों का इस्तेमाल करते हैं।

थाईलैंड की रामलीला पर देश की संस्कृति की छाप

थाईलैंड की रामलीला भी काफी प्रसिद्ध है। यहां की रामलीला को ‘रामकेयन’ कहा जाता है। यहां रामलीला का मंचन केवल शारदीय नवरात्र पर ही नहीं होता, बल्कि किसी भी विशेष अवसर पर लोग रामलीला का आयोजन कराते हैं। रामकेयन की कहानी तो रामायण की ही होती है, लेकिन वेशभूषा व पात्रों के नामों में कुछ बदलाव होता है।

मॉरीशस की रामलीला

मॉरीशस में भी रामलीला मंचन की परंपरा चली आ रही है। यहां झाल और ढोलक पर रामायण गीत का चलन रहा है। मॉरीशस में कला व सांस्कृतिक मंत्रालय द्वारा हर साल रामलीला का आयोजन करवाया जाता है। यहां की रामलीला इतनी मशहूर है कि भारतीय कलाकारों को अभिनय के लिए बुलाया जाता है। मॉरीशस एकबार अंतर्राष्ट्रीय रामायण सम्मेलन की भी मेजबानी कर चुका है।

इस तरह मशहूर हुई कंबोडिया की रामलीला

कंबोडिया की रामलीला भी काफी मशहूर है। यहां भी सामाजिक उत्सवों के दौरान इस महाकाव्य का मंचन होता है। यहां बड़े-बड़े लोग भी रामलीला में भूमिका करने को उत्सुक रहते हैं। यहां के राजा नरेश नरोत्तम सिंहानुक की बेटी राजकुमारी फुप्फा को रामलीला ने इतना लोकप्रिय बना दिया कि उन्हें ही मां सीता के तौर पर चित्रित किया जाने लगा।

इन देशों में नृत्य नाटिका की तरह होता मंचन

पिछले कुछ वर्षों से अयोध्या शोध संस्थान की मंडली विदेशों में अवधी शैली की रामलीला का मंचन कर रही है। जैसे कि साल 2017 में फिजी, 2018 में 3 कैरेबियाई देशों त्रिनिदाद, सूरीनाम व गोआना और 2019 में मॉरिशस में इस मंडली ने रामलीला का मंचन किया। इस दौरान मंडली ने विदेश की रामलीला भी देखी, वे नृत्य नाटिका की तरह मंचित करते हैं। साथ ही विदेशों में रामलीला का मंचन स्थानीय भाषाओं में होता है।