Ramadan Mubarak 2023: आज से रमजान शुरू, 5 साल बाद बना है रमजान पर ऐसा संयोग, ऐसे रखें रोजा

Ramadan 2023: रमजान के पवित्र महीने की शुरुआत हो चुकी है। इस बार रोजे में बहुत ही शुभ संयोग बना है। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, नौवें महीने को रमजान का महीना कहा जाता है। इस साल करीब 5 साल बाद रमजान के महीने में बहुत ही शुभ संयोग बना है। आइए विस्तार से जानते हैं रोजा रखने के नियम बाकी महत्वपूर्ण जानकारी।

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Ramadan Mubarak: पाक रमजान का महीना शुरू हो गया। आज से अल्लाह की इबादत में रोजेदार रोजे रख रहे हैं। अबकी बार 2018 के बाद ऐसा संयोग बना है कि रमजान के महीने में 5 जुमे होंगे। इस्लाम में जुम्मे का विशेष महत्व है, इस दिन रोजेदार खास नमाज अदा करते हैं। आइए जानते हैं रमजान में रोजे रखने के क्या नियम हैं और रमजान का महीना क्यों है इस्लाम में बेहद पाक।
इस्लामिक कैलेंडर में नौवें महीने को रमजान का महीना कहा जाता है। इस महीने को सबसे ज्यादा रहमत वाला महीना बताया गया है क्योंकि इस महीने में मांगी गई दुआएं अल्लाह जरूर कबूल करते हैं। इस महीने में रोजेदारों की फरियाद को अल्लाह खारिज नहीं करते हैं। इस महीने को पाक रमजान का महीना इसलिए भी कहा जाता है क्योंकि इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, इसी महीने में ही पैगंबर मोहम्मद साहब को अल्लाह से कुरान की आयतें मिली थीं।

रमजान का महीना 30 दिनों का माना जाता है। इसमें पूरे महीने को 10-10 करके 3 भागों में यानी अशरों में बांटा गया है। पहले 10 दिन के रोजा को रहमत कहते हैं, दूसरे 10 दिनों के रोजा को बरकत और अंतिम 10 दिनों के रोजा को मगफिरत कहत हैं।

रोजेदार के लिए नियम
रोजा का मतलब व्रत है नियम है। रोजा रखने का मतलब केवल भूखे प्यासे रहना नहीं होता है। इसमें आत्मनियंत्रण और संयम का भी पालन करना होता है। मतलब रोजेदार को यानी जो रोजा रख रहे हैं उन्हें वाणी व्यवहार से संयमित रहना चाहिए। झूठ बोलना, धोखा देना, किसी की बुराई करना। गलत निगाहों से दूसरे को देखना या मन में गलत विचार लाना भी रोजेदार के लिए मनाही है। अगर ऐसा करते हैं तो यह रोजा नहीं केवल फाका करना हुआ। रोजा रखने वाले के लिए यह भी नियम है कि रोजे के दौरान पति-पत्नी को आपसी रिश्ते बनाने से बचना चाहिए।

रोजे में सूरज निकलने से पहले तक सहरी की अदायगी करनी होती है। यानी जो भी खाना हो वह सूर्योदय से पहले खा सकते, उसके बाद पूरे दिन पानी भी नहीं पी सकते हैं। शाम में सूरज डूबने के वक्त यानी मगरिब की अजान होने पर रोजेदारों को इफ्तार करना होता है। इसके साथ ही पूरे रमजान महीने में 5 वक्त का नमाज पढ़ना जरूरी होता है।

कुरआन और रोजे करहते हैं हिसाब के वक्त सिफारिश
रसूल सल्लल्लाहअलैहिवसल्लम ने कहा है कि, हिसाब के दिन रोजे ही अल्लाह से सिफारिश करते हैं, ए परवरदिगार मैंने इस बंदे को खाने, पीने और उसकी तमाम दूसरी चाहतों को दिन में रोक दिया था। आप इसके पक्ष में मेरी सिफारिश कबूल कर लीजिए। इसी तरह कुरआन भी अल्लाह से सिफारिश करता है कि, ए परवरदिगार मैंने इस बंदे को रात में सोने से रोक दिया था, अब आप इसके हक में मेरी सिफारिश को कबूल कर लीजिए। कुरान और रोजे के सिफारिश से बंदे को अल्लाह की रहमत मिल जाएगी।

रोजे से होगा जन्नत में दाखिला आसान
रसूल सल्लल्लाहअलैहिवसल्लम ने कहा है कि, जन्नत में आठ दरवाजे हैं, लेकिन उनमें से एक दरवाजा खासतौर पर रोजेदारों के लिए हैं। रोजेदारों से मतलब केवल भूखे प्यासे रहने वालों से नहीं है। रोजेदार से मतलब उन लोगों से है, जिन्होंने अपनी जिंदगी में रोजे अल्लाह का हुक्म मानते हुए रखा है, अपने को तमाम बुराइयों से बचाते हए सबसे ज्यादा रोजे रखे होंगे वह उस रास्ते से आसानी से जन्नत में दाखिला पा लेगा।