जकार्ता. वैसे तो पूरे विश्व में दिवाली की धूम मची हुई है. लेकिन, इंडोनेशिया में मनाई जाने वाली दिवाली सबसे हटकर मानी जाती है. इसकी वजह है, इंडोनेशिया का ‘मुस्लिम बहुल’ देश होना. खासकर, यहां के बाली द्वीप में हूबहू वैसी ही दिवाली मनाई जाती है, जैसी भारत में. इसमें कोई अंतर नहीं. यहां रामलाली का मंचन भी होता है. पूरा माहौल राममय होता है. लोग आपस में मिलते हैं और एक-दूसरे को बधाई देते हैं. इंडोनेशिया में कई जगह दिवाली के अनुष्ठान एक महीने पहले ही शुरू हो जाता है.
गौरतलब है कि मुस्लिम बहुल देश इंडोनेशिया में हिंदुओं की आबादी 2% से भी कम है. लेकिन, भगवान राम के प्रति इनकी आस्था देखते ही बनती है. दिवाली यहां के प्रमुख त्योहारों में से एक है. बाली द्वीप के अलावा यह उत्सव पश्चिम पापुआ, सुमात्रा और सुलावेसी में मुख्य रूप से मनाया जाता है. इन इलाकों में लोग इस दिन के लिए जबरदस्त खरीदारी करते हैं. एक-दूसरे को घर आने का निमंत्रण देते हैं.
बताया जाता है कि दिवाली पर्व के मद्देनजर कुछ लोग 30 दिनों तक व्रत भी रखते हैं. मान्यता है कि यह व्रत लोगों को खुद को जानने, खुद पर नियंत्रण करने और खुद को और बेहतर बनाने में मदद करते हैं. लोग तीन दिनों में घर में शानदार सजावट करते हैं. पेंट कराते हैं और दीये जलाते हैं. दीपावली की रात भगवान का पूजन होता है और लोग बुजुर्गों से आशीर्वाद लेते हैं.
दिवाली के दिन सुबह से ही घर में रौनक शुरू हो जाती है. लोग सुबह जल्दी नहाकर परिवार के साथ मंदिर जाते हैं. मंदिर जाने की खास वजह है अपने अहम को दूर करना और ईश्वर से इसके लिए क्षमा मांगना. कुछ लोग इस दिन आतिशबाजी भी करते हैं. इंडोनेशिया में रामलीला भी होती है. यहां हिंदुओं का सबसे बड़े सांस्कृतिक केंद्र प्रम्बनन मंदिर है. यह जावा के योगाकार्ता शहर में स्थित है और यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में है. यहां ब्रह्मा, विष्णु और महेश के मंदिर हैं. इस मंदिर के एंफीथियेटर में रोज रामायण का मंचन होता है. यहां 1976 से यह सतत चला आ रहा है.