Azam Khan Close Aide Asim Raza: रामपुर विधानसभा सीट से गठबंधन प्रत्याशी बनाए गए आसिम रजा को आजम खान पहले भी अपनी खाली लोकसभा सीट से भी कैंडिडेट बनाया था। आसिम रजा लोकसभा उपचुनाव में बीजेपी के घनश्याम लोधी से हार का सामना करना पड़ा था। इस बार देखना दिलचस्प रहेगा कि आसिम रजा आजम की उम्मीदों पर खरे उतरते हैं या नहीं।
मेरठ: वेस्ट यूपी में हो रहे विधानसभा उपचुनाव में कैंडिडेट चयन में सियासी दल खास रणनीति अपना रहे हैं। सपा नेता आजम खान ने 45 साल बाद इस बार खुद के परिवार के सदस्य को नहीं बल्कि एक बार फिर वफादार पर दांव लगाया है। आजम ने रामपुर सीट के लिए समाजवादी पार्टी की तरफ से कैंडिडेट बनाए गए आसिम रजा को लोकसभा चुनाव में भी अपनी खाली सीट से टिकट देकर चुनाव लड़ाया था। अब खुद की खाली हुई रामपुर विधानसभा सीट से फिर पुराने वफादार आसिम रजा को ही टिकट दिलाया है। दोनों बार पार्टी के बजाए आजम ने खुद ही कैंडिडेट के नाम की घोषणा रामपुर में ही की।
एसपी नेता आजम खान को कोर्ट से तीन साल की कैद की सजा होने के बाद उनकी विधानसभा की सदस्यता चली गई थी। जिसके बाद चुनाव आयोग ने रामपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव का ऐलान कर दिया था। लेकिन, बीजेपी और एसपी की तरफ से प्रत्याशी घोषित नहीं किए गए थे। मंगलवार को भाजपा ने आकाश सक्सेना को प्रत्याशी बनाया, तो देर रात सपा नेता आजम खान ने भी एसपी प्रत्याशी के नाम का ऐलान कर दिया। कार्यकर्ताओं की बैठक कर आजम ने अपने सबसे करीबी और वफादार माने जाने वाले आसिम रजा को प्रत्याशी घोषित कर दिया।
आसिम रजा इससे पहले एसपी के टिकट पर लोकसभा उपचुनाव भी लड़ चुके हैं। लेकिन, भाजपा के घनश्याम सिंह लोधी से उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। वहीं, टिकट घोषित होने के बाद आसिम रजा ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि आप लोगों को पता है कि लोकसभा उपचुनाव में क्या हुआ था। उम्मीद है कि इस बार ऐसा नहीं होगा। प्रशासन पूरी ईमानदारी और निष्पक्षता से चुनाव संपन्न कराएगा। दरअसल, आसिम रजा ने लोकसभा उपचुनाव एसपी के टिकट पर लड़ा था। उन्हें 3,25,205 वोट मिले थे। जबकि भाजपा प्रत्याशी घनश्याम सिंह लोधी को 3,67,397 वोट मिले थे। भाजपा प्रत्याशी 42,192 वोटों से जीत गए थे।
45 साल बाद आजम परिवार से बाहर का कैंडिडेट
रामपुर विधानसभा सीट के इतिहास में 45 साल के बाद ऐसा मौका आया है जब यहां विधानसभा चुनाव में आजम खान या उनके परिवार का कोई सदस्य चुनावी मैदान में नहीं है। इस सीट पर 1977 से लेकर 2022 तक के 12 विधानसभा के चुनाव आजम खान लड़ चुके हैं। दस बार उनको जीत हासिल हुई है और दो बार हार का सामना करना पड़ा है। 2019 में आजम खां के सांसद बनने बाद हुए उपचुनाव में उनकी पत्नी डॉक्टर तजीन फात्मा चुनावी मैदान में उतरी थीं और वह जीती थीं। अब आजम के करीबी आसिम रजा इस सीट पर उपचुनाव में किस्मत आजमाएंगे।
खतौली से मदन भैया ने दाखिल किया नामांकन
मुजफ्फरनगर की खतौली विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए एसपी-आरएलडी से प्रत्याशी घोषित किए गए पूर्व विधायक मदन भैया ने बुधवार सुबह नामांकन पत्र दाखिल कर दिया। वह बागपत जिले के खेखड़ा से चार बार विधायक रह चुके हैं। मदन भैया को बाहरी बताकर खतोली में कुछ लोग विरोध कर रहे हैं। आरएलडी के प्रमुख दावेदार अभिषेक सिंह टिकट नहीं मिलने पर मंगलवार की देर रात बीजेपी में शामिल हो गए। मदन भैया ने इस दौरान कहा कि बाहुबली शब्द रिसर्च का विषय है। वर्तमान माहौल चुनाव का है, इस तरह की बातों का समय नहीं है। उन्होंने कहा कि बाहुबली शब्द का प्रयोग मुख्य मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए किया जाता है। गठबंधन बेरोजगारी, किसान, मजदूर, महिलाओं के सम्मान के मुद्दों पर चुनाव लड़ेगा। वहीं आजाद समाज पार्टी ने भी आरएलडी-एसपी गठबंधन को समर्थन दिया है। पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर ने मंगलवार को ही दिल्ली में आरएलडी अध्यक्ष चौधरी जयंत सिंह से मुलाकात कर समर्थन का ऐलान किया किया था।
बसपा नहीं लड़ेगी उपचुनाव: सतीश रवि
मुजफ्फरनगर के बसपा जिलाध्यक्ष सतीश रवि ने का कहना है कि पूर्व मुख्यमंत्री मायावती से उन्होंने चुनाव की बाबत लखनऊ जाकर मुलाकात की। खतौली में चुनाव की संभावनाओं पर चर्चा हुई। तय किया गया है कि बसपा उप चुनाव नहीं लड़ेगी।