धूमल की हार का बदला लेने उतरे “रणजीत”, राणा हैट्रिक बनाने को आतुर…

हमीरपुर, 03 नवंबर : हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में हमीरपुर की सुजानपुर सीट पर निगाहें टिकी हुई हैं। इसकी वजह है कि पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल का गृह निर्वाचन क्षेत्र है। साथ ही केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर की भी प्रतिष्ठा दांव पर है।

        दिलचस्प ये है कि 2017 में यहां के मतदाताओं ने भाजपा के सीएम कैंडिडेट को ही हराकर देश की राजनीति को अचंभित कर दिया था। 2017 में धूमल को हराने वाले राजेंद्र राणा कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतरे हैं, लेकिन भाजपा ने इस चुनाव में धूमल को राणा से बदला लेने का मौका नहीं दिया है। इस कारण धूमल के निष्ठावान सिपाही पूर्व सैनिक रणजीत सिंह  को भाजपा ने मैदान में उतारा है।

      वैसे तो समूचे प्रदेश में जातीय समीकरणों के आधार पर भी राजनीतिक शतरंज की बिसात बिछाई जा रही है, लेकिन इस निर्वाचन क्षेत्र में प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला देश सेवा करने वाले फौजी भी तय करते हैं।

       भाजपा ने फौजी बाहुल्य क्षेत्र में कांग्रेस के फायर ब्रांड नेता राजेंद्र राणा के खिलाफ फौजी को उतार कर दांव खेला है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल की सिफारिश पर ही पार्टी ने टिकट तय किया है। हालांकि, पहले एक महिला प्रत्याशी का भी इस निर्वाचन क्षेत्र से नाम चल रहा था, लेकिन भाजपा ने पूर्व सैनिक पर ही विश्वास जताया।

      पुनर्सीमांकन में बमसन का अधिकतर इलाका सुजानपुर निर्वाचन क्षेत्र में शामिल हुआ, ऐसा माना जाता है कि बमसन में प्रदेश के सबसे अधिक सैनिक व पूर्व फौजी हैं। सुजानपुर में इस समय 2186 सर्विस वोटर हैं, जो सीधे तौर पर सेना व अर्द्धसैनिक बलों से जुड़े हैं। इतनी ही संख्या में पूर्व सैनिकों के परिवार भी हो सकते हैं।
बड़ा सवाल ये है कि क्या भाजपा प्रत्याशी रंजीत सिंह द्वारा धूमल की हार का बदला लिया जा सकेगा या नहीं।

      गौरतलब है कि भाजपा ने 2017 के चुनाव में धूमल की सीट को हमीरपुर से बदलकर सुजानपुर कर दिया था। चुनाव के अंतिम दौर में पार्टी के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने धूमल को सिरमौर के राजगढ़ की जनसभा में सीएम कैंडिडेट घोषित किया था। चूंकि, धूमल का सुजानपुर गृह क्षेत्र था, साथ ही सीएम कैंडिडेट भी बन गए थे, लिहाजा मामूली अंतर से हार की बजाय बंपर जीत की प्रबल संभावनाएं जताई जा रही थी।

2017 का रोचक पहलू…
चुनाव में धूमल 1919 मतों के अंतर से हारे थे। नोटा सहित अन्य प्रत्याशियों को कुल 2,042 वोट प्राप्त हुए थे। सीपीएम के प्रत्याशी ने 1,023 मत प्राप्त किए थे। 2,042 में से 1,920 वोट धूमल को पड़ जाते तो समीकरण कुछ और होता।

       उल्लेखनीय है कि कांग्रेस के मौजूदा प्रत्याशी राजेंद्र राणा ने 2012 के चुनाव में बतौर आजाद उम्मीदवार एक शानदार जीत हासिल की थी। राणा के खिलाफ भाजपा तो फाइट में ही नजर नहीं आई थी, जबकि कांग्रेस की निकटतम प्रत्याशी अनीता वर्मा को 14,166 मतों के अंतर से हराकर 55.02 प्रतिशत का वोट शेयर प्राप्त किया था।

1998 से रहा धूमल का तिलिस्म…
1998 में धूमल ने बमसन सीट से चुनाव लड़ा। मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने से पहले 60.34 फीसदी वोट लेकर विधायक बने थे। कांग्रेस 34.63 पर सिमट गई थी। 2003 में धूमल का ग्राफ बढ़कर 66.73 हो गया। धूमल ने कांग्रेस के वोट बैंक पर करीब 3.5 प्रतिशत की सेंध लगाई तो निर्दलीयों के खाते से भी 2.50 फीसदी वोट बटोर लिए। 2007 में धूमल ने जीत के अंतर का एक रिकॉर्ड ही कायम कर लिया। 26,537 वोटों से जीतने के बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी पर दूसरी बार काबिज हुए।

           2007 के चुनाव में धूमल ने 35,404 मतों का बड़ा आंकड़ा हासिल किया था। कांग्रेस 9,047 पर अटक गई थी। अब ये धूमल की बैड लक थी या राणा की गुडलक, 2012 में धूमल हमीरपुर विधानसभा में शिफ्ट हो गए। हालांकि, वहां से भी जीते, लेकिन इधर राणा को पांव जमाने का मौका मिल गया। कांग्रेस 23.43 पर सिमटी तो भाजपा का ग्राफ शर्मनाक स्थिति में पहुंच गया।

        बेशक ही इस निर्वाचन क्षेत्र में जंग रंजीत सिंह व राजेंद्र राणा के बीच हो रही है, लेकिन धूमल लाजमी तौर पर चाहते होंगे कि राणा को एक बड़े अंतर से हराकर अपनी हार का बदला लिया जाए। ये भी साफ जाहिर हो रहा है कि धूमल अब अपनी राजनीतिक विरासत को बेटे अनुराग ठाकुर को सौंप चुके हैं। विधानसभा चुनाव से चंद माह पहले अनुराग ठाकुर को भी सीएम कैंडिडेट बनाए जाने की अटकलें थी, लेकिन जेपी नड्डा ने कार्यकर्ताओं से मुलाकात के दौरान वाहन में सवार होने के दौरान ही इन अटकलों पर उस समय विराम लगा दिया, जब जयराम ठाकुर को ही सीएम चेहरा बताया था।

उम्मीदवारों की चल एवं अचल संपत्ति 

सुजानपुर हल्के से कांग्रेस के 56 वर्षीय राजेन्द्र राणा धनकुबेर प्रत्याशियों की सूची में शामिल हैं। उनके परिवार के पास 31.97 करोड़ की चल एवं अचल  संपत्ति है। नामांकन के दौरान चुनाव आयोग को दिए हलफनामे में राजेंद्र राणा के परिवार के नाम 1.65 करोड़ की चल और 30.32 करोड़ की अचल  संपत्ति है। राजेन्द्र राणा के पास 85.25 लाख और पत्नी के पास 79.91 लाख की चल संपत्ति है। उनके पास 11 लाख के आभूषण हैं। वहीं पत्नी के पास 20 लाख के गहने हैं।

         हलफनामे के मुताबिक राजेन्द्र राणा की 17.57 करोड़ और पत्नी की 12.75 करोड़ की अचल  संपत्ति  है। राणा परिवार का चंडीगढ़ और मोहाली में 7 व्यवसायिक और रिहायशी भवन हैं। इसके अलावा उनके नाम कृषि और गैर कृषि जमीन भी है। राजेन्द्र राणा के नाम 17 लाख और 9 लाख की दो गाड़ियां हैं। उन पर 37.34 लाख की देनदारियां भी हैं। पिछले वितीय वर्ष में उन्होंने 23.88 लाख का आयकर भरा है। राजेंद्र राणा ने अपनी आय का जरिया व्यापार, विधायक का वेतन, व्यावसायिक व अन्य भवनों से आने वाला किराया और खेती है।

              सुजानपुर हल्के से भाजपा ने इस बार सेवानिवृत्त कैप्टन रणजीत सिंह राणा पर दांव खेला है। पहली बार किस्मत आजमा रहे रणजीत सिंह राणा के परिवार की चल एवं अचल संपत्ति 62.94 लाख है। चुनावी हलफनामे में रणजीत सिंह राणा के परिवार की चल संपत्ति 39.67 लाख और अचल संपत्ति 23.27 लाख है। रणजीत सिंह के नाम 21.82 लाख और पत्नी के नाम 17.85 लाख की चल संपत्ति है। जिसमें कई बैंक खातों में जमा रकम और विभिन्न पॉलिसियां शामिल हैं। इसके अलावा रणजीत सिंह के पास 20.16 लाख और पत्नी के पास 3.11 लाख की एग्रीकल्चर, नॉन एग्रीकल्चर लैंड और रेजिडेंशियल बिल्डिंगज़ शामिल हैं।

ये हैं मैदान में…
कांग्रेस के राजेंद्र राणा व भाजपा के रणजीत सिंह राणा के अलावा बहुजन समाज पार्टी के ज्ञान चंद मैदान में उतरे हैं। इसके अलावा आम आदमी पार्टी से अनिल राणा व निर्दलीय के तौर पर राजेश कुमार भी चुनावी मैदान में हैं।

सुजानपुर विस क्षेत्र में वोटरों की संख्या… 
सुजानपुर विधानसभा क्षेत्र में वर्तमान में 73,790 मतदाता हैं।  इसमें 36,969 पुरुष और 36,821 महिला मतदाता शामिल हैं। यहां पर 2,141 सर्विस वोटर भी हैं। यहां जिला के अन्य विधानसभा क्षेत्रों के मुकाबले सर्विस वोटर अधिक हैं। ऐसा माना जाता है कि इस क्षेत्र में सैनिक और पूर्व सैनिक पूर्व सैनिकों परिवारों की संख्या अधिक है। यहां जीत और हार के अंतर का अनुमान लगाना बेहद मुश्किल है। पिछले तीन चुनावों में इस सीट पर जीत का अंतर 1919 से लेकर 26,007 तक रहा है।

सुजानपुर विस क्षेत्र के चुनावी मुद्दे…
सुजानपुर विधानसभा क्षेत्र में पर्यटन की संभावना  जिला के अन्य विस क्षेत्रों के मुकाबले में कहीं अधिक है। यहां पर पर्यटन विकसित नहीं हो सका है। कई सरकारें आई व गई लेकिन पर्यटन की ओर किसी ने ध्यान नहीं दिया । वहीं, बस स्टैंड की बात करें तो सुजानपुर में बस स्टैंड भी नहीं बन सका है। मिनी सचिवालय का निर्माण तो यहां पर लगभग पूरा हो गया है, लेकिन अभी तक इसका लोकार्पण भी नहीं किया जा सका है। इस क्षेत्र में पेयजल की दिक्कत भी लोगों को गर्मियों में पेश आती है, हालांकि यहां पर बड़ी पेयजल योजनाएं बनाई गई हैं, जिससे कुछ हद तक लोगों की समस्या का निदान हुआ है।