हिमाचल में दुर्लभ संयोग, महिला ने 108 एंबुलेंस में तीन स्थानों पर जन्मे 3 शिशु, ये खास खबर…

कहते हैं, कुदरत जब देती है तो छप्पर फाड़ कर देती है। ऐसा ही सलूणी तहसील के भांदल की 23 वर्षीय सोनिया पत्नी राजकुमार के साथ हुआ है। महिला ने एक नहीं, बल्कि तीन शिशु जन्मे हैं। इसमें दो बेटे व एक बेटी हैं।

तड़के 3 बजे किहार सिविल अस्पताल से सोनिया को चंबा रैफर किया गया था। रास्ते में सोनिया की गोद में तीन अलग-अलग स्थानों पर 108 एंबूलेंस में किलकारियां गूंजी। बेटी का जन्म तो ठीक मेडिकल कॉलेज के गेट पर ही हुआ।

पहले तो ट्रिपलेटस डिलीवरी ही दुर्लभ है। दूसरी ये खास बात है कि तीन शिशुओं का जन्म 108 एंबुलेंस में हुआ। तीसरी बात ये है कि तीनों बच्चों का जन्म अलग-अलग स्थानों पर नार्मल डिलीवरी में हुआ। अमूमन जुड़वां बच्चों तक की डिलीवरी नार्मल नहीं होती। लेकिन इस मामले में ट्रिपलेटस डिलीवरी ही सामान्य कर दी गई।

तीनों नवजात शिशु चंबा मेडिकल कॉलेज स्टाफ की आंखों का तारा बने हुए हैं। मेडिकल कॉलेज प्रशासन के मुताबिक 108 एंबूलेंस में तीन बार डिलीवरी के दौरान ईएमटी सुनील व पायलट सुरेश मौजूद थे।

वैसे तो 108 वाले एंबूलेंस में प्रसूति करवाने के माहिर हैं। बेहद ही कम मामलों में जुड़वां बच्चों की डिलीवरी होती है, लेकिन यहां तक अनोखी प्रसूति हुई। इसकी चर्चा पूरे मेडिकल कॉलेज के अलावा अब शहर में भी होने लगी है।

एमबीएम न्यूज नेटवर्क के प्रतिनिधि ने मेडिकल कॉलेज में पहुंचकर पाया कि जच्चा व बच्चे उपचाराधीन है, साथ ही स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं। परिवार से मिली जानकारी के मुताबिक प्रसव पीड़ा शुरू होने पर परिजन पहले उसे सिविल अस्पताल तीसा लेकर पहुंचे।

रात करीब एक बजे चंबा मेडिकल कॉलेज रैफर कर दिया गया। रास्ते में प्रसव पीड़ा बढ़ने पर ईएमटी व पायलट ने रास्ते में ही प्रसव कराने का फैसला लिया। पहले बेटे का जन्म कियाणी में हुआ। जबकि दूसरे बेटे की किलकारी बालू के समीप हुई है। तीसरी बेटी का जन्म मेडिकल कॉलेज के गेट के नजदीक ही हुआ।

बताया जा रहा है कि पहली डिलीवरी मेडिकल कॉलेज से 20 किलोमीटर की दूरी पर हुई। इसके बाद 5 किलोमीटर के सफर के बाद दूसरी किलकारी गूंजी। सबसे आखिर में मेडिकल कॉलेज के गेट पर तीसरी डिलीवरी बेटी की हुई।

 एक बेटे का वजन एक किलो के आसपास है, जबकि दूसरे का 1300 ग्राम है। बेटी का वजन 985 ग्राम है। नवजात शिशुओं को स्पेशल केयर यूनिट में रखा गया है। संभव है कि 108 एंबुलेंस के इतिहास में ये मामला अपनी तरह का पहला ही होगा