उम्र 21 साल..माता-पिता कैंसर से पीड़ित…बड़ी बेटी होने की वजह से माता-पिता के उपचार की भी जिम्मेदारी…ऐसी परिस्थिति में होनहार बेटी यदि, 22 साल की उम्र में देश में संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की सबसे कठिन परीक्षा को न केवल उत्तीर्ण कर ले, बल्कि राष्ट्र स्तर पर 88वां रैंक पाए तो निश्चित ही कामयाबी की दास्तां बेहद ही दुर्लभ (Rare Success Story) होगी। इस लेख में, हम पंजाब के मोगा की रहने वाली आईएएस अधिकारी रितिका जिंदल के बारे में बात करेंगे, जिन्होंने कई कठिनाइयों का सामना किया लेकिन यूपीएससी परीक्षा में AIR 88 हासिल किया।
विडंबना देखिए, माता-पिता ने बेटी के आईएएस अधिकारी (IAS officer) बनने की खबर तो सुनी, लेकिन उसे आईएएस बनते देखने के लिए संसार में नहीं रहे। दिसंबर 2018 में पिता ने संसार त्याग दिया तो दो महीने के अंतराल में ही मां भी दुनिया से चल बसी। मां के निधन के वक्त आईएएस रितिका जिंदल (IAS Ritika Jindal) मसूरी में प्रशिक्षण प्राप्त कर रही थी।
छोटे भाई ने हाल ही में ग्रैजुएशन (Graduation) की पढ़ाई पूरी की है। माता-पिता के निधन ( Mother& Father demise) के बाद रितिका पर ही छोटे भाई की परवरिश (Care) की जिम्मेदारी भी आ गई। हाल ही में मंडी (Mandi) के एसडीएम पद से आईएएस रितिका जिंदल का तबादला ट्राइबल (Tribal) क्षेत्र पांगी में आवासीय आयुक्त के तौर पर किया गया। रितिका ने सरकार के आदेश को सहर्ष स्वीकार किया। बता दे कि पहाड़ी प्रदेश में इस इलाके को “काला पानी” भी कहा जाता है। तकरीबन 27 साल की अधिकारी रितिका ने जीवन में इतने बड़े स्तर की कठिनाईयों का सामना किया था, जिसके सामने पांगी का स्थानांतरण (Transfer) बौना साबित हो रहा था।
पांगी में पहली महिला (First Female) आवासीय आयुक्त (Resident Commissioner) बनने का गौरव तो हासिल किया ही है, साथ ही सबसे युवा आवासीय आयुक्त (Youngest RC) भी बनी है। एमबीएम न्यूज नेटवर्क से आईएएस रितिका जिंदल ने लंबी बात की। सीबीएसई(CBSE) के नॉर्थ जोन में 12वीं की परीक्षा में टॉपर (Topper) रही रितिका जिंदल बताती हैं कि स्कूल के वक्त से आईएएस (IAS) अधिकारी बनने का सपना देखा था। काॅलेज (College) की पढ़ाई पूरी होते ही माता-पिता को कैंसर जैसी बीमारी से पीड़ित पाया। एक बार लगा था कि लक्ष्य पूरा नहीं कर पाएगी, लेकिन माता-पिता ने प्रोत्साहित किया।
कैसे, बन सकते हैं 22 की उम्र में आईएएस…
हालांकि, रितिका जिंदल ने पहले प्रयास में परीक्षा की तीन बाधाओं को पार कर लिया था, लेकिन अंतिम चरण में सफलता नहीं मिली थी, लिहाजा दूसरे प्रयास में रितिका को परीक्षा क्रैक (UPSC Crack) करने में कोई खास मुश्किल नहीं आई। एमबीएम न्यूज नेटवर्क के सवाल पर पंजाब (Punjab) के मोगा की रहने वाली रितिका जिंदल ने कहा कि यदि आप आईएएस बनना ही चाहते हो तो कॉलेज में दाखिला लेते ही इस पर केंद्रित हो जाना चाहिए।
बोली, मैंने काॅमर्स की पढ़ाई की….यूपीएससी में भी काॅमर्स के विषयों को ही चुना था। बेशक ही बचपन से आईएएस बनने का सपना देखा करती थी, लेकिन इस पर गंभीरता काॅलेज की पढ़ाई के दौरान आई। एक बात साफ है कि परीक्षा क्रैक करनी है तो सोशल मीडिया (Social Media) को तो अलविदा कहना ही होगा। मौजूदा में भी सोशल मीडिया का इस्तेमाल कम करती हूं। ये मानकर चलना होता है, 12 से 14 घंटे की सीटिंग(Seating) जरूरी है। माता-पिता की बीमारी के दौरान परीक्षा की तैयारी में दिक्कत तो आई, चूंकि कॉलेज के फर्स्ट ईयर (First Year) से ही तैयारी शुरू कर दी थी, लिहाजा पारिवारिक जिम्मेदारियों के साथ-साथ यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी करने में कामयाब रही
सफलता से जुड़ी ये बातें
पिता दिवंगत अमृत पाल मोगा में ही एक निजी कंपनी में प्रोडक्शन मैनेजर थे,जबकि दिवंगत माता शिवानी जिंदल गृहिणी थी। आईएएस अधिकारी (IAS officer) ने मोगा से स्कूली शिक्षा पूरी की। वो उत्तर भारत में CBSE की 12 कक्षा की नॉर्थ जोन की टॉपर भी रही। इसके बाद दिल्ली के श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स ( Shri Ram college of commerce) से स्नातक की पढ़ाई पूरी की। कॉलेज में 95 फीसदी अंकों के साथ तीसरे स्थान पर रही। 2018 में दूसरे प्रयास में यूपीएससी परीक्षा पास की। दिसम्बर 2018 में पिता के निधन के दो महीने बाद ही माता का भी निधन हो गया। माता के निधन के समय लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी मसूरी ( Lal Bahadur Shastri National Academy of Administration) में ट्रेनिंग ले रही थी।
रितिका जिंदल के लिए आईएएस बनना आसान नहीं था, यूपीएससी परीक्षा की तैयारी के दौरान उनके पिता को मुंह के कैंसर का पता चला था। हालात तब और खराब हो गए जब कुछ महीनों के बाद ही पिता को फेफड़े के कैंसर का पता चला। रितिका को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी जारी रखी।”जब भी पिता अस्वस्थ होते थे,तो उन्हें इलाज के लिए लुधियाना ले जाना पड़ता था और रितिका को साथ अस्पताल जाना पड़ता था।