भारतीय वन ख़तरों से भरे हैं. यहां जंगली जानवरों से ज़्यादा उन इंसानों का डर है जो जानवरों को तस्करी के लिए मार डालते हैं. इस खतरे को जानते हुए एक लड़की है, जो जानवरों के रेस्क्यू में लगी हुई है और अब तक 1000 से ज़्यादा जानवरों को रेस्क्यू कर चुकी है.
इस बहादुर लड़की का नाम है रसीला वढेर (Rasila Wadher). वो गुजरात के गिर वन में काम करती हैं. वो पहली महिला हैं, जो वन विभाग में जानवरों को रेस्क्यू करने का काम कर रही हैं. 2007 में रसीला ने वनकर्मी की परीक्षा पास की थी. इससे पहले वो गाइड के तौर पर काम कर रही थी. रसीला के बारे में आईएफएस परवीन कासवान ने ट्विटर पर जानकारी दी.
उन्होंने कैप्शन में लिखा:
ये रसीला हैं, गुजरात के गिर में फॉरेस्टर. वो अभी तक 1000 से ज़्यादा जानवरों को रेस्क्यू करने वाली टीम का हिस्सा हैं, जिसमें 300 शेर, 500 तेंदुए, मगरमच्छ और दुर्लभ सांप की प्रजातियां शामिल हैं. इन जानवरों को रेस्क्यू करने से लेकर उन्हें कंट्रोल करने तक, वो जंगल में जिस तरह चलती हैं उतने कॉन्फिडेंस से जंगल का राजा शेर भी नहीं चलता.
ये ट्वीट परवीन ने World Lion Day के मौके पर किया था. 2007 में गुजरात के वन विभाग में पहली महिला टीम का गठन हुआ था. इसका श्रेय उस समय के मुख्यमंत्री रहे, नरेंद्र मोदी को जाता है. महिलाओं को जंगल में तैनात करने वाला पहला राज्य भी गुजरात ही है. तभी से महिलाएं यहां के शेर और बाकी जानवरों की देखभाल कर रही हैं. इसके साथ-साथ ये भी जानना ज़रूरी है कि इन जंगलों में जानवर किसी पिंजरे में नहीं बंधे होते। इसलिए ये काम और रिस्क भरा हो जाता है.
क्या काम करती हैं रसीला?
साल 2008 में रसीला ने जंगल जाना शुरू किया. जंगली जानवरों के पास जाना, उनकी देखभाल वो शुरू से ही चाहती थी. रसीला ने रेस्क्यू ऑपरेशन में भाग लेना शुरू किया. वो अब तक कई जानवरों को नई ज़िन्दगी दे चुकी हैं. साथ ही उनके काम का कोई फिक्स्ड टाइम नहीं होता. जानवरों को कभी भी रेस्क्यू करना पड़ता है, जैसे ही कॉल आती है, वो चली जाती हैं.
रसीला का काम ज़िम्मेदारी का काम है. उन्हें जानवरों की मरहम-पट्टी से लेकर उन्हें इंजेक्शन भी लगाने पड़ते हैं. लेकिन, अगर किसी को रसीला की तरह काम का जूनून हो, तो वो चुनौतियों से भरा ये काम कर सकता है.