टीवी एक्ट्रेस रतन राजपूत सोशल मीडिया पर खासा एक्टिव हैं। उन्होंने एक्टिंग नहीं छोड़ी है, बस सही प्रोजेक्ट की तलाश में लगी हुई हैं। इस बीच उन्होंने एक इंटरव्यू में छठ पूजा के बारे में बात की है। अपने पहले व्रत से लेकर अब वह क्यों इस पर्व को नहीं सेलिब्रेट कर पा रही हैं, सब बताया है।
दिवाली के बाद ‘छठ पूजा’ का मौसम आ जाता है। मूल रूप से बिहार में मनाया जाने वाला यह पर्व वहां के रहने वालों के लिए बेहद खास होता है। सभी इसे धूमधाम से मनाते हैं। इस त्योहार का लोग बेसब्री से इंतजार भी करते हैं। आम इंसान हो या फिर कोई नामचीन, सबके यहां इसकी गूंज सुनाई देती है। लेकिन इस बार रतन राजपूत इस महापर्व को नहीं सेलिब्रेट कर पाईं। ऐसा क्यों खुद उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया है।
रतन राजपूत (Ratan Raajputh) ने आजतक डॉट इन से खास बातचीत में कहा कि एक बिहारी होने का दर्द उस समय सबसे ज्यादा होता है जब आप किसी वजह से छठ में घर नहीं जा पाते हैं। एक्ट्रेस ने बताया कि इस पर्व का नाम सुनते ही उन्हें बिहार, परिवार, ठेकुआ और डिसीप्लीन याद आता है। एक्ट्रेस ने इस दौरान अपने पहले छठ की भी यादें साझा की। बताया कि जब उन्होंने इस व्रत को रखा था, तब क्या-क्या हुआ था।
परिवार से ऐसा है रतन राजपूत का रिश्ता
त्योहार से जुड़ी यादें शेयर करते हुए रतन राजपूत बताती हैं कि उनका परिवार में कभी दोस्ताना रिलेशन नहीं रहा है। उनकी गरिमा का लिहाज करना। उनके पैर छूना। इसी तरह की बॉन्डिंग होती है। अब जिस दिन उन्होंने इस व्रत को रखा था, उस दिन वह अपनी मां के साथ पूजा वाले कमरे में सोई हुई थीं। दीदी उनका और मां का पैर दबा रही थीं।
रतन राजपूत का पहला छठ व्रत
रतन राजपूत के मुताबिक, उस वक्त उन्हें घर में सबसे छोटा बच्चा नहीं बल्कि मां के बराबर देखा जा रहा था क्योंकि उन्होंने व्रत रखा था। उस वक्त सभी उनके लिए काम कर रहे थे। कोई उनसे काम नहीं करवा रहा था, जो हमेशा उसके लिए इधर-उधर दौड़ाया करता था। एक्ट्रेस ने आगे बताया कि उन्होंने ये व्रत टीवी सीरियल ‘अगले जन्म मोहे…’ और ‘स्वयंवर’ के बाद किया था। उन्होंने कोई मन्नत नहीं मांगी थी। बस भगवान का धन्यवाद करना चाहती थीं।
इसलिए नहीं कर पाईं छठ पूजा
रतन ने बताया कि इस साल वह इस त्योहार को इसलिए नहीं कर पा रही हैं क्योंकि बिन ब्याही लड़कियों के लिए समाज में कई दिक्कते हैं। यह सिर्फ शादीशुदा औरते ही रख सकती हैं। उनको ही ये अधिकार है। जिन्होंने शादी के बारे में नहीं सोचा है या शादी नहीं हुई है, तो उनकी हालत न घर की न घाट की वाली हो जाती है। उनका कहना है कि ससुराल उनका है नहीं और वह मायके में अब ऐसी चीज कर नहीं सकती हैं।