प्रदेश में राशन कार्ड सही करने के लिए राशन कार्ड डाटा का मिलान आधार कार्ड के डाटा से किया जा रहा है। इस प्रक्रिया को ई-केवाईसी (इलेक्ट्रॉनिकली नो योर कस्टमर) अथवा अपने ग्राहक को जाने व पहचाने नाम दिया गया है।
प्रदेश के सभी उपभोक्ता उचित मूल्य की दुकान पर जाकर ई-केवाईसी की प्रक्रिया को 15 जून, 2022 तक पूर्ण करवाएं। यदि उपभोक्ता किसी कारणवश प्रदेश से बाहर हैं, वे प्रदेश वापसी पर ई-केवाईसी करवाने के लिए अपनी ग्राम पंचायत में समीप की उचित मूल्य की दुकान पर जाकर अपनी ई-केवाईसी करवा लें।
खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग के एक प्रवक्ता ने मंगलवार को यह जानकारी दी। प्रवक्ता ने कहा कि भारत सरकार ने वर्ष 2019 में सभी सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लाभार्थियों की ई-केवाईसी करने के निर्देश दिए थे, परन्तु कोविड-19 के कारण यह कार्य नहीं किया जा सका और स्थिति सामान्य होने के कारण अब इसे किया जा रहा है। केन्द्र सरकार ने शत-प्रतिशत लाभार्थियों की ई-केवाईसी करने के निर्देश दिए हैं।
उन्होंने कहा कि टीपीडीएस कंट्रोल ऑर्डर-2015 के अनुसार राज्य सरकारों को लाभार्थियों की सूची का मूल्यांकन करना अनिवार्य है ताकि अनुचित परिवारों एवं लाभार्थियों को डाटाबेस से हटाया जा सके और सही लाभार्थियों का विवरण आधार में दर्ज विवरण के अनुरूप हो सके। इससे लाभार्थी राशनकार्ड डाटा का अन्य योजनाओं में भी सुगमतापूर्वक उपयोग कर सकेंगे।
प्रवक्ता ने कहा कि ई-केवाईसी एक साधारण प्रक्रिया है और उपभोक्ता राशन लेने के लिए उचित मूल्य की दुकान में जाएगा तो उसकी ई-केवाईसी उसी समय उचित मूल्य दुकान धारक द्वारा कर दी जाएगी। एक सदस्य की ई-केवाईसी में आधा मिनट का समय भी नहीं लगता है। ई-केवाईसी करवाना प्रत्येक राशन कार्ड धारक को अति आवश्यक है। इसके लिए परिवार के प्रत्येक सदस्य को उचित मूल्य की दुकान पर जाना होगा अथवा उचित मूल्य दुकान धारक गांवों में जाकर भी यह प्रक्रिया पूरी कर सकता है।
उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा प्रत्येक सफल ई-केवाईसी के लिए उचित मूल्य की दुकान के संचालक को चार रुपये प्रति प्रविष्टि पारिश्रमिक के रूप में दिया जाएगा। इस प्रक्रिया के लिए उपभोक्ता के पास राशन कार्ड संख्या या आधार संख्या होना अनिवार्य है।
विभाग द्वारा सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के साथ मिलकर ई-केवाईसी के लिए सभी उचित मूल्य दुकान धारकों को प्रशिक्षण प्रदान किया गया है। इस बारे सभी जिला पंचायत अधिकारियों, खण्ड विकास अधिकारियों एवं पंचायत सचिवों व सहायकों को भी प्रशिक्षण दिया गया है।