रतलाम: एंबुलेंस नहीं आई तो गर्भवती को बाइक पर ले गए घरवाले, रास्ते में ही डिलीवरी

इतलाम के इस आदिवासी गांव में इस तरह सड़क पर कराना पड़ा गर्भवती का प्रसव.

इतलाम के इस आदिवासी गांव में इस तरह सड़क पर कराना पड़ा गर्भवती का प्रसव.

रतलाम. मध्य प्रदेश के गांवों में स्वास्थ्य सेवा का हाल समझना हो तो रतलाम की इस खबर को पढ़ें. रतलाम के आदिवासी अंचल के एक गांव में एक गर्भवती महिला को प्रसव पीड़ा हुई. परिजनों ने 108 नंबर पर कॉल कर एंबुलेंस की जरूरत बताई. घंटों इंतजार करने के बाद भी जब एंबुलेंस गांव में नहीं पहुंची तो परिजनों ने मोटरसाइकिल पर गर्भवती महिला को स्वास्थ्य केंद्र तक ले जाना तय किया. पर अस्पताल ले जाने के क्रम में ही महिला की पीड़ा तेज हो गई और रास्ते में उसने बच्ची को जन्म दिया.

यह मामला सैलाना विधानसभा क्षेत्र के बरड़ा पंचायत के बयोटेक गांव का है. एंबुलेंस के न पहुंचे और रास्ते में ही बच्ची के जन्म की सूचना मिलने के बाद सैलाना ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर जितेंद्र रैकवार एंबुलेंस के साथ मौके पर पहुंच गए. उन्होंने महिला और नवजात बच्ची को सैलाना सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया. डॉक्टर के अनुसार, फिलहाल जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ हैं. ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर ने इस स्थिति के लिए सड़क न होने की बात कही और मोबाइल नेटवर्क की समस्या की बात भी बात कही. बता दें कि यह गांव जयस के नेता केशुराम निनामा का पैतृक गांव है. निनामा इस बार जिला पंचायत में उपाध्यक्ष निर्वाचित हुए हैं. उन्होंने भी इस मामले को लेकर तीखी प्रतिक्रिया जाहिर की है.

गांव पहुंचे बीएमओ, एंबुलेंस साथ लाए

सूचना मिलने के तुरंत बाद सैलाना बीएमओ डॉ. जितेंद्र रैकवार एंबुलेंस के साथ गांव में पहुंचे और मां-बच्ची को सैलाना सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया. बीएमओ डॉ जितेंद्र ने बताया की गांव में सड़क नहीं होने से वहां एम्बुलेंस ले जाने में समस्या आती है. गांव में मोबाइल नेटवर्क की समस्या शुरू से है. जिससे परिजनों से संपर्क करने में काफी समस्या आती है. सीएमओ डॉ. प्रभाकर ननावरे ने मामले में बताया की महिला व बच्चे के स्वास्थ्य की जानकारी लेकर जरूरी निर्देश दिए गए हैं. यह 108 एंबुलेंस का मामला है, जिसे गंभीरता से दिखवाया जा रहा है. अगर कोई दोषी है तो उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी.