पूर्व भारतीय क्रिकेटर और टीम इंडिया के हेड कोच रहे रवि शास्त्री ने अपनी 37 साल पुरानी ऑडी कार की तस्वीर सोशल मीडिया पर शेयर की है. शास्त्री को यह ऑडी-100 कार 1985 में बेंसन एंड हेजेस वर्ल्ड चैम्पियनशिप में प्लेयर ऑफ द सीरीज रहने पर इनाम के तौर पर मिली थी. अपनी इस कार को वापस 37 साल पुराने लुक में देखकर शास्त्री इमोशनल हो गए और उन्होंने फैंस के लिए इस कार की तस्वीरें शेयर की. उद्योगपति गौतम सिंघानिया के सुपर कार क्लब गैरेज ने इस कार को पुराना लुक दिया है. उन्होंने खुद ऑडी-100 कार शास्त्री को सौंपी. इसे पुराने लुक में लाने में करीब 8 महीने का वक्त लगा है.
रवि शास्त्री ने इस कार की तस्वीर ट्विटर पर शेयर करने के साथ लिखा, “इस लम्हे को देखकर पुराने दिन ताजा हो गए. यह देश की संपत्ति है. सबकुछ पहले दिन जैसा दिख रहा है. मैं ऑडी कार चलाता हूं और और इसको पहले जैसे लुक में देखना मेरे लिए खास है.”
बता दें कि भारत ने 1985 में सुनील गावस्कर की कप्तानी में बेंसन एंड हेजेस कप जीता था. तब भारतीय टीम ने मेलबर्न में हुए फाइनल में पाकिस्तान को 8 विकेट से हराया था. फाइनल में रवि शास्त्री ने एक विकेट लेने के साथ नाबाद 63 रन की पारी खेली थी. उन्होंने पूरे टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन किया था और 182 रन बनाने के साथ 8 विकेट भी हासिल किए थे. इसी ऑल राउंड प्रदर्शन के कारण उन्हें प्लेयर ऑफ द सीरीज चुना गया था और इनाम के रूप में ऑडी-100 कार दी गई गई थी.
इस कार के रिस्टोर होने के बाद रवि शास्त्री ने इंडियन एक्सप्रेस के लिए लिखे एक आर्टिकल में इससे जुड़ी तीन दिलचस्प कहानियां बताई हैं.
जब जावेद ने कहा- तू बार-बार उधर क्या देख रहा?
रवि शास्त्री ने इंडियन एक्सप्रेस के आर्टिकल में बताया कि कैसे फाइनल के दौरान उनकी जावेद मियांदाद के साथ मीठी नोंकझोंक हुई थी. शास्त्री ने लिखा, “भारत को जीत के लिए 15-20 रन और चाहिए थे. मैं बल्लेबाजी कर रहा था. तभी मियांदाद ने मुझसे कहा कि तू बार-बार गाड़ी को क्यों देख रहा है? वो तुझे नहीं मिलने वाली है. उसी वक्त, मैंने पहली बार गाड़ी को ध्यान से देखा था और फिर मियांदाद से कहा था जावेद चिंता मत करो, यह गाड़ी मेरे पास ही आ रही है और उसके बाद जो हुआ, वो इतिहास है.”
पोर्ट पर कार देखने के लिए 10 हजार लोग थे
शास्त्री को इनाम में मिली ऑडी-100 कार को भारत में लाना भी किसी चुनौती से कम नहीं था. तब तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने टैक्स माफ करने का बड़ा निर्णय लिया था, ताकि ये कार भारत लाई जा सके. शास्त्री ने बताया,”डॉक के बाहर कार को देखने के लिए 8 से 10 हजार लोग मौजूद थे. मैंने कार चलाने से इनकार कर दिया. क्योंकि मुझे इतनी भीड़ देखकर इस बात का डर सता रहा था कि कहीं मैं इस कार को लोगों के बीच नहीं घुसा दूं. तब तक ऑडी को मैंने ठीक से चलाना भी नहीं सीखा था. हालांकि, ऑडी से एक ड्राइवर मिल गया था, जिसने सही सलामत कार को मेरे घर तक पहुंचाया और उसमें एक भी स्क्रैच नहीं आया.”
रवि शास्त्री ने इस कार से जुड़ी, जो तीसरी दिलचस्प कहानी सुनाई, वो उनकी बेटी से जुड़ी है. रवि ने बताया, “इसमें सबसे अच्छी बात यह है कि मेरी बेटी ने जिंदगी में पहली बार कार देखी थी. वह पहली बार उसमें बैठी थी. आने वाले वक्त में मैं दोबारा बेटी के साथ इस कार की सवारी करूंगा. मेरे लिए यह जिंदगी का एक चक्र पूरा होने जैसा होगा.”