नाहन, 01 जुलाई: 28 साल का रविंद्र लंबे समय से कैंसर के रोग से जिंदगी की लड़ाई लड़ रहा था। सलानी कटोला पंचायत के कौंथरोवाला का ये रविंद्र जिंदगी की जंग हार गया। गरीब माता-पिता की बुढ़ापे की एकमात्र लाठी टूट गई।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने 20 जून को गरीब पिता शमशेर सिंह का दुख पाठकों से साझा किया था। इसके बाद रविंद्र की दीर्घायु को लेकर दुआएं भी मांगी जा रही थी। साथ ही आर्थिक मदद भी भेजी जा रही थी, लेकिन रविंद्र के हाथ से जिंदगी की डोर छूट गई।
वीरवार को पैतृक गांव में रविंद्र का अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान मौजूद लोगों की आंखों में आंसू तो थे ही, साथ ही गरीब दंपत्ति के भविष्य को लेकर भी चिंता थी। गौरतलब है कि दिहाड़ीदार पिता शमशेर सिंह ने दिहाड़ी करना छोड़ दिया था, क्योंकि दिन-रात बेटे की देखभाल करनी पड़ती थी।
सलानी कटोला पंचायत के युवकों ने रविंद्र को बचाने के लिए हर संभव कोशिश की। आर्थिक मदद के लिए सोशल मीडिया का भी सहारा लिया गया, लेकिन कुदरत को कुछ और ही मंजूर था। पंचायत ने परिवार को आर्थिक स्थिति को देखते हुए बीपीएल सूची में भी शामिल किया था।
मां सीता देवी बेटे के बारे में बात करते-करते बिलख जाती है। कैंसर के रोग से रविंद्र ने तीन साल तक जंग लड़ी। करीब डेढ़ साल से हालत नाजुक होती चली गई। गौरतलब है कि परिवार में माता-पिता के पास केवल रविंद्र ही सहारा था। बेटी की शादी हो चुकी है। बुढ़ापे के सहारे को टूटता देख लंबे अरसे से माता-पिता भी लाचारी के बोझ तले दबे हुए थे।