नई दिल्ली. भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि मुद्रास्फीति अपने चरम को छू चुकी है और अब कीमतों में गिरावट आएगी. उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक हर डेटा पर नजर बनाए हुए हैं और अभी कोई ढिलाई बरतने का स्कोप नहीं है. आरबीआई गवर्नर ने ईटी के साथा साक्षात्कार में यह बातें कहीं. आपको बता दें कि पिछले 4 महीने में आरबीआई महंगाई पर काबू पाने के लिए 3 बार रेपो रेट बढ़ा चुका है.
शक्तिकांत दास ने कहा है कि अब सधे हुए कदमों के साथ 4 फीसदी के मुद्रास्फीति लक्ष्य तक पहुंचना है. उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा करते हुए वृद्धि को बहुत अधिक नुकसान नहीं पहुंचाया जा सकता है. बकौल दास, बॉन्ड यील्ड्स की स्थिर कीमतों से ऐसा लग रहा है कि महंगाई काबू करने की केंद्रीय बैंक की नीति ने काम किया है.
आरबीआई गवर्नर ने और क्या कहा
उन्होंने कहा कि चालू खाते में जो अंतर है उसे संभाला जा सकता है. आने वाले महीनों में निर्यात बढ़ेगा. उन्होंने क्रिप्टोकरेंसी पर बोलते हुए कहा कि इससे बहुत अधिक वित्तीय अस्थिरता उत्पन्न हो सकती है और इसका फॉरेक्स रेट व नीति पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है. दास का कहना है कि अर्थव्यवस्था को डॉलर से चलाने की नीति भारत के हितों के खिलाफ जा सकती है. उन्होंने बैंकों के निजीकरण पर कहा कि आरबीआई न इसके पक्ष में और न खिलाफ है.
भारतीय बॉन्ड मार्केट की स्थिति
10-वर्षीय बॉन्ड यील्ड 1 फीसदी की तेजी के साथ 7.28 फीसदी पर ट्रेड कर रहे थे. जबकि आज का इसका हाई 7.31 फीसदी था. अगस्क में मौद्रिक नीति की घोषणा, कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट और विदेशी निवेश के आगमन के बाद बॉन्ड यील्ड्स में भी स्थिरता देखने को मिल रही है.
क्या है बॉन्ड और यील्ड
बॉन्ड कंपनी और सरकार के लिए पैसा जुटाने का एक माध्यम है. यह कर्ज की श्रेणी में आता है. सरकार और कंपनियां पैसा जुटाने के लिए बॉन्ड जारी करती हैं. सरकारी बॉन्ड को जी-सेक यानी गवर्नमेंट सिक्योरिटीज कहा जाता है. वहीं, प्राइवेट कंपनियों के बॉन्ड को कॉर्पोरेट बॉन्ड कहा जाता है. इसकी मैच्योरिटी की अवधि 1 से 30 साल की होती है. ध्यान रहे कि यहां आप सरकार या किसी कंपनी को कर्ज दे रहे हैं. सरकारी बॉन्ड अधिक सुरक्षित माने जाते हैं. इन बॉन्ड से मिलने वाला रिटर्न बॉन्ड यील्ड कहलाता है.