नई दिल्ली. भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंक में जमा पर ब्याज दरों में बढ़ोतरी के संकेत दिए हैं. रिजर्व बैंक ने शनिवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा है कि आने वाले महीनों में बैंकों को जमा दरों में वृद्धि करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा. इसकी वजह है क्रेडिट ग्रोथ बैंक डिपोजिट की तुलना में काफी तेजी से बढ़ रही है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि देश का इकोनॉमिक आउटलुक मजबूत है. मानसून की स्थिति बेहतर है और मुद्रास्फीति का दबाव स्थिर है या आगे कम हो सकता है. सस्टेनेबल हाई ग्रोथ के लिए परिस्थितियां मजबूत हुई हैं. रिपोर्ट के सह-लेखक आरबीआई के डिप्टी गवर्नर माइकल पात्रा ने कहा है कि हमें व्यापार घाटे और पोर्टफोलियो आउटफ्लो पर बहुत क्लोज और निरंतर निगरानी की आवश्यकता है.
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डिपोजिट पर ब्याज दरों को बढ़ाना होगा
रिजर्व बैंक ने क्रेडिट ग्रोथ और डिपोजिट को लेकर जो बात कही है उस आधार पर देखा जाए तो बैंकों को जमा बढ़ाने के लिए काम करना होगा. बैंक एक्सपर्ट्स के मुताबिक, जमा बढ़ाने के लिए एफडी या दूसरी डिपोजिट पर ब्याज दरों को बढ़ाना होगा. अगर ब्याज दरें बढ़ती हैं तो आपकी एफडी पर आपको ज्यादा रिटर्न मिलेंगे.
महंगाई भी आगे कम होने का अनुमान
आरबीआई बुलेटिन में डेटा से पता चला है कि आरबीआई ने 10 अरब डॉलर की विदेशी मुद्रा खरीदी और 8 डॉलर की बिक्री की. मई में 2 बिलियन डॉलर की शुद्ध खरीद हुई. रिजर्व बैंक की रिपोर्ट में कहा है कि यदि हाल के सप्ताहों में कमोडिटी कीमतों यानी सोना, चांदी , मेटल और दूसरी वस्तुओं की कीमतों में नजर आई गिरावट जारी रहती है. साथ ही सप्लाई चेन पर बना दबाव कम होता है तो मुद्रास्फीति की सबसे खराब तेजी का दौर पीछे छूट सकता है. फिर हम सुधरती सप्लाई का फायदा उठा सकते हैं.
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केंद्रीय बैंक ने अपनी नवीनतम ‘अर्थव्यवस्था की स्थिति’ रिपोर्ट में कहा है कि हमारे लिए राहत की बड़ी बात ये है कि इंफ्लेशन अपने ऊपरी लेवल से नीचे आ रहा है. हालांकि अभी भी ये हमारी ऊपरी तय सीमा से ऊपर ही है. आरबीआई ने कहा कि मौद्रिक नीति का भी रिस्पॉन्स मिल रहा है.