छत्तीसगढ़ी म पढ़व: महाभारत काल म अर्जुन ह जउन जगह ल रद्दा बर दाह करे रिहिसे ओ जगह ल अर्जुन्दा कहिथन

 

 

अर्जुन्दा के रहवइया मन आगु बढ़त जात हे, अपन आगु के कांटा ल चतवारत. आगु बढ़े के मूल मंत्र आय शिक्षा. शिक्षा खातिर अर्जुन्दा के सियान मन शुरूच के सावचेत रेहे हवय.अइसे केहे जाथे कि एक समे के गोठ आय जब अर्जुन्दा म सेठ ह अपन दुलौरिन नोनी के बिहाव करत रिहिस. ओ बखत कौशल चंद्राकर जी ह मड़वा (मंडप) सजाये म बड़ माहिर रिहिस. सेठ ह घलो अपन घर बढ़िहा मड़वा बनाय बर कौशल दाऊ ल बिनती करिस. एके खम्भा के सहारा अइसे मड़वा खड़ा करिस के बराती घराती मन देख के दंग रहिगे. सबके बक्का फूटे बर धर लिस-अब तक ले अतेक सुग्घर मड़वा नइ देहे रेहेन. बराती मन मड़वा ले मोहा के मड़वा सिरजइया दाऊ जी ल ओ जमाना म पांच हजार रूपिया इनाम म दिस. कौशल चन्द्राकर जी ह मने मन सोचिस कि भगवान के दे तो हमर घर सबो चीज बस हे आखिर ए पइसा के कोनो बड़े काम हो जतिस ते बने होतिस. एकर बात ल सुनके लड़की पक्ष वाले मन घलो पांच हजार मिला के भारतीय विद्यालय ल बनवइन ताहन तो इही स्कूल ले पढ़ लिख के इहें के लइका मन बड़े-बड़े सरकारी नौकरी म जावत हे. अब तो इहें महाविद्यालय घलो खुलगे हवय. महाविद्यालय के नामकरण कारगील में शहीद लांस नायक दुर्वासा निषाद के नाम ले सन् 2022 म गुण्डरदेही के विधायक अउ संसदीय सचिव कुंवर निषाद के प्रयास ले राज्य के सम्माननीय मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ह कर के अमर शहीद ल श्रद्धांजलि दिस हवय.

गांव वाले मन के दुख दारिद ल बइगा गुड़ी, नंगारा पाट, शीतला माता, महमाई अउ बजरंग बली ह हरत रहिथे. रामा तरिया, छितका तरिया, तिलसा तरिया, के पानी म झांख के देखबे त गांव के सम्पन्नता ह जगजग ले दिखथे. दुध उत्पादन बर अर्जुन्दा गांव प्रसिद्ध हे.

गांव म सियान मन के अइसे कहना हे कि एक घांव गांव म अलकरहा घटना घट गे. कइहा तरिया के बोइर पेड़ म टंगाय लुगरा ल लान के घर म गड़िया दिस. परेतीन अपन लुगरा ल कलौली करके बइगा करा मांगिस. तभो ले बइगा ओला नइ दिस ताहन तो परेतीन ह बइगा घर रेहे ल धर लिस. घर म लुगरा ल बइगा ह लुका दिस.साल दु साल बाद परेतीन ह बइगा घर दु झिन लइका मन के महतारी बनगे.ए घटना ह लबारी लागथे फेर लबारी नोहे बल्कि सोला आना सच आय . काबर कि परेतीन पेट के बाबू के नाव घासीदास अऊ नोनी के नाव रूदन हे. कोनो शक होही ते अर्जुन्दा के बइगा बेड़ा म पूछ सकथव. नोनी सज्ञान होइस ताहन बइगा ह बड़ा धूमधाम ले ओकर बिहाव करिस. डिहवार वाले मन खूब नाचिन कूदिन. परेतीन ल घलो किहिस-तहूं नाच न य बइगइन. बइगइन किहिस-बइगा ह मोर फलाना जघा के लुगरा ल दिही ताहन नाचहूं.

बइगा के मन नइ रिहिस लुगरा ल दे के काबर वोहा परिणाम ल जानत रिहिस फेर सगा सोदर मन के आघु म थोरको नइ चलिस. बइगा जइसे ही ओ लुगरा ल दिस ताहन ओला बइगइन ह पहिर के नाचत नाचत लुकागे. एकर पहिली तक कोनो ल जानबा नइ रिहिस कि ओहा परेतीन रिहिस काबर के घर गृहस्थी के सबो काम ल करत रिहिस. जब गांव वाले मन ओला परेतीन हरे कहि के जानीन ते सब सुकुड़दुम (आश्चर्य) रहिगे.

चंदैनी गोदा के सर्जक दाऊ रामचन्द्र देशमुख छत्तीसगढ़ म सांस्कृतिक क्रांति लइक. चंदैनी गोंदा ले प्रभावित हो के छत्तीसगढ़ म सोनहा बिहान, नवा बिहान ,लोक मंजरी अऊ लोकरंग कस कतनो सांस्कृतिक संस्था मन के उदय होइस. लोकरंग कस सुग्घर सांस्कृतिक संस्था गांव अर्जुन्दा के देन आय जेकर संचालक दाऊ दीपक चंद्राकर आय.दीपक चंद्राकर के निर्देशन म लोकरंग छत्तीसगढ़िया मन के हृदय म बसे हवय.ग्राम अर्जुन्दा म नेतराम निषाद राज अउ मिथलेश शर्मा जइसे नाम्ही साहित्यकार छत्तीसगढ़ के नाम ल रौशन करिन.ग्राम अर्जुन्दा के ही लोकरंग के कलाकार सम्माननीय कुंवर निषाद जी ह छत्तीसगढ़ शासन के संस्कृति विभाग के संसदीय सचिव हे. जउन ह छत्तीसगढ़ के कला, साहित्य अउ संस्कृति के संरक्षण अउ संवर्धन बर समर्पित हे.