अमेरिका समेत कई देशों पर मंदी (recession) का खतरा मंडरा रहा है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है महंगाई। इसे रोकने के लिए दुनियाभर के सेंट्रल बैंक्स ब्याज दरों में इजाफा कर रहे हैं। इससे ग्रोथ के प्रभावित होने की आशंका है। दुनियाभर के सीईओ के बीच कराए गए एक सर्वे के मुताबिक 86 परसेंट सीईओ का कहना है कि अगले एक साल में दुनिया मंदी की गिरफ्त में जा सकती है।
नई दिल्ली: दुनियाभर में महंगाई (Inflation) चरम पर है। भारत ही नहीं पूरी दुनिया के लोग महंगाई से परेशान हैं। दुनिया के 100 से अधिक देशों में महंगाई की दर भारत से अधिक है। इसे रोकने के लिए सेंट्रल बैंक्स ब्याज दरों में इजाफा कर रहे हैं। हर गुजरते दिन के साथ मंदी (recession) की आहट तेज होती जा रही है। एक सर्वे के मुताबिक दुनियाभर के 86 फीसदी सीईओ का कहना है कि अगले 12 महीने में मंदी दस्तक दे सकती है। इसके साथ ही कंपनियों ने मंदी से निपटने के उपाय करने भी शुरू कर दिए हैं। आशंका जताई जा रही है कि अगले छह महीने में हजारों लोगों को नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है।
KMPG 2022 CEO Outlook के मुताबिक 46 फीसदी सीईओ ने कहा कि वे अगले छह महीनों के दौरान छंटनी की योजना बना रहे हैं। इसी तरह 39 फीसदी सीईओ का कहना था कि उन्होंने पहले ही नई भर्तियों पर रोक लगा दी है। यह सर्वे 12 जुलाई से 24 अगस्त के बीच दुनियाभर के 1,325 सीईओ के बीच कराया गया। इनमें से 86 परसेंट का मानना है कि अगले 12 महीने में मंदी दस्तक देने वाली है। 75 फीसदी ने कहा कि अगर मंदी आती है तो महामारी के झटकों से उबर रही ग्लोबल इकॉनमी की मुश्किलें बढ़ जाएंगी।
मंदी से निपटने की तैयारी
सीईओ का कहना है कि उन्होंने मंदी से निपटने की तैयारी शुरू कर दी है। सर्वे में शामिल 75 फीसदी सीईओ ने कहा कि उन्होंने भर्तियों पर रोक लगा दी है या अगले छह महीने में उनके ऐसा करने की योजना है। 80 फीसदी सीईओ ने कहा कि उन्होंने कर्मचारियों की छंटनी पर विचार किया है या वे ऐसा करने की योजना बना रहे हैं। सर्वे में शामिल सीईओ में से 58 फीसदी ने कहा कि यह मंदी हल्की होगी और कम समय तक इसका असर रहेगा।
हालांकि अधिकांश का कहना है कि अगले तीन साल में ग्लोबल इकॉनमी फिर से पटरी पर लौट सकती है। फरवरी 2022 में कराए गए पिछले सर्वे में सीईओ ने साइबरसिक्योरिटी को सबसे बड़ा रिस्क बताया था लेकिन ताजा सर्वे में एमर्जिंग और डिसरप्टिव टेक्नोलॉजी को ग्रोथ के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया। सर्वे की मानें तो वर्क फ्रॉम होम की व्यवस्था आगे भी जारी रहने वाली है। तीन साल बाद 65 फीसदी कर्मचारी ऑफिस से, 28 फीसदी हाइब्रिड व्यवस्था और सात फीसदी कर्मचारी घर से काम कर सकते हैं।