Natural gas price hiked: वैश्विक स्तर पर ऊर्जा की कीमतों में उछाल के साथ प्राकृतिक गैस की कीमतों (Natural Gas Price) में शुक्रवार को 40 प्रतिशत की रिकॉर्ड बढ़ोतरी कर दी गई। इससे देश में बिजली उत्पादन (Power Plant), उर्वरक (Fertilizer) बनाने और वाहन चलाने में इस्तेमाल होने वाली गैस महंगी हो जाने की आशंका है। पुराने गैस क्षेत्रों से उत्पादित गैस के लिए भुगतान की जाने वाली दर को मौजूदा 6.1 डॉलर प्रति मिलियन ब्रिटिश थर्मल यूनिट (एमबीटीयू) से बढ़ाकर 8.57 डॉलर प्रति एमबीटीयू कर दिया गया है।
नई दिल्ली: देश में बढ़ती महंगाई से आम आदमी पहले से ही परेशान है। अब आम आदमी को एक और बड़ा झटका लगा है। वैश्विक स्तर पर ऊर्जा की कीमतों (Energy Price) में उछाल के साथ प्राकृतिक गैस की कीमतों (Natural gas price hiked) में शुक्रवार को 40 प्रतिशत की रिकॉर्ड बढ़ोतरी कर दी गई। इससे देश में बिजली उत्पादन, उर्वरक बनाने और वाहन चलाने में इस्तेमाल होने वाली गैस (CNG) महंगी हो जाने की आशंका है। तेल मंत्रालय के पेट्रोलियम योजना एवं विश्लेषण प्रकोष्ठ (PPAC) की तरफ से जारी आदेश के अनुसार, पुराने गैस क्षेत्रों से उत्पादित गैस के लिए भुगतान की जाने वाली दर को मौजूदा 6.1 डॉलर प्रति मिलियन ब्रिटिश थर्मल यूनिट (MBTU) से बढ़ाकर 8.57 डॉलर प्रति एमबीटीयू कर दिया गया है। इसी दर पर देश में उत्पादित गैस के लगभग दो तिहाई हिस्से की बिक्री होगी। इसी के साथ अब ये अनुमान लगाया जा रहा है कि महीने की पहली तारीख को होने वाली एलपीजी की समीक्षा में एलपीजी की कीमत भी बढ़ सकती है। इतना ही नहीं अब ग्राहकों को CNG-PNG के लिए भी अधिक कीमत चुकानी पड़ेगी।
गैस की दरों में ये तीसरी बढ़ोतरी
इस आदेश के मुताबिक, रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) और उसके भागीदार बीपी पीएलसी (BP Plc) द्वारा केजी बेसिन में संचालित डी-6 ब्लॉक जैसे मुश्किल एवं नए क्षेत्रों से निकाली जाने वाली गैस की कीमत 9.92 डॉलर से बढ़ाकर 12.6 डॉलर प्रति इकाई कर दी गई है। अप्रैल 2019 के बाद से गैस की दरों (Gas Price) में यह तीसरी वृद्धि होगी। बेंचमार्क अंतरराष्ट्रीय कीमतों में मजबूती के कारण इनमें तेजी आई है
प्राकृतिक गैस उर्वरक बनाने के साथ बिजली पैदा करने के लिए एक प्रमुख कच्चा माल है। इसे सीएनजी में भी परिवर्तित किया जाता है और पाइप्ड नेचुरल गैस (PNG) यानी रसोई गैस के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है। दरों में भारी वृद्धि से सीएनजी और पीएनजी की कीमतों में बढोत्तरी होने की आशंका है, जो पहले से ही पिछले एक साल में 70 प्रतिशत से अधिक बढ़ चुकी हैं।
तेजी से बढ़ी हैं दरें
सरकार हर छह महीने यानी एक अप्रैल और एक अक्टूबर को गैस की कीमतें तय करती है। यह कीमतें अमेरिका, कनाडा और रूस जैसे गैस-अधिशेष देशों (Gas Surplus Countries) में एक साल में एक चौथाई के अंतराल के साथ प्रचलित दरों के आधार पर तय की जाती हैं। एक अक्टूबर से 31 मार्च की कीमत जुलाई 2021 से जून 2022 तक की औसत कीमत पर आधारित है। इस अवधि में वैश्विक स्तर पर दरें तेजी से बढ़ी हैं।
गैस की उच्च कीमतें मुद्रास्फीति (High Inflation) को और भी बढ़ा सकती हैं जो पिछले आठ महीनों से आरबीआई के संतोषजनक स्तर से ऊपर चल रही है। सरकार ने मूल्य निर्धारण फार्मूले की समीक्षा के लिए एक समिति का भी गठन किया है।
बढ़ सकती हैं सीएनजी और रसोई गैस की कीमतें
सूत्रों ने कहा कि प्राकर्तिक गैस की कीमतों में वृद्धि से दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में सीएनजी (CNG) और रसोई गैस की दरों (PNG Price) में वृद्धि होने की संभावना है। इससे बिजली पैदा करने की लागत में भी वृद्धि होगी लेकिन उपभोक्ताओं को कोई बड़ी परेशानी नहीं होगी क्योंकि गैस से पैदा होने वाली बिजली का हिस्सा बहुत कम है। इसी तरह, उर्वरक उत्पादन की लागत भी बढ़ जाएगी लेकिन सरकार की तरफ से ऊर्वरक सब्सिडी देने से दरों में वृद्धि की संभावना नहीं है। हालांकि इस फैसले से उत्पादकों (Natural Gas Producers) की आय में वृद्धि होने की संभावना है।