600 कोल्ड ईमेल और 80 कॉल पर बार-बार हुए रिजेक्ट, डटे रहे, अब वर्ल्ड बैंक में कर रहे हैं जॉब

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असफलता का यह मतलब नहीं कि आप असफल हैं, इसका बस यह मतलब है कि आप अभी तक सफल नहीं हुए हैं. इस बात को सच कर दिखाया है वत्सल नाहटा ने, जो सैकड़ों बार रिजेक्ट हुए लेकिन हार नहीं मानी और सफल हुए.

सपना था पहली सैलेरी डॉलर में मिले

नाहटा की की सफलता का सफर साल 2020 में कोरोना महामारी से शुरू हुआ. उस दौरान वे यूएस येल यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रहे थे. उनका लास्ट ईयर चल रहा था. कोविड के कारण कई कंपनियों पर बुरा प्रभाव पड़ा था. मंदी के दौर में कंपनियों ने कई कर्मचारियों को बाहर कर दिया था.

Vatsal NahtaTwitter

वहीं उस समय के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इमिग्रेशन पर कड़ा रुख दिखाते हुए, कंपनियों को केवल अमेरिकी नागरिकों को नौकरी पर रखने का दबाव बनाया. नाहटा का कहना है कि वो 2 महीने में ग्रेजुएट होने जा रहा थे, लेकिन उनके पास नौकरी नहीं थी.

नाहटा परेशान थे. वह सोचते थे कि अगर उन्हें अमेरिका में नौकरी नहीं मिल सकती तो येल आने का क्या मतलब था. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, नाहटा अपने पैरेंट्स से कॉल पर खुद को मजबूत दिखाने की कोशिश करते थे. उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपने लक्ष्य को पाने के लिए डटे रहे. “मैंने भारत लौटने के बारे में नहीं सोचा, मुझे मेरी पहली तनख्वाह केवल डॉलर में चाहिए थी.”

हर जगह हुए रिजेक्ट

नाहटा उन दो महीनों में 1500 से ज्यादा कनेक्शन रिक्वेस्ट भेजे, 600 कोल्ड ईमेल लिखे, तकरीबन 80 लोगों को कॉल भी किया. लेकिन हर जगह निराशा हाथ लगी. उहें मनाही ही सुनने को मिली.

नाहटा कहते हैं, “उस मुश्किल दौर में मैं यूट्यूब पर The Gentle Hum of Anxiety गाने को सबसे अधिक सुनता था. फ़िलहाल वो अपने लक्ष्य को पाने के लिए कोशिशें करते रहे. उनके संघर्ष और मेहनत सफल भी हुई. मई में उन्हें एक नहीं बल्कि चार नौकरियों के ऑफर मिले. लेकिन उन्होंने वर्ल्ड बैंक की नौकरी को चुना.”

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उनके ऑफ़र स्वीकार करने के बाद नाहटा अब इंटरनेशल मुद्रा कोष (IMF) में जॉब करते हैं. उन्होंने कहा कि 2 महीने की यात्रा ने मुझे जीवन के बारे में कुछ सुनहरे सबक सिखाए

1. इसने मुझे नेटवर्किंग की असली ताकत दिखाई, और यह मेरा दूसरा स्वभाव बन गया.

2. इसने मुझे विश्वास दिलाया कि मैं किसी भी स्थिति में जीवित रह सकता हूं और संयुक्त राज्य अमेरिका में एक अप्रवासी के रूप में अपना रास्ता खोज सकता हूं.

3. मेरी Ivy की डिग्री ही मुझे इतना आगे ले जा सकती है

4. संकट का समय (COVID-19 और ट्रम्प की आव्रजन नीतियां) एक अधिक विकसित व्यक्ति के रूप में रूपांतरित होने के लिए आदर्श आधार थे.

नाहटा अपने अनुभव को लोगों के साथ शेयर करते हैं. उनको कभी ना हार मानने के लिए उनका हौसला बढ़ाते हैं. वह कहते हैं, ‘यदि आप भी कुछ मेरी जैसी स्थिति से गुजर रहे हैं, जहां दुनिया गिरते नजर आए तो आप खुद को मजबूत रखें. यदि आप अपनी गलतियों से सीख रहे हैं और आप पर्याप्त दरवाजे खटखटाते हैं तो बेहतर दिन जरूर आएंगे.’ आज वो युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बने हुए हैं.