धर्म का हथियार की तरह इस्‍तेमाल अब लेस्‍टर में भी… लगातार डर के साये में क्‍यों जी रहे हैं कपिल सिब्‍बल?

Kapil Sibal Attacks Modi Govt: कपिल सिब्‍बल ने कहा कि इंग्‍लैंड के लीसेस्‍टर में जो कुछ भी हुआ, वैसा भारत में सालों से हो रहा है। उन्‍होंने कहा कि ‘अब ये चीजें वहां भी पहुंच गई हैं।

नई दिल्‍ली: कांग्रेस के पूर्व नेता एवं वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने शुक्रवार को केंद्र पर परोक्ष हमला करते हुए आरोप लगाया कि लोग जांच एजेंसियों, सत्ता और पुलिस के डर के साये में जी रहे हैं। ‘धर्म का एक हथियार के रूप में इस्तेमाल’ के बारे में बात करते हुए, राज्यसभा सदस्य सिब्बल ने कहा कि भले ही यह पूरी दुनिया में हो रहा हो, ‘भारत धर्म के इस्तेमाल का एक ज्वलंत उदाहरण है।’ सिब्बल ने कहा, ‘यह पूरी दुनिया में हो रहा है। कल लेस्‍टर में जो घटना हुई वह पूरी तरह से असहिष्णुता थी। हम सभी जानते हैं कि वहां क्या हुआ था। अब वहां भी ये चीजें पहुंच गई हैं। असली समस्या यह है कि आज भारत में नफ़रत फैलाने वाले भाषण देने में जो शामिल हैं, वे एक खास विचारधारा का हिस्सा हैं। पुलिस कुछ भी करने को तैयार नहीं है।’

पूर्व कैबिनेट मंत्री ‘रूपा पब्लिकेशन’ द्वारा प्रकाशित अपनी पुस्तक ‘रिफ्लेक्शंस: इन राइम एंड रिदम’ के विमोचन के अवसर पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि नफरत फैलाने वाले भाषण देने वालों पर मुकदमा नहीं चलाया जाता है और इसलिए वे उसी तरह का एक और भाषण देने के लिए प्रोत्साहित होते हैं।’

पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट कम ‘घट गया था भरोसा’
सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने इसी महीने सुप्रीम कोर्ट में एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि संस्थान के प्रति विश्वास धीरे-धीरे कम होता जा रहा है। जस्टिस अजय रस्तोगी की अगुआई वाली बेंच के सामने सिब्बल ने कहा कि जिस कुर्सी पर जस्टिस बैठते हैं उसके प्रति हमारे मन में बहुत सम्मान है। उन्होंने कहा कि बार और बेंच अगर नियम के तहत काम करेंगे तो विश्वास कायम रहेगा। सिब्बल ने कहा, ‘बार और बेंच का नाता तोड़ा नहीं जा सकता है। यह ऐसी शादी है, जिसमें ब्रेकअप नहीं हो सकता। मगर, जब हमें पता चलता है कि इस ओर या उस ओर क्या हो रहा है, तो फिर हमें दुख होता है, क्योंकि हमने इस अदालत को पूरा जीवन दे दिया।’

सुनवाई के दौरान जस्टिस अजय रस्तोगी ने कहा, मैं मानता हूं कि बार और बेंच रथ के दो पहिए हैं। हम सब इस संस्थान से जुड़े हुए हैं। हमें इसने सबकुछ दिया है। हमें और बार को आत्ममंथन की जरूरत है।’