Republic Day 2023: गणतंत्र दिवस से जुड़े कुछ तथ्य जो हर हिन्दुस्तानी को पता होने चाहिए

ब्रिटिश हुकूमत से देश को 15 अगस्त, 1947 को आज़ादी मिली. पंडित नेहरू ने तिरंगा झंडा फहराया, देशभर से यूनियन जैक हट गया. आज़ादी मिलने के लगभग 2 साल बाद, 26 जनवरी 1950 को हमारा संविधान लागू हुआ. संविधान लागू करने के लिए यही दिन क्यों चुना गया, इसके पीछे भी एक कारण है. कांग्रेस ने लाहौर अधिवेशन में ब्रिटिश सरकार से 26 जनवरी 1930 को भारत को अधिराज्य (डोमिनियन) का दर्जा देने की मांग की थी. रावी नदी के तट पर तिरंगा झंडा फहराकर पूर्ण स्वराज का संकल्प भी लिया गया था. देश को स्वतंत्रता मिलने के बाद इसी तारीख को गणतंत्र दिवस के रूप में स्वीकार किया गया.

यूं तो हम देशवासी स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस बड़े ही धूम-धाम से मनाते हैं. हम भारतीयों के लिए ये दिन सिर्फ़ राष्ट्रीय त्यौहार नहीं बल्कि पहचान का हिस्सा हैं. आज जानते हैं गणतंत्र दिवस से जुड़े कुछ ऐसे तथ्य जो आपको कंठस्थ होने चाहिए

1. 1955 में पहली बार राजपथ पर हुई थी परेड

26 जनवरी, 1950 को भारत का संविधान लागू हो गया था लेकिन राजपथ पर परेड 1955 से शुरू हुआ. इससे पहले यानि 1950 से 1954 तक गणतंत्र दिवस की परेड इरवीन स्टेडियम, लाल किला और रामलीला ग्राउंड में हुए थे.

2. इंडोनेशिया के राष्ट्रपति थे पहले मुख्य अतिथि

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1950 में गणतंत्र दिवस के मौके पर भव्य परेड का आयोजन किया गया. इंडोनेशिया के तत्कालीन राष्ट्रपति सुकर्नो को बतौर चीफ़ गेस्ट बुलाया गया था. पहला गणतंत्र दिवस का समारोह इरवीन एम्फ़ीथियेटर (अब मेजर ध्यानचंद स्टेडियम) में आयोजित किया गया था. इसमें तीन हज़ार से ज़्यादा भारतीय सैन्य बल के जवानों और 100 से ज़्यादा एयरक्राफ़्ट ने हिस्सा लिया था.

3. 1955 के परेड में पाकिस्तान के गवर्नल जनरल मुख्य अतिथि थे

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राजपथ में पहली बार 1955 को परेड का आयोजन किया गया था. पाकिस्तान के गवर्नल जनरल गुलाम मोहम्मद इस समारोह के मुख्य अतिथि थे.

4. राष्ट्रपति को दी जाती है 21 तोपों की सलामी

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भारत के राष्ट्रपति को गणतंत्र दिवस के मौके पर 21 तोपों की सलामी दी जाती है. राष्ट्रपति के घुड़सवार अंगरक्षक तिरंगे को सैल्यूट करते हैं और राष्ट्रगान बजता है. असलियत में 21 तोपों से फायरिंग नहीं होती है. भारतीय सेना के 7 तोप जिन्हें 25 पॉन्डर्स कहते हैं से 3-3 राउंड फ़ायर किया जाता है.

5. बजाया जाता था Abide With Me गीत

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Beating Retreat के दौरान ‘Abide with me’ बजाया जाता था. कहा जाता है कि यह महात्मा गांधी का पसंदीदा गीत था. इसे स्कॉटिश कवि Henry Francis Lyte ने लिखा था. 2022 में केन्द्र सरकार ने ये गीत बदल दिया और अब इसकी जगह पर ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ बजाया जाता है

6. पिछले साल जुलाई से शुरू हो जाती है परेड की प्रैक्टिस

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गणतंत्र दिवस की परेड में हिस्सा लेने वाले दल पिछले साल जुलाई से ही परेड की प्रैक्टिस शुरू कर देते हैं. पिछले साल जुलाई से नवंबर तक ये अपने-अपने रेजिमेंट में प्रैक्टिस करते हैं. दिसंबर में ये दिल्ली आते हैं और सभी दल एकसाथ परेड की प्रैक्टिस करते हैं. परेड में हिस्से लेने वाले दस्ते 2 बजे तक तैयार होकर सुबह के 3 बजे कर्तव्य पथ पर पहुंच जाते हैं

7. 5 Km/hr. की स्पीड से चलती हैं झांकियां

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गणतंत्र दिवस की परेड के मुख्य आकर्षणों में से एक है, झांकियां. ये झांकियां 5 Km/hr. की स्पीड से चलती हैं ताकि लोग इन्हें आराम से देख सकें.

8. वायुसेना के अलग-अलग सेंटर्स से उड़ान भरते हैं एयरक्राफ़्ट

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‘Flypast’ गणतंत्र दिवस के परेड का सबसे रोमांचक पार्ट है. इसमें हिस्सा लेने वाले एयरक्राफ़्ट वायु सेना के अलग-अलग सेंटर्स से उड़ान भरते हैं और तय समय पर राजपथ के ऊपर पहुंचते हैं.

9. पहला विदेशी दस्ता

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भारत के गणतंत्र दिवस परेड में हिस्सा लेने वाला पहला विदेशी दस्ता फ्रेंच सेना के जवानों का था. 2018 के परेड में इसद स्ते ने हिस्सा लिया था.

10. डॉ. राजेंद्र प्रसाद को दी गई 31 तोपों की सलामी

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देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद को 31 तोपों की सलामी दी गई थी. 1971 से 21 तोपों की सलामी को अंतर्राष्ट्रीय मानदंड माना गया. राष्ट्रपति और हेड ऑफ स्टेट्स को दिया जाने वाले सर्वोच्च सम्मान बन गया 21 तोपों की सलामी.

11. बग्घी में आते थे राष्ट्रपति

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अब बुलेटप्रूफ़ गाड़ी में देश के राष्ट्रपति परेड की सलामी लेने पहुंचते हैं. कुछ साल पहले देश के राष्ट्रपति खुली बग्घी में ही परेड ग्राउंड पहुंचते थे.

12. पहले गणतंत्र दिवस में सिर्फ़ सैन्य बल ने हिस्सा लिया था

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आज के गणतंत्र दिवस के परेड में बच्चे सांस्कृतिक कार्यक्रम दिखाते हैं लेकिन पहले गणतंत्र दिवस के परेड में सिर्फ़ भारत के सैन्य बलों ने हिस्सा लिया था.

13. राष्‍ट्रीय वीरता पुरस्‍कार की शुरुआत

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भारतीय बाल कल्याण परिषद ने 1957 से राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार देना शुरू किया. पुरस्कार के रूप में एक पदक, प्रमाण पत्र और नकद राशि दी जाती है. पहले ये बच्चे हाथी पर बैठकर परेड में हिस्सा लेते थे. 2016 से ये नियम बदले गए अब बाल वीर का दस्ता भी परेड में हिस्सा लेता है.