UNHRC में श्रीलंका के खिलाफ प्रस्ताव, भारत ने नहीं किया मतदान, चीन-पाकिस्तान ने किसका पक्ष लिया

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में गुरुवार को श्रीलंका के खिलाफ प्रस्ताव पेश किया गया। श्रीलंका में सुलह, जवाबदेही और मानवाधिकारों को बढ़ावा नाम के इस प्रस्ताव पर सदस्य देशों ने वोटिंग भी की। इस प्रस्ताव के पक्ष में 20 वोट पड़े, जबकि 7 सदस्यों ने विपक्ष में मतदान किया। भारत ने तमिलों को लेकर श्रीलंका से प्रतिबद्धताओं को पूरा करने को कहा।

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संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद

जिनेवा: भारत ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में श्रीलंका के खिलाफ आए प्रस्ताव पर मतदान से परहेज किया है। यूएनएचआरसी में श्रीलंका में सुलह, जवाबदेही और मानवाधिकारों को बढ़ावा नाम के प्रस्ताव को मतदान के लिए पेश किया गया था। मानवाधिकार परिषद के 47 सदस्यों में से 20 सदस्यों ने इस प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया। श्रीलंका के खिलाफ आए प्रस्ताव के विरोध में सिर्फ 7 वोट ही पड़े, जिनमें पाकिस्तान और चीन शामिल थे। बाकी के सदस्य देशों ने मतदान से दूरी बनाकर रखी। जिनेवा में मानवाधिकार परिषद के 51वें सत्र के दौरान श्रीलंका को लेकर हुए मतदान के बाद आधिकारिक बयान जारी किया। इसमें बताया गया है कि श्रीलंका में सुलह, जवाबदेही और मानवाधिकारों को बढ़ावा देने वाले प्रस्ताव को लेकर भारत की क्या राय है।

श्रीलंका के खिलाफ प्रस्ताव में क्या था
यूएनएचआरसी में लाए गए प्रस्ताव में श्रीलंका में जारी आर्थिक संकट पर सुलह, जवाबदेही और मानवाधिकारों को बढ़ावा देने की बात की गई थी। श्रीलंका 1948 में अपनी स्वतंत्रता के बाद से सबसे खराब आर्थिक दौर से गुजर रहा है। हालांकि, मतदान से पहले श्रीलंका ने इस प्रस्ताव को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी थी। श्रीलंका के वित्त मंत्री अली साबरी ने कहा था कि हम बाहरी ताकतों को यह समझाने की अनुमति नहीं देंगे कि हम अपनी अर्थव्यवस्था का प्रबंधन कैसे करें, हमने आर्थिक सुधार के लिए खुद के उपाय किये हैं। साबरी ने कहा था कि यूएनएचआरसी के पास आर्थिक मामलों को निर्धारित करने के लिए विशेषज्ञता का अभाव है।

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भारत ने प्रस्ताव को लेकर जारी किया बयान
भारतीय राजदूत इंद्रमणि पांडेय ने कहा कि एक नजदीकी पड़ोसी होने के कारण भारत ने 2009 के बाद श्रीलंका में राहत, पुनर्वास, पुनर्निमाण और पुनर्निर्माण प्रक्रिया में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। हाल ही में, इस साल जनवरी से भारत ने हाल के आर्थिक संकट की चुनौतियों का सामना करने के लिए कदम बढ़ाया है और श्रीलंका के लोगों को अभूतपूर्व सहायता प्रदान की है। भारतीय राजदूत ने कहा कि श्रीलंका में शांति और सुलह के लिए एक स्थायी और प्रभावी समाधान खोजने में भारत ने हमेशा दो मूलभूत सिद्धांतों द्वारा निर्देशित किया है। इनमें तमिलों के लिए समानता, न्याय, गरिमा और शांति और एकता, क्षेत्रीय अखंडता और श्रीलंका की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान शामिल है।

भारत बोला- श्रीलंका ने प्रतिबद्धताओं का पालन नहीं किया
भारतीय राजदूत ने कहा कि हमने 13वें संविधान संशोधन, सार्थक हस्तांतरण और प्रांतीय चुनावों के शीघ्र संचालन की भावना में प्रतिबद्धताओं के कार्यान्वयन के मुद्दों पर श्रीलंका सरकार द्वारा प्रतिबद्धताओं पर ध्यान दिया है। ऐसे में हमारा मानना है कि इस दिशा में श्रीलंका की प्रगति अपर्याप्त है। इसलिए, हम श्रीलंका सरकार से इन प्रतिबद्धताओं के शीघ्र कार्यान्वयन की दिशा में सार्थक कार्य करने का आग्रह करते हैं।

भारत ने तमिलों को लेकर श्रीलंका को खूब सुनाया
भारत ने कहा कि सभी श्रीलंकाई लोगों के लिए समृद्धि हासिल करना और श्रीलंका के तमिलों की समृद्धि, गरिमा और शांति के लिए वैध आकांक्षाओं को साकार करना एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। राजदूत इंद्रमणि पांडेय ने कहा कि भारत श्रीलंका के तमिलों की वैध आकांक्षाओं और सभी श्रीलंकाई लोगों की समृद्धि के संबंधित उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए श्रीलंका और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ काम करेगा।