युक्रेन में सोलन समेत हिमाचल से बहुत से युवा वहां फंसे हुए थे । उनमें से कई विद्यार्थी वापिस आ चुके हैं। कुछ अभी भी वहां से नहीं आ पाए है। अधिकतर युवा वहां एमबीबीएस कर अपना सुनहरी भविष्य बनाना चाहते थे। लेकिन रूस और यूक्रेन के इस युद्ध ने उनकी सभी आशाओं ओर आकांक्षाओं पर पानी फेर दिया है। फिलहाल जो छात्र अब युक्रेन से सुरक्षित वापिस लौट आए है उनके परिजनों को अब उनके भविष्य की चिंता सताने लगी है। क्योंकि युक्रेन के हालात कब सुधरेंगे इस बारे में कुछ कहा नही जा सकता ऐसे में उनकी शिक्षा कैसे पूरी होगी यह यक्ष प्रश्न अब उनके सामने खड़ा है।
परिजनों तेजिंदर यादव और खेम राज शुक्ला ने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि वह खुश है कि उनके बच्चे सही सलामत मौत के मुँह से वापिस आ गए हैं। लेकिन जिस उद्देश्य के लिए वह वहां गए थे वह पूरा नहीं हो पाया है। वह डॉक्टर कब बन पाएंगे यह भी अभी साफ नहीं है। इस लिए उन्हें हिमाचल ओर केंद्र सरकार से बेहद उम्मीदें है कि वह उनके बच्चों के लिए कोई नीति बनाएंगे और उन्हें हिमाचल के मेडिकल कॉलेजों में स्पेशल कोटे के तहत प्रवेश देंगे। उन्होंने कहा कि हिमाचल सरकार और केंद्र सरकार से उन्हें बेहद आशाएं हैं कि वह उन्हें निराश नहीं करेंगे।