भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने अपनी जांच में पाया है कि देश के बड़े हॉस्पिटल चेन चिकित्सा सेवाओं- उत्पादों के लिए मरीजों से अधिक पैसे वसूलते हैं
नई दिल्ली: भारत के निष्पक्ष व्यापार नियामक अपनी 4 साल की जांच के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि देश के कुछ सबसे बड़े हॉस्पिटल चेन ने प्रतिस्पर्धा कानूनों का उल्लंघन करते हुए अपनी चिकित्सा सेवाओं और उत्पादों के लिए अधिक पैसे वसूलते हैं और अपने प्रभुत्व का दुरुपयोग करते हैं. हमारी सहयोगी वेबसाइट MoneyControl की एक रिपोर्ट के अनुसार भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) जल्द ही इस मुद्दे पर अपोलो हॉस्पिटल्स, मैक्स हेल्थकेयर, फोर्टिस हेल्थकेयर, सर गंगा राम हॉस्पिटल, बत्रा हॉस्पिटल एंड मेडिकल रिसर्च और सेंट स्टीफंस हॉस्पिटल की प्रतिक्रियाओं पर विचार करने के लिए बैठक करेगा. इस मामले से परिचित सूत्रों के मुताबिक CCI बैठक में तय करेगा कि इन हॉस्पिटल चेन पर जुर्माना लगाया जाए या नहीं. सीसीआई प्रतिस्पर्धा कानूनों का उल्लंघन करने वाले उद्यम के पिछले 3 वित्तीय वर्षों के औसत कारोबार का 10 प्रतिशत तक का जुर्माना लगा सकता है.
कानून के उल्लंघन की गंभीरता को ध्यान में रखकर यह दंड और भी कठोर हो सकता है. एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 3 वित्तीय वर्षों में अपोलो हॉस्पिटल्स ने औसतन 12,206 करोड़ रुपये और फोर्टिस हॉस्पिटल्स ने 4,834 करोड़ रुपये का कारोबार किया है. MoneyControl ने सीसीआई रिपोर्ट की जो समीक्षा की है, उसके मुताबिक सीसीआई के महानिदेशक ने पाया कि दिल्ली एनसीआर में संचालित 12 सुपर-स्पेशियलिटी अस्पतालों ने रूम रेंट, दवाओं, मेडिकल टेस्ट्स, मेडिकल इक्विपमेंट्स और खाने-पीने की सामग्रियों के लिए मरीजों से अनुचित और अत्यधिक मूल्य वसूल कर अपने प्रभुत्व की स्थिति का दुरुपयोग किया. सीसीआई डीजी के निष्कर्षों के अनुसार, कुछ अस्पतालों के रूम रेंट तो, 3 स्टार और 4 स्टार होटलों द्वारा वसूले जाने वाले किराए से अधिक थे.
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