Richa Ghosh: धोनी को अपना गुरु मानती हैं भारतीय महिला टीम की यह फिनिशर, जिसने ऑस्ट्रेलिया के जबड़े से छीन ली जीत

IND W vs AUS W: ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दूसरे टी20 में भारतीय महिला टीम को जीत दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली ऋचा घोष का मानना है कि वह टीम में अपनी भूमिका से काफी संतुष्ट हैं। ऋचा का कहना है कि वह टीम के लिए लगातार मैच को फिनिश करना चाहती हैं।

ऋचा घोष
ऋचा घोष

मुंबई: महेंद्र सिंह धोनी को आदर्श मानने वाली भारतीय महिला टीम की विकेटकीपर बल्लेबाज ऋचा घोष ‘फिनिशर’ की अपनी भूमिका का लुत्फ उठा रही हैं। ऋचा का मानना है कि उनके अंदर बड़े शॉट खेलने की क्षमता स्वाभाविक रूप से है। 19 साल की ऋचा ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दूसरे टी20 अंतरराष्ट्रीय मुकाबले में 13 गेंद में नाबाद 26 रन की पारी खेलकर भारत का स्कोर 187 रन तक पहुंचाकर मुकाबला टाई कराने में अहम भूमिका निभाई और फिर सुपर ओवर में भी पहली ही गेंद में छक्का जड़कर मेजबान टीम की जीत की नींव रखी।

ऋचा ने तीसरे टी20 इंटरनेशनल की पहले कहा, ‘स्मृति दीदी (मंधाना) ने मुझे कहा था कि मैच खत्म करने आना।’ उन्होंने कहा, ‘मैंने हमेशा पावर हिटिंग पर ध्यान केंद्रित किया है। मैंने इस पर कड़ी मेहनत की है और अपनी मानसिक दृढ़ता पर भी ध्यान दिया है। यह सब हमारी योजना के अनुसार हुआ।’

ऋचा ने कहा, ‘मैं हमेशा अंत तक टिके रहना चाहती हूं और अपनी टीम को जीत दिलाना चाहती हूं। हमारी यही योजना थी। विचार यह था कि बीच के ओवरों में रन गति बनाए रखी जाए ताकि हमें स्लॉग ओवरों में अधिक जोर नहीं लगाना पड़े।’

इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि ऋचा विकेटकीपर बल्लेबाज महेंद्र सिंह धोनी को अपना आदर्श मानती हैं और उन्होंने खुलासा किया कि वह उनके शॉट्स देखते हुए बड़ी हुई हैं।

सिलीगुड़ी की रहने वाली ऋचा ने कहा, ‘बचपन से ही मैंने धोनी का अनुसरण किया है और वह कैसे मैच को खत्म करते थे।’ उन्होंने कहा, ‘मेरे पिता (मानबेंद्र घोष) ने भी मेरी बड़े शॉट खेलने की क्षमता को सुधारने में बहुत मदद की। वह हर जगह मेरे साथ जाते थे। वह एक सफल क्रिकेटर नहीं बन सके इसलिए वह मेरा पूरा समर्थन कर रहे हैं जिससे कि मैं अपने सपनों को साकार कर सकूं।’

ऋचा को हालांकि मलाल है कि वह अभी तक अपने आदर्श से नहीं मिल पाई हैं। रिचा ने कहा, ‘मुझे अभी तक उनसे मिलने का अवसर नहीं मिला है। कई बार ऐसा भी हुआ है कि जब हम शिविर या मैच के लिए किसी स्थान पर गए तो उससे ठीक पहले वह चले गए थे। उम्मीद है कि मैं उनसे किसी दिन मिलूंगी।’