रिक्शा चालक की बेटी को गणित में मिला Gold Medal, एक आंख है खराब, ताने सुनकर भी नहीं मानी हार

प्रतिभा वो बीज है जिसे सफलता का वृक्ष बनने के लिए किसी विशेष प्रकार की भूमि की जरूरत नहीं होती. ये बीज किसी भी जगह, कैसी भी परिस्थितियों में सफलता का विशाल वृक्ष बन सकता है. इस बात को पहले भी बहुत से लोगों ने प्रमाणित किया है और अब इसका ताजा उदाहरण बन कर सामने आई है एक रिक्शा चालक की होनहार बिटिया.

रिक्शा चालक की बेटी को मिला गणित में गोल्ड मेडल

Rickshaw puller daughter got gold medalTwitter

एक रिक्शा चालक की बेटी ने मेरठ के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में बीएससी गणित में गोल्ड मेडल हासिल किया है. शमा परवीन ने मुश्किल हालातों में पढ़ाई की और एक आंख की रोशनी जाने के बावजूद जिला टॉपर बनने से लेकर गोल्ड मेडल तक हासिल किया. शमा को राज्यपाल द्वारा गोल्ड मेडल दे कर पुरस्कृत किया गया. ये एक रिक्शा चालक पिता को भावुक कर देने वाला क्षण था.

बुलंदशहर के गुलावटी की रहने वाली शमा परवीन ने मेरठ के चौधरी चरण सिंह विवि से बीएससी गणित में कुलपति स्वर्ण पदक हासिल किया है. इससे पहले मेरठ के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में गणित की छात्रा शमा जिला टॉपर रह चुकी हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, शमा परवीन का कहना है कि उनके पिता फेरी लगाते हैं. परिवार को उनकी इस कामयाबी से बहुत उम्मीदें हैं. वो कहती हैं कि वो अपने भाई बहन में सबसे बड़ी हैं, ऐसे में उन पर बड़ी जिम्मेदारी है.

एक आंख से नहीं देख सकती शमा

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शमा ने बताया कि वह एक आंख से दृष्टि बाधित हैं. उनकी इस कमी के कारण उन्हें लोगों के ताने सुनने पड़ते थे लेकिन उन्होंने हमेशा बाहरी सुंदरता को महत्व देने की बजाए अंतरूनी सुंदरता को निखारने की कोशिश की. शमा परवीन ने मीडिया से बताया कि उनका सपना है कि वह एक दिन आईएएस बनें. शमा कहती हैं कि उनकी सफलता के पीछे उनके रिक्शाचालक पिता की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका है. यही वजह है कि उनके पिता ही उनके असली रोल मॉडल हैं.

पिता ने हमेशा साथ दिया

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अपनी बेटी की इस सफलता पर पिता युनून खान ने कहा कि वो रिक्शा चलाते हैं और इमानदारी की रोटी कमाते हैं. इमानदारी की कमाई से वह पेट काटकर अपने बेटी को आगे बढ़ाना चाहते हैं. पिता बताते हैं कि बेटी की पढ़ाई के लिए उन्हें चीजें गिरवी रखनी पड़ी. उनका कहना है कि अपने बच्चों को जरुर पढ़ाना चाहिए.

युनून खान ने बताया कि जब शमा मात्र एक साल की थीं, तभी उनकी एक आंख की रोशनी चली गई थी. इसके बावजूद उन्होंने अपनी बिटिया के सपनों को उड़ान दी और इसी उड़ान से बिटिया आज आसमान छू रही है.