भारत के इस राज्य में बहती है आईने जैसी नदी, यहां देखें तस्वीरें

नदी डौकी के नाम से भी प्रसिद्ध है ये नदी

भारत के इस राज्य में बहती है आईने जैसी नदी, यहां देखें तस्वीरें

आज प्रदूषण की मार मानव व प्रकृति दोनों झेल रहे हैं। लगातार बढ़ रहे प्रदूषण ( Pollution) से जो नुकसान हुए हैं उनसे हम सभी वाकिफ है। जंगल , नदी , नाले प्रदूषण की चपेट में है। एस समय था जब नदियों को पूजा जाता था और इस में कुछ भी गंदगी बहाना पाप माना जाता था। लेकिन आज यही पवित्र नदियां प्रदूषण की मार झेल रही है। इन की सफाई के लिए अभियान चलाए जाते हैं लेकिन कोई नतीजा नहीं निकलता। हां, कोरोना काल में लॉकडाउन के चलते नदियां फिर से साफ सुथरी जरूर नजर आई थे, लेकिन फिर से हाल वही है।

जरा आंखें बंद करके एक ऐसे नदी की कल्पना करें जो कांच की तरह एकदम साफ हो। अगर आप उस नदीं में नाव की सवारी कर रहे हैं तो लगे कि शीशे पर चल रहे हैं। अब कल्पना लोक के बाहर निकल कर अपने देश के पूर्वी राज्य मेघालय ( Meghalaya) में चलते हैं। ऐसे एक नदी यहां पर है और उसका नाम है उमनगोत( Umangot River)। जो इसी तरह एकदम साफ , स्वच्छ व निर्मल है। वैसे यह नदी डौकी (River Douki)के नाम से भी प्रसिद्ध है।

भारत- बांग्लादेश सीमा ( India-Bangladesh border) से सटे एक गांव मॉयलननोंग( Village mylinong) के पास से ये नदी गुजरती है। इस गांव की खास बात यह है कि इसें एशिया का सबसे स्वच्छ गांव का दर्जा मिला हुआ है। पड़ोसी देश में पहले से पहले यह डौकी नदी जयंतिया और खासी हिल्स के बीच से भी गुजरती है। जब भी आप इस नदी में नाव की सवारी करें तो ऐसा लगता है मानों नाव पानी में नहीं शीशे के ऊपर है। इतना ही नहीं साफ पानी के बीच नदी के तल के पत्थरों के स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। नदी आईने की तरह एकदम साफ है, आप चाहें तो इसमें अपना चेहरा देख सकते हैं।

नदी के पास के नजारे बेहद अद्भुत है। पक्षियों के चहचहाहट के बीच नदी में नाव की सवारी करना अपने आप में सुकून देने वाले पल है। नदी में जब सूरज की किरणें पड़ती है तो वो नजारे अद्वितीय होते हैं। जो लोग प्रकृति से प्रेम करते हैं उनके लिए यहां पर बहुत कुछ है। अगर आप यहां जाकर नदी को देखना चाहते हैं तो नवंबर से लेकर अप्रैल तक का मौसम सबसे बढ़िया है। खास बात यह है कि जो भी पर्य़टक यहां आते हैं, उनको हिदायत दी जाती है कि गंदगी ना फैलाएं, ऐसे करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है। इतना ही नहीं यहां रहे वाले लोग नदी की सफाई का खुद ख्याल रखते हैं। तो कब जा रहे हैं आप मेघालय?