एनएच 707 पावंटा साहिब-गुमा हाटकोटी सड़क निर्माण पैकेज 3 का कार्य कर रही कंपनी ने आरक्षित वन भूमि पर अवैज्ञानिक तौर पर बिना वन विभाग की अनुमति से वेशुमार कीमती देवदार के 27 पेड़ उखाड़ दिए है। वन विभाग के सामने सड़क से बाहर फेंक दिए है, हर कोई इस बात को लेकर हैरान है कि वन विभाग कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है, जिसमें वन विभाग की मिली भगत को नहीं नकारा जा सकता।
दिलचस्प पहलू यह हैं जब महकमा वन के कर्मियों से पूछा गया तो वह सन्तोष जनक जबाब नहीं दे रहे है। मामले को रफा दफा करने में लगे है। उक्त जगह पर वन विभाग ने सड़क को चौड़ा करने के लिए सेकड़ो देवदार के पेड़ काट कर आरोडब्ल्यू की लाइन लगा दी है, व इसके बाहर होने वाले नुकसान की भरपाई निर्माण करने वाली कंपनी को करनी होगी। लेकिन वन विभाग मामले को रफादफा करने में लगा है।
विभाग के अनुसार फोर्थ श्रेणी के पेड़ की कीमत करीब 17 हजार है, जबकि वन सेंपलिंग का मूल्य भी 1 हजार से ज्यादा है। इसके अतिरिक्त निशान से बाहर वन विभाग की भूमि पर भी नुकसान पहुचाया गया है। वन विभाग शिलाई के वन रक्षक प्रताप सिंह का कहना है कि उन्होंने 25 पेड़ देवदार सेंपलिंग की डेमेज रिपोर्ट 6250 रुपये, व 2 घन मीटर मिट्टी की रिपोर्ट 7000 रुपये काट दी है। फोर्थ श्रेणी के मूल्य का उसे मालूम नही है। विभाग की ढुलमुल नीति से एक बात तो साफ है कि कानून छोटे लोगों के लिए बना है। ऊंची पहुंच वालों का कानून कुछ नहीं बिगाड़ सकता। क्षेत्र वासी वन विभाग की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगा रहे है।