बागवानों से लूट: सेब की पेटी में एक तह बढ़ गई, दाम 200 से 400 रुपये घट गए

संयुक्त किसान मंच के संयोजक हरीश चौहान और सह संयोजक संजय चौहान का कहना है कि आढ़तियों, एपीएमसी और सरकार की मिलीभगत के कारण बागवानों का शोषण हो रहा है।

सेब की पैकिंग करते मजदूर।

सेब के दामों में भारी गिरावट के बीच सरकारी मंडियों में बागवानों से खुलेआम लूट शुरू हो गई है। हाई ग्रेड पेटी के नाम पर छह के स्थान पर सात तहों में सेब पैक करने का दबाव बनाया जा रहा है। बागवान भी सिक्स पल्स वन पैकिंग में सेब मंडियों में ला रहे हैं, लेकिन दाम 300 से 400 रुपये कम मिल रहे हैं। सात तहों में एक पेटी के अंदर 38 से 45 किलो तक सेब औसतन 1200 से 1400 रुपये में बिक रहा है। बागवानों को प्रति किलो 26 से 36 रुपये ही दाम मिल रहे हैं।

मंडियों में सेब के दाम गिरने के बाद अब बागवानों पर पेटियों में क्षमता से अधिक सेब पैक करने का दबाव बनाया जा रहा है। बागवान संतोषजनक कीमतों के लिए सेपरेटर में सेब की सिक्स पल्स वन पैकिंग कर रहे हैं। कोटखाई की हिमरी पंचायत के बड़ोग निवासी युवा बागवान सुनील शर्मा का कहना है कि मंडियों में वजन के हिसाब से सेब बिकना चाहिए।

सिक्स पल्स वन पैकिंग की मांग पूरी तरह नाजायज है। सात तहों में ऊंचाई का सेब औसतन 40 से 45 किलो सेब पैक हो रहा है और रेट ट्रे पैकिंग के मुकाबले 300 से 400 रुपये कम मिल रहे हैं। मंगलवार को ठियोग की पराला मंडी में सिक्स पल्स वन पैकिंग में सेब अधिकतम 1400 रुपये पेटी बिका।

संयुक्त किसान मंच के संयोजक हरीश चौहान और सह संयोजक संजय चौहान का कहना है कि आढ़तियों, एपीएमसी और सरकार की मिलीभगत के कारण बागवानों का शोषण हो रहा है। सरकार मंडियों में एपीएमसी कानून लागू करने में पूरी तरह विफल साबित हुई है। मंडियों में वजन के हिसाब से सेब बेचने की व्यवस्था की जानी चाहिए, ताकि बागवनों को उपज की सही कीमत मिले।

बागवानों पर दबाव बनाना अनुचित
बागवानों पर दबाव बनाना अनुचित है, ऐसा करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। कई बार बागवान खुद भी हाई ग्रेड पैकिंग करते हैं। सरकार ने कुल्लू की तर्ज पर वजन के हिसाब से सेब खरीद शुरू करने का प्रयास किया था लेकिन बागवानों ने इसमें रुचि नहीं दिखाई।