नई दिल्ली. रोहित शर्मा (Rohit Sharma) बदल गए हैं. उनके तेवर भी बदले-बदले से नजर आ रहे हैं. पहले जो रोहित संभली हुई शुरुआत के बाद हिटमैन के अंदाज में गेंदबाजों की क्लास लगाते थे.इसी तरह बल्लेबाजी कर उन्होंने वनडे में एक नहीं, बल्कि 3 दोहरे शतक ठोके थे. अब उनके खेलने का अंदाज बदल गया. इससे टीम इंडिया के अलावा साथी खिलाड़ियों को भी फायदा हो रहा है. इसका सबूत है शुभमन गिल. गिल ने न्यूजीलैंड के खिलाफ हैदराबाद वनडे में दोहरा शतक ठोका था. लेकिन, उनकी इस डबल सेंचुरी में कप्तान रोहित का भी बड़ा हाथ था. यह कैसे आइए समझाते हैं.
इस साल के आखिर में भारत में वनडे वर्ल्ड कप होना है. भारत ने पिछला विश्व कप 2011 में घर में ही जीता था. उसके बाद से टीम इंडिया की झोली खाली है. इस बार घर में उस सूखे को खत्म करने का मौका है. यह बात कप्तान रोहित शर्मा को अच्छे से पता है. ऐसे में उन्होंने टीम इंडिया के लिए कुर्बानी देने का फैसला किया है. रोहित वनडे में अब पहले जैसी संभली शुरुआत नहीं कर रहे. वो आते ही गेंदबाजों के खिलाफ आक्रामक रुख अख्तियार कर रहे. जो शॉट वो पारी की शुरुआत करते वक्त शायद ही खेलते नजर आते थे, अब उसका इस्तेमाल कर रहे हैं.
रोहित टीम इंडिया के लिए दे रहे कुर्बानी
न्यूजीलैंड के खिलाफ रायपुर वनडे में यह नजर भी आया,जब रोहित ने मिचेल सैंटनर के खिलाफ रिवर्स स्वीप खेला. रोहित के इस बदले हुए अंदाज के पीछे एक ही सोच है और वो है विरोधी टीम पर पहली ही गेंद से हावी हो जाने की रणनीति. रोहित के इस काउंटर अटैकिंग क्रिकेट का उनके जोड़ीदारों को फायदा हो रहा. वो वक्त लेकर अपनी पारी संवार पा रहे हैं.
रोहित को अपने नुकसान नहीं, टीम के फायदे की फिक्र
न्यूजीलैंड के खिलाफ हैदराबाद वनडे में रोहित इसी अटैकिंग क्रिकेट के कारण जल्दी आउट हो गए थे. उन्होंने ब्लेयर टिकनर की गेंद पर आगे निकलकर शॉट खेलने की कोशिश की थी और उसमें विकेट गंवा दिया था. वो वनडे में पिछली 16 पारियों से शतक नहीं लगा पाए हैं. इसे लेकर उनकी आलोचना हो रही है. लेकिन रोहित को इसकी परवाह नहीं. उन्होंने हाल ही में कहा था कि मैं अब अपने खेल में बदलाव करने की कोशिश में हूं. गेंदबाजों को समझने की कोशिश कर रहा हूं. मैं जानता हूं बड़े स्कोर नहीं आ रहे हैं. लेकिन मैं इसके बारे में ज्यादा चिंतित नहीं हूं.क्योंकि टीम का फायदा जरूरी है.
क्यों रोहित व्हाइट बॉल क्रिकेट में रिस्क लेकर खेल रहे?
टी20 के आने के बाद से वनडे क्रिकेट खेलने का तरीका बदल गया है. कोई भी टीम सपाट विकेट पर पावरप्ले में विकेट बचाकर बाद में ताबड़तोड़ रन बनाने का जोखिम नहीं उठा सकती. खासतौर पर भारत में. जहां शाम के वक्त ओस का असर मैच के नतीजे पर पड़ सकता है. ऐसे में पहले बैटिंग करते हुए टीम को ऐसा स्कोर खड़ा करना जरूरी होता है, जो ओस के असर को खत्म कर सके. वनडे विश्व भी अक्टूबर-नवंबर में होना है. उस मौसम में भारत में शाम के वक्त ओस गिरनी शुरू हो जाती है. यही वजह है कि रोहित पावरप्ले में हाई रिस्क क्रिकेट खेल रहे.
रोहित के आक्रामक रुख का साथी उठा रहे फायदा
रोहित ने ओपनिंग करते हुए गुवाहाटी वनडे में श्रीलंका के खिलाफ 67 गेंद में 83 रन की पारी खेली थी. बाद में आने वाले बल्लेबाजों ने इसका फायदा उठाया और भारत ने उस मैच में 7 विकेट पर 373 रन बनाए थे. इस लक्ष्य का पीछा करने से श्रीलंका भले ही चूक गया. लेकिन, श्रीलंकाई कप्तान ने 88 गेंद में 108 रन की पारी खेलकर भारत को टेंशन दे दिया था. ओस के कारण गेंद बल्ले पर आसानी से आ रही थी. यही कारण था कि शनाका ने शतक ठोक दिया था.
क्या खत्म होगा 12 साल का सूखा?
रोहित ने पिछले साल हुए टी20 विश्व कप से ठीक पहले यही अप्रोच अपनाई थी. यह अलग बात है कि तब उन्हें मन मुताबिक नतीजे नहीं मिले थे. 2019 वनडे विश्व कप के बाद से रोहित पावरप्ले में 93 के स्ट्राइक रेट से रन बना रहे हैं. उस अवधि में कम से कम 15 पारियों में बल्लेबाजी करने वाले सलामी बल्लेबाजों में वह छठे स्थान पर हैं. जॉनी बेयरस्टो (106.35), क्विंटन डी कॉक (95.93) पहले दो स्थान पर हैं. जेसन रॉय (95.89), गिल (94.88) और फिन एलन (93.19) रोहित से बहुत आगे नहीं हैं.
अब 2023 के वर्ल्ड कप को देखते हुए रोहित ने एक बार फिर अपनी बल्लेबाजी का अंदाज बदल लिया है. यह देखना होगा कि उनकी इस सोच और अप्रोच के दम पर भारत 12 साल का सूखा खत्म कर पाता है या नही?