शिमला: हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में पिछले एक पखवाड़े से लोगों को पानी की कमी के कारण मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है, जिससे चार साल पहले 2018 में शिमला में अब तक के सबसे भीषण जल संकट की यादें ताजा हो गई हैं. शिमला में इस बार कम बारिश होने, बड़ी संख्या में पर्यटकों के आने और जलापूर्ति वितरण नेटवर्क के पाइपों में रिसाव होने को इस जलसंकट के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है.
शिमला नगर निगम (एसएमसी) और शिमला जल प्रबंधन निगम लिमिटेड (एसजेपीएनएल) ने दावा किया कि एक-एक दिन छोड़कर पानी की आपूर्ति की जा रही है, लेकिन टूटू और कैथू समेत शहर के कई इलाकों के लोगों का कहना है कि उन्हें तीन-चार दिनों में एक बार पानी मिल रहा है.
शिमला में पानी जैसे आवश्यक संसाधन की कमी के कारण राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो गया है. विपक्षी दल कांग्रेस और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने मौजूदा स्थिति के लिए अधिकारियों के कुप्रबंधन को जिम्मेदार ठहराया है. सेवानिवृत होने वाले एसजेपीएनएल के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. धर्मेंद्र गिल ने हाल में बताया कि पुराने पाइपों के कारण आपूर्ति किए जाने वाले पानी का एक चौथाई से अधिक हिस्सा लीक हो रहा है.