RSS चीफ मोहन भागवत ने देखी अक्षय कुमार की फिल्म ‘सम्राट पृथ्वीराज’, ऐसा था रिएक्शन

अक्षय कुमार की फिल्म सम्राट पृथ्वीराज रिलीज से पहले काफी विवादों में रही. फिल्म आखिरकार पर्दे पर आ चुकी है, लेकिन रिलीज के बाद भी फिल्म को लेकर विवाद थमता नहीं दिख रहा है. इस मूवी ने सियासी रंग ले लिया है और इसके पक्ष में व विपक्ष में खूब बयानबाजी हो रही है. विवादों के बीच एक और अहम बयान संघ प्रमुख मोहन भागवत का आया है. उन्होंने इसे लेकर कहा है कि, अब तक हम अपना इतिहास दूसरों द्वारा लिखा हुआ पढ़ते थे, लेकिन अब इतिहास को भारत के नजरिए से देख रहे हैं.

भविष्य के लिए ये बेहतर कदम

मोहन भागवत यही नहीं रुके. उन्होंने फिल्म के समर्थन में बोलते हुए आगे कहा कि, अच्छी बात ये है कि अभी तक हमने पृथ्वीराज चौहान और मोहम्मद गोरी की लड़ाई को लेकर किताबों में खूब पढ़ा है. यह वो है जिसे किसी ने लिखा और हमने पढ़ लिया. लेकिन अपने देश में, अपने हिसाब से लिखा हुआ इतिहास हमें पहली बार देखने को मिला है. इसकी खास बात ये है कि अब हम लोग भारत के इतिहास को अपने नजर से देख और समझ रहे हैं. इस बदलाव का परिणाम देश के फ्यूचर के लिए बेहतर होगा. उन्होंने भविष्य में भी इस तरह की फिल्में बनाने की वकालत की.

फिल्म को लेकर लगातार विवाद

बता दें कि इस फिल्म को लेकर राजपूत और गुर्जर समाज रिलीज से पहले ही आमने-सामने आ गया था. राजपूतों का तर्क है कि सम्राट पृथ्वीराज चौहान एक राजपूत शासक थे, जबकि गुर्जरों समुदाय उन्हें गुर्जर शासक बताता है. अखिल भारतीय गुर्जर महासभा ने कहा था कि अगर फिल्म में कहीं भी पृथ्वीराज को राजपूत दिखाया गया तो वो इसका विरोध करेंगे और फिल्म को सिनेमाघरों में रिलीज नहीं होने देंगे. वहीं राजपूत समाज ने फिल्म के टाइटल में ‘सम्राट’ जोड़ने की मांग को लेकर विरोध किया था. इसके बाद फिल्म निर्माताओं ने इसका नाम बदलकर ‘सम्राट पृथ्वीराज’ कर दिया था.

अक्षय कुमार के बयान की भी हुई थी खूब चर्चा

वहीं रिलीज से पहले इस फिल्म को लेकर हो रहे विवाद के बीच अक्षय कुमार के एक बयान की भी खूब चर्चा हुई थी. अक्षय कुमार ने एक इंटरव्यू में कहा था कि वो एजुकेशन मिनिस्टर से अपील करना चाहते हैं कि वो इस मामले को देखें. ‘हमें मुगलों के बारे में पता होना चाहिए, लेकिन हमारे राजाओं के बारे में भी पता होना चाहिए. वे भी महान थे। दुर्भाग्य है कि हमारे इतिहास की किताबों में सम्राट पृथ्वीराज चौहान के बारे में सिर्फ 2-3 लाइनें ही मिलती हैं, जबकि आक्रमणकारियों को लेकर बहुत कुछ बताया गया है.