सिख अभ्यर्थी को किरपाण पहनकर परीक्षा देने से रोकने के मामले ने पकड़ा तूल
ऊना। पुलिस भर्ती (Police Recruitment) की लिखित परीक्षा में सिख अभ्यर्थी को किरपाण पहनकर परीक्षा में बैठने से रोकने का मामला तूल पकड़ गया है। आज जिला मुख्यालय के गुरुद्वारा शहीद सिंहां में एकत्रित हुए सिख समुदाय के सैकड़ों लोगों ने इस मामले को लेकर कड़ा विरोध दर्ज कराया। इसके बाद सभी लोगों ने गुरुद्वारा साहिब से एसपी ऑफिस (SP Office) तक रोष रैली भी निकाली। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (Shiromani Gurdwara Management Committee) के पूर्व सदस्य डॉ. दलजीत सिंह भिंडर ने इस रैली की अगुवाई की। इस दौरान डॉ. भिंडर ने पुलिस कांस्टेबल भर्ती की लिखित परीक्षा (Written Exam) से वंचित किए गए सिख आवेदक को मुआवजे के रूप में पुलिस विभाग में नौकरी (Job) या ताउम्र पेंशन देने की मांग उठाई है। इस मौके पर जिला मुख्यालय की सड़कों पर केसरिया झंडों के साथ सिख समुदाय के लोगों ने जोरदार नारेबाजी (Sloganeering) करते हुए इस घटना पर अपना विरोध दर्ज कराया। वहीं, दूसरी तरफ से विरोध-प्रदर्शन के दौरान ज्ञापन लेने के लिए पहुंचे एसपी अर्जित सेन ठाकुर (SP Arjit Sen Thakur) ने इन आरोपों का सिरे से खंडन करते हुए कहा कि परीक्षा के दौरान किसी भी आवेदक को धार्मिक पहनावे के चलते रोका नहीं गया है।
इस मौके पर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व सदस्य डॉ. दलजीत सिंह भिंडर ने कहा कि भारतीय संविधान की धारा 25 में सिखों को अपने पांच ककार पहनकर कहीं भी जाने आने की अनुमति दी गई है, लेकिन इसके बावजूद पुलिस विभाग के अधिकारियों कर्मचारियों ने पुलिस भर्ती की लिखित परीक्षा में सिख समुदाय के अभ्यर्थी के साथ ऐसा व्यवहार करते हुए संविधान का उल्लंघन किया है।
उन्होंने कहा कि पुलिस विभाग (Police Department) के कर्मचारियों की इस हरकत के कारण एक युवक से रोजगार का बड़ा मौका हाथ से छिटक गया। उन्होंने कहा कि इस पूरे प्रकरण में उस युवक का कोई दोष नहीं था, जिसके चलते अब पुलिस विभाग और प्रदेश सरकार को दोषी पुलिस कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई अमल में लानी चाहिए। वहीं, प्रभावित सिख युवक को मुआवजे के रूप में पुलिस विभाग में नौकरी या पूरी उम्र के लिए पेंशन (Pension) देनी चाहिए।
उधर, पुलिस अधीक्षक अर्जित सेन ठाकुर ने पुलिस भर्ती की लिखित परीक्षा के दौरान सिख समुदाय के आवेदक को केवल मात्र धार्मिक आस्था के चलते बाहर निकाले जाने के आरोपों का सिरे से खंडन किया है। उन्होंने कहा कि सिख समुदाय के अन्य आवेदकों ने भी धर्म के पहनावे में ही लिखित परीक्षा में भाग लिया है, जिसकी वीडियो रिकॉर्डिंग पुलिस विभाग के पास मौजूद है और कभी भी कोई भी देख सकता है।