अल जजीरा की खबर के अनुसार ‘डोनेट्स्क पीपुल्स रिपब्लिक’ के प्रमुख डेनिस पुशीलिन ने कहा कि 99.2 फीसदी जनता ने रूस का हिस्सा बनने के पक्ष में मतदान किया है। चारों शहरों के अधिकारियों का कहना है कि बैलेट्स की गिनती पूरी हो चुकी है। कब्जे वाले इलाकों में बैलेट बॉक्स लोगों के घर-घर ले जाकर वोट करवाया गया है। यूक्रेन और उसके सहयोगियों ने इसे अवैध करार दिया है। अब यूक्रेन की ओर से अपने ही किसी इलाके पर वापस कब्जे को पुतिन रूस पर हमले के रूप में देख सकते हैं।
जेलेंस्की ने UNSC को संबोधित किया
पिछले हफ्ते व्लादिमीर पुतिन ने कहा था कि वह यूक्रेन में रूसी क्षेत्र की रक्षा के लिए परमाणु हथियारों का इस्तेमाल भी करने को तैयार हैं। वोटिंग पूरी होने के बाद न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने जनमत संग्रह पर एक सत्र का आयोजन किया। यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने संस्था को वर्चुअल रूप से संबोधित किया। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया की आंखों के सामने रूस यूक्रेन के कब्जे वाले इलाकों में कथित जनमत संग्रह करवा रहा है। उन्होंने कहा कि लोगों से बंदूक की नोक पर जबरन कुछ दस्तावेज भरवाए जा रहे हैं।
दबाव बनाकर लिए गए वोट
मारियुपोल के मेयर वादिम बोइशेंको ने कहा कि डोनेट्स्क में हुए जनमत संग्रह में वहां मौजूद करीब 1,00,000 निवासियों में से महज 20 फीसदी ने मतदान किया है। रूस के नियंत्रण वाले क्षेत्र में पांच दिन तक चले इस मतदान में लोगों से पूछा गया कि वे अपने क्षेत्र को रूस में शामिल करना चाहते हैं या नहीं। खबरों की मानें तो यह मतदान किसी भी सूरत में निष्पक्ष और स्वतंत्र नहीं माना जा रहा है क्योंकि युद्ध के कारण क्षेत्र के हजारों निवासी पलायन कर गए हैं और फिलहाल वहां रह रहे लोगों पर सशस्त्र रूसी सैनिक घर-घर जाकर मतदान करने का दबाव बना रहे हैं।
जनमत संग्रह में रूस की जीत के बाद अब क्या?
वोटिंग के नतीजे आने के बाद रूस तत्काल इन इलाकों को अपने हिस्से के रूप में देखेगा। शनिवार को न्यूयॉर्क में एक प्रेस कान्फ्रेंस में रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि रूस के पूरे क्षेत्र, जो पहले से ही हमारे देश के संविधान में औपचारिक रूप से शामिल है या हो सकता है, को निश्चित रूप पूर्ण सुरक्षा मुहैया करवाई जाएगी। रूसी संघ के सभी कानून, सिद्धांत और रणनीतियां उसके क्षेत्र में लागू हैं। रूसी कब्जे वाले क्षेत्रों में रहने वाले यूक्रेनियों को चिंता सता रही कि उन्हें जबरन सेना में भर्ती किया जा सकता है। यूक्रेन के नेशनल रेजिस्टेंस सेंटर ने पिछले हफ्ते एक बयान में कहा कि स्पष्ट है कि जनमत संग्रह के बाद दुश्मन कब्जे वाले इलाकों में भी लामबंदी की घोषणा करेगा क्योंकि उसे मानव संसाधनों की जरूरत है।