Ukraine War Russia India Oil Deals: रूस और यूक्रेन युद्ध के बाद दुनिया दो गुटों में बंटती दिख रही है। अमेरिका के नेतृत्व में जहां पश्चिमी देशों ने रूस को प्रतिबंधों से लाद दिया है, वहीं भारत और चीन जैसे देश हैं जो पुतिन के साथ रिश्ते और मजबूत कर चुके हैं। भारत और रूस की दोस्ती से डॉलर को झटका लगा है।
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक रूस पर लगे अमेरिकी प्रतिबंधों से डॉलर के प्रभुत्व पर खतरा पैदा हो गया है। पिछले कई दशक से भारत तेल खरीदने के लिए डॉलर में भुगतान करता रहा है। डॉलर बिजनस के लिए दुनिया की सबसे ज्यादा स्वीकार की जाने वाली करंसी रही है। यूक्रेन युद्ध के बाद रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लग गए हैं। भारत ने इससे निपटने के लिए तेल के व्यापार को तीसरी मुद्रा में करना शुरू कर दिया है जो काफी सफल साबित हुआ है। भारत दुनिया का तीसरा सबसे ज्यादा तेल खरीदने वाला देश है और अब रूस तेल की आपूर्ति करने वाला प्रमुख देश बन गया है।
भारत-रूस ने निकाला प्रतिबंधों का तोड़
रिपोर्ट के मुताबिक भारत ने रूसी तेल के बदले पैसे का भुगतान गैर डॉलर मुद्रा में किया है जिसमें संयुक्त अरब अमीरात की मुद्रा दिरहम भी शामिल है। यही नहीं भारत ने रूबल में भी हाल ही में भुगतान किया है। सूत्रों के मुताबिक हाल के दिनों में भारत ने करोड़ों डॉलर की राशि का भुगतान किया है। इस बदलाव के बारे में पहले कोई जानकारी सामने नहीं आई थी। इससे पहले जी-7 देशों ने रूसी तेल पर प्राइस कैप लगाया था ताकि रूस को तेल के बदले कम पैसा ही मिले। भारत के तीन बैंकों ने कुछ भुगतान का समर्थन किया है।
वहीं रूस की कोशिश है कि वह अपनी अर्थव्यवस्था की डॉलर पर से निर्भरता को घटाए और व्यापारी प्रतिबंधों से बचे रहें। हालांकि अब भारत के लिए यूएई की मुद्रा में भुगतान मुश्किल हो सकता है। इसकी वजह यह है कि अमेरिका और ब्रिटेन ने पिछले महीने रूस और यूएई स्थित रूसी बैंक एमटीएस को भी प्रतिबंधों की सूची में शामिल कर लिया है। रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से दावा किया गया है कि एमटीएस की मदद से भारत गैर डॉलर में तेल की खरीद के पैसे का भुगतान किया।
डॉलर पर आईएमएफ ने भी दी चेतावनी
इन प्रतिबंधों के बाद भी भारत और रूस तेल की डील को लेकर प्रतिबद्ध हैं। दुनियाभर में तेल के बदले में डॉलर में भुगतान करना दशकों से चली आ रही प्रथा बन गया है। भारत और रूस के इस दांव से अमेरिकी ताकत के प्रतीक डॉलर के दबदबे पर संकट मंडराने लगा है। अमेरिका के विदेश मंत्रालय में मुख्य अर्थशास्त्री रह चुके डेनियल अहन कहते हैं कि डॉलर की ताकत का कोई तोड़ नहीं है लेकिन रूस पर प्रतिबंधों से पश्चिमी देशों के वित्तीय सिस्टम को क्षति पहुंच सकता है। साथ ही प्रतिबंधों को जिस उद्देश्य से लगाया गया है, वह भी पूरा नहीं हो सकेगा।
भारत और रूस अब एक-दूसरे के बैंकिंग सिस्टम को जोड़ने वाली प्रणाली पर काम कर रहे हैं। भारत के स्टेट बैंक ने विदेशी मुद्रा का खाता रूस में खोला है। इसी तरह से रूसी बैंकों ने भारत में किया हुआ है। आईएमएफ की डेप्युटी डायरेक्टर गीता गोपीनाथ ने भी पिछले दिनों चेतावनी दी थी कि रूस पर प्रतिबंध लगाए जाने से डॉलर का दबदबा कमजोर होगा और छोटे-छोटे ट्रेडिंग ब्लॉक बन जाएंगे। ये देश अपनी मुद्रा में व्यापार को बढ़ावा देंगे।