रूस और यूक्रेन के बीच जंग की असली वजह है ‘डर’. रूस को ‘डर’ है कि यूक्रेन नेटो का सदस्य बनता है तो उसकी सुरक्षा को ख़तरा होगा. वहीं, यूक्रेन को रूस का ‘डर’ है. इसी ‘डर’ की वजह से वो नेटो की सदस्यता चाह रहा था और उसका डर, आख़िरकार हक़ीक़त में बदल ही गया.
रूस यूक्रेन की जंग के बीच एक और ‘डर’ की चर्चा हो रही है – वो है तीसरे विश्व युद्ध की संभावना का ‘डर’.
हालांकि इस डर का फिलहाल कोई ठोस आधार नहीं है, लेकिन अलग-अलग देशों ने इस ‘डर’ के मद्देनज़र रक्षा क्षेत्र में निवेश बढ़ाने का फ़ैसला भी ले लिया है. ताज़ा उदाहरण जर्मनी और चीन का है.
किसी भी बड़ी जंग के डर को दूर करने का दुनिया के मुल्कों के पास एक ही तरीका है – वो है हथियार.
जिस देश के पास हथियारों का जितना बड़ा ज़खीरा है, दुश्मन से लड़ाई में वो देश ख़ुद को उतना ही सशक्त मानता है. इसलिए दुनिया के ‘डर के इस बाज़ार’ यानी ‘हथियारों के बाज़ार’ को समझना ज़रूरी है.