Russia God Of War Artillery Ukraine: रूस और यूक्रेन के बीच 9 महीने से युद्ध जारी है और दोनों ही सेनाएं हार मानने को तैयार नहीं हैं। इस जंग में महाशक्ति रूस ने हजारों की तादाद में अपने सैनिक खोए हैं और सैंकड़ों टैंक तबाह हो गए हैं। यही नहीं रूसी तोपखाना रेजिमेंट भी जेलेंस्की को झुकाने में नाकामयाब रहा है।
कीव: यूक्रेन की जंग शुरू हुए 9 महीने पूरे होने जा रहा है और महाशक्ति रूस अभी तक अपने मनचाहे लक्ष्य को हासिल नहीं कर सका है। इस युद्ध में रूस के 50 हजार से ज्यादा सैनिक हताहत हुए हैं और सैकड़ों की संख्या में टैंक और तोपें तबाह हो गई हैं। तोपों, रॉकेट और मिसाइलों से मिलकर बना रूस का यही तोपखाना ‘युद्ध का देवता’ कहा जाता था। यूक्रेन की सेना ने जेवलिन और अन्य पश्चिमी हथियारों के बल पर देश में रूसी हथियारों का कब्रिस्तान बना दिया है। रूसी युद्ध का देवता अत्याधुनिक पश्चिमी हथियारों के सामने बेदम साबित हो रहा है। यह वही तोपखाना है जिसके भीषण हमलों के आगे साल 1943 में हिटलर की सेना भी ढेर हो गई थी। इसी ऐतिहासिक सफलता से प्रेरित होकर पुतिन की सेना ने यूक्रेन की जंग में भी तोपखाना रेजिमेंट को झोंक दिया था लेकिन उसे निराशा हाथ लगी है। रूसी तोपों और टैंकों के फेल होने से भारत की टेंशन बढ़ गई है।
द प्रिंट की रिपोर्ट के मुताबिक यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद रूस ने तोपों, रॉकेट और मिसाइलों की मदद से भीषण हमला किया ताकि यूक्रेन के अग्रिम मोर्चे और कमांड सेंटर्स को तबाह कर दिया जाए। इससे रूसी टैंक और सैनिक आगे बढ़ सकेंगे। एक अनुमान के मुताबिक रूस ने पहले 10 दिन के युद्ध में ही 1100 मिसाइल हमले किए थे। इस महीने रूस ने बताया कि वह हर दिन युद्ध में तोपों से 20 हजार गोले दाग रहा है। वहीं यूक्रेन हर दिन 4 से लेकर 7 हजार गोले प्रतिदिन दाग रहा है। इस भीषण हमले के बाद रूस अभी अपना वांछित रिजल्ट हासिल नहीं कर पाया है। रूसी मिसाइल हमले भी यूक्रेन को झुकाने में नाकाम रहे हैं। इसके विपरीत अमेरिका से मिले हिमार्स रॉकेट सिस्टम ने रूसी हथियारों के गोदाम, कमांड सेंटर और प्रमुख पुलों में तबाही मचाई है।
यूक्रेन के युद्ध में पुराना ‘युद्ध का देवता’ फेल
यूक्रेन की सेना रूस के जवाबी कार्रवाई के डर के बिना हमले कर रही है। रूस एक भी हिमार्स सिस्टम को नष्ट नहीं कर पाया है। सोवियत संघ के पूर्व तानाशाह जोसेफ स्टालिन ने इसी तोपखाने को ‘युद्ध का देवता’ करार दिया था। यूक्रेन के युद्ध में यह पुराना ‘युद्ध का देवता’ फेल हो गया है और एक नए देवता का जन्म हुआ है। यह नया हथियार है लंबी दूरी तक सटीक हमला करने वाला हिमार्स जैसा तोपखाना है। रूसी मुश्किल इसलिए भी बढ़ गई है कि अमेरिका, जर्मनी, इटली समेत नाटो देशों ने जो एयर डिफेंस सिस्टम दिए हैं, उसकी मदद से यूक्रेन रूसी मिसाइलों को सफलतापूर्वक रास्ते में ही नष्ट कर दे रहा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यूक्रेन की जंग से सैन्य रणनीतिकारों को यह सबक मिला है कि युद्ध में अभी तोपखाना महत्वपूर्ण है लेकिन वर्तमान तोपें सटीक हमला करने में सक्षम और ज्यादा दूरी तक तबाही मचाने वाले अत्याधुनिक हथियारों के सामने बेदम हैं। रूस ने पश्चिमी हथियारों को मात देने और सटीक हमला करने के लिए इस्कंदर मिसाइल और किंझल हाइपरसोनिक मिसाइल का निर्माण किया है। रूस ने इन दोनों ही मिसाइलों का यूक्रेन में काफी इस्तेमाल किया है। रूस ने 155 एमएम की कोआलित्सिया तोपों पर जमकर पैसा बहाया है। यह हर मिनट 16 गोले दाग सकती है। रूस ने ड्रोन और टी-14 टैंक भी बनाया है लेकिन अभी वह भविष्य की जंग को लेकर दुविधा में है। रूसी हथियार जितना अत्याधुनिक होंगे उन्हें पश्चिमी देशों के लिए जाम करना आसान होगा। रूस के पास अभी 4,894 तोपें हैं।
भारत के पास बहुत कठिन विकल्प, पाक-चीन की खतरनाक चाल
प्रिंट की रिपोर्ट के मुताबिक भारत भी पिछले कई वर्षों से अपने तोपखाने को आधुनिक बनाने में जुटा हुआ है। भारत अभी आर्टिलरी की भारी कमी से जूझ रहा है और सेना साल 1999 में बनाए लक्ष्य तक साल 2040 तक पहुंच पाएगी। भारत ने अमेरिका से M777 तोप खरीदी है जिसे चीन सीमा पर पहाड़ों में तैनात किया गया है। वहीं भारत ने दक्षिण कोरिया से के9 वज्र तोप को दक्षिण कोरिया से खरीदा है। इसके अलावा भारत स्वदेशी तोप को खरीद रहा है। हालांकि इसमें अभी 3 से 4 साल लगेगा। भारत ने पिनाका रॉकेट लॉन्चर बनाया है और रूस से खरीदा गया स्मर्च सिस्टम पहले से ही है। अब पिनाका की रेंज को 75 से बढ़ाकर 125 किमी किए जाने पर काम जारी है। भारत का मुकाबला चीन से है जिसके पास दुनिया की सबसे बड़ी मिसाइल फोर्स है। चीन के पास 2200 परंपरागत और क्रूज मिसाइलें हैं। भारत की चिंता केवल चीन नहीं बल्कि पाकिस्तान भी है। पाकिस्तान चीन से बड़े पैमाने पर हथियार खरीद रहा है। पाकिस्तान चीन से एसएच-15 तोप खरीद रहा है जो छोटे परमाणु बम को दाग सकती है।