रूस के सैनिक कह रहे, अब नहीं जाना चाहता यूक्रेन

20 मई 2022 की इस तस्वीर में यूक्रेन के खेरसोन के नज़दीक रूसी सैनिक

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इमेज कैप्शन,20 मई 2022 की इस तस्वीर में यूक्रेन के खेरसोन के नज़दीक रूसी सैनिक

रूसी मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और वकीलों का कहना है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के शुरूआती दिनों के अनुभव के बाद कुछ रूसी सैनिक यूक्रेन के साथ जंग में शिरकत नहीं करना चाहते. बीबीसी ने एक ऐसे रूसी सैनिक से बात की जो यूक्रेन में जंग में मैदान में लौटना नहीं चाहते.

सर्गेई (बदला हुआ नाम) ने इस साल की शुरूआत में पांच सप्ताह जंग के मैदान में बिताए हैं. उन्होंने कहा, “मैं मरने-मारने के लिए यूक्रेन वापस नहीं जाना चाहता.”

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फिलहाल वो रूस में अपने घर में हैं. उन्हें जंग के मैदान में फिर न जाना पड़े इसके लिए उन्होंने क़ानूनी सलाह ही ली है. सर्गेई उन सैकड़ों रूसी सैनिकों में से एक हैं जिन्होंने जंग में न जाने का रास्ता तलाशने के लिए इस तरह की सलाह ली है.

सर्गेई कहते हैं कि यूक्रेन में उन्होंने जो कुछ अनुभव किया उससे वो सदमे में हैं. सेना में स्थिति से नाराज़ सर्गेई कहते हैं, “मैंने सोचा था कि हम रूसी सैनिक, दुनिया की सबसे सुपर-डुपर सेना का हिस्सा हैं.”

वो कहते हैं कि उनसे उम्मीद की जा रही थी कि वो नाइट विज़न डिवाइसेस (रात के अंधेरे में ज़रूरी उपकरण) जैसे बुनियादी उपकरणों के बिना जंग के मैदान में काम करें.

वो कहते हैं, “हम नन्हीं अंधी बिल्लियों की तरह थे, मुझे अपनी सेना को देखकर सदमा लगा. हमें उपकरण देने में अधिक खर्च नहीं होना था. लेकिन ऐसा क्यों नहीं किया गया?”

रूस में 18 साल से लेकर 27 साल तक के सभी युवाओं को एक साल सेना में रहना अनिवार्य है. सर्गेई भी इसी प्रोग्राम के तहत सेना में भर्ती हुए थे. लेकिन सेना में कुछ महीने रहने के बाद सर्गेई ने सेना के साथ रहने के लिए दो साल का प्रोफ़ेशनल कॉन्ट्रैक्ट साइन करने का फ़ैसला किया. इसके तहत उन्हें तन्ख़्वाह मिलने का प्रावधान था.

जनवरी में सेना की जिन टुकड़ियों को यूक्रेन से सटी सीमा के पास भेजा गया उसमें सर्गेई की यूनिट भी थी. उनसे कहा गया था कि उन्हें मिलिटरी ड्रिल के लिए वहां भेजा गया था.

एक महीने बाद 24 फरवरी को रूस ने यूक्रेन के ख़िलाफ़ ‘विशेष सैन्य अभियान’ की घोषणा कर दी. उस वक्त सर्गेई से सीमा पर कर यूक्रेन जाने को कहा गया. इसके कुछ वक्त बाद सर्गेई ने पाया कि उनकी यूनिट पर दुश्मन का हमला हो रहा है.

शाम को वो पनाह लेने के लिए के एक खाली फार्म में रुके. वहां उनके कमांडर ने उनसे कहा, “अब तक तुम सब लोग थक चुके होगे, ये कोई मज़ाक नहीं है.”

ये बताना मुश्किल है कि अब तक कुल कितने आम लोगों की मौत हुई है

23 फरवरी 2022 की इस तस्वीर में रूसी सेना की गाड़ियों का एक काफ़िला जो डोनबास इलाक़े की तरफ बढ़ रहा है

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सर्गेई का दावा- मैं पूरी तरह आश्चर्यचकित था

सबसे पहले मैं ये सोचने लगा था कि “क्या वाकई में ये सब मेरे साथ हो रहा है?”

सर्गेई कहते हैं कि आगे बढ़ते वक्त और रात के अंधेरे में भी उन पर लगातार गोलीबारी हो रही थी. 50 लोगों के उनके यूनिट में 10 लोग मारे गए और 10 घायल हो गए थे. उनके साथ उनके यूनिट में जितने लोग थे सभी की उम्र 25 साल से कम थी.

उन्होंने कुछ रूसी सैनिकों के पास अनुभव की गंभीर कमी के बारे में भी सुना. वो कहते हैं “कुछ सैनिकों ने कहा उन्हें गोली चलानी ही नहीं आती और कुछ को तो ये ही पता नहीं था की मॉर्टार का मुंह किस तरफ को होता है.”

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वो कहते हैं कि उत्तरी यूक्रेन से गुज़रता हुआ उनका काफिला जब एक पुल पर पहुंचा वो बिखर गया. पुल से गुज़रते वक्त उसमें धमाका हो गया और उनके सामने जितने सैनिक थे सभी मारे गए.

सर्गेई बताते हैं कि एक और घटना में उन्हें अपने सामने आग में घिरी एक गाड़ी को पार करना था.

वो कहते हैं, “गाड़ी को ग्रेनेड लॉन्चर या फिर कोई किसी और धमाके से उड़ाया गया था. उसमें आग लग गई थी और अंदर रूसी सैनिक फंसे हुए थे. हम उसके बगल से होते हुए गुज़रे और आगे बढ़ते वक्त हम फायरिंग करते रहे. मैंने पीछे पलट कर नहीं देखा.”

8 मई 2022 की इस तस्वीर में यूक्रेन के चर्नीहीएव के स्लोबोदा में एक ध्वस्त रूसी टैंक

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सर्गेई कहते हैं कि उनकी यूनिट यूक्रेन के गांवों से होती हुई आगे बढ़ रही थी लेकिन स्पष्ट तौर पर उनके पास कोई रणनीति नहीं थी. उनके लिए रसद और मदद नहीं पहुंच रही थी और एक पूरे शहर पर कब्ज़ा करने के लिए उनकी सेना के पास उपकरणों की कमी थी.

वो कहते हैं, “हम बिना हेलिकॉप्टर आगे बढ़ रहे थे, केवल पंक्तिबद्ध सैनिकों की टुकड़ी की तरह, ऐसा लग रहा था जैसे हम किसी परेड में जा रहे हों.”

सर्गेई मानते हैं कि उनके कमांडरों की योजना थी कि वो जल्द ही मुख्य शहरों और शहरों की मुख्य जगहों पर कब्ज़ा कर लेंगे और उनका अनुमान था कि यूक्रेनी उनके सामने हथियार डाल देंगे.

वो कहते हैं, “हम रात में कुछ वक्त रुक कर फिर तेज़ गति से आगे बढ़ने लगे. न तो हम जहां रुकते वहां की प्राथमिक जांच कर पाते और न ही ट्रेंच की सुविधा कर पाते. हमारे पीछे कोई नहीं रहता था यानी अगर दुश्मन ने पीछे से हमले का फ़ैसला लिया होता तो हम बिना सुरक्षा के मारे जाते.”

“मुझे लगता है कि बड़ी संख्या में सैनिकों के मरने की ये एक बड़ी वजह थी. अगर हम छोटे-छोटे टुकड़ों में योजनाबद्ध तरीके से आगे बढ़ते, रोड में माइन्स का पता लगाते हुए जाते तो कई जानें बच सकती थी.”

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सर्गेई कहते हैं कि यूक्रेनी सुरक्षा सेवा ने कथित तौर पर रूसी सैनिकों और उनके परिजनों के बीच हुई बातचीत के जो हिस्से इन्टसेप्ट किए और ऑनलाइन पोस्ट किए उनमें भी ये देखा जा सकता है कि रूसी सैनिकों के पास उपकरणों की कमी थी.

अप्रैल की शुरूआत में सर्गेई को रूस की सीमा के भीतर बने एक कैम्प में भेज दिया गया. उत्तरी यूक्रेन से पीछे हटाए गए सैनिकों को पूर्व की तरफ के यूक्रेन के इलाक़े पर कब्ज़े के लिए तैयार किया जा रहा था.

इसी महीने में उन्हें आदेश मिला कि उन्हें यूक्रेन में जंग के मैदान में वापस लौटना है. हालांकि उन्होंने अपने कमांडर से कहा कि वो इसके लिए तैयार नहीं थे.

19 मई 2022 की इस तस्वीर में मॉस्को की एक इमारत में सैनिकों का समर्थन करने के लिए लगाए गए बैनर में जेड़ और वी अक्षर देखे जा सकते हैं

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सर्गेई ने बीबीसी को बताया, “उन्होंने कहा ये मेरा फ़ैसला होगा. उन्होंने हमें ऐसा न करने के लिए कुछ नहीं कहा क्योंकि ऐसा करने वाले हम पहले नहीं थे.”

लेकिन युद्ध पर फिर से जाने से मना करने पर उनकी यूनिट क्या प्रतिक्रिया देगी, इसे लेकर सर्गेई चिंतित थे इसलिए उन्होंने क़ानूनी सलाह लेने के बारे में सोचा.

एक वकील ने सर्गेई और उनके दो और साथियों (जिनकी सोच सर्गेई की तरह थी) से कहा कि वो हथियार सेना को वापस सौंप दें और अपने यूनिट के हेडक्वार्टर में वापस चले जाएं. इसके बाद वो एक चिट्ठी में विस्तार से लिखें कि ‘नैतिक और मानसिक रूप से थक चुके हैं’ और यूक्रेन युद्ध में जंग जारी नहीं रख सकते.

वकील ने सर्गेई से कहा उनके लिए यूनिट में लौटना ज़रूरी है नहीं तो उनके फ़ैसले को यूनिट को छोड़ना माना जाएगा, ऐसा हुआ तो उनके ख़िलाफ़ आनुशासनिक कदम उठाए जाएंगे और उन्हें दो साल तक की सज़ा भी हो सकती है.

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रूसी मानवाधिकार वकील अलेक्सी ताबालोव कहते हैं कि सेना के कमांडर कॉन्ट्रैक्ट पर आए सैनिकों को उन्हीं की यूनिट में रहने के लिए कहते हैं और उन्हें धमकाते हैं. हालांकि वो कहते हैं कि रूसी मिलिटरी क़ानून में इस तरह के प्रावधान दिए गए हैं जिनके तहत सैनिक जंग में जाने से मना कर सकते हैं.

मानवाधिकार कार्यकर्ता सर्गेई क्रिवेन्को कहते हैं कि उन्होंने अब तक ऐसा मामला नहीं देखा जिसमें फिर से जंग के मैदान में जाने से मना करने पर किसी सैनिक के ख़िलाफ़ क़ानूनी कदम उठाए गए हों.

लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि मुकदमा करने की कोशिशें नहीं की गईं.

इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट के प्रोसिक्यूटर ने यूक्रेन को ही एक तरह से क्राइम सीन बताया है.

7 मई 2022 की इस तस्वीर में मॉस्को में विजय दिवस परेड के लिए अभ्यास करते रूसी सैनिक

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बीबीसी ने जो दस्तावेज़ देखे हैं उनके अनुसार उत्तरी रूस में सेना के एक कमांडर ने अपने अधीनस्थ एक सैनिक के यूक्रेन में जंग के लिए लौटने से मना करने को लेकर उनके ख़िलाफ़ आपराधिक मामला चलाने की गुज़ारिश की थी, लेकिन सैन्य अभियोजक ने ऐसा करने से इनकार कर दिया.

अभियाजक का कहना था कि सेना की जिस सेवा में सैनिक काम कर रहे हैं उसे होने वाले संभावित नुक़सान के बारे में बिना सोचे ऐसा कदम उठाना ‘जल्दबाज़ी’ होगा. और फिर इस बात की भी कोई गारंटी नहीं थी कि आगे के दिनों में ऐसे और मामले नहीं आएंगे.

यूक्रेन में रूसी सेना के अनुभवों से जुड़े कॉन्फ्लिक्ट इंटेलिजेंस टीम नाम के एक मीडिया प्रोजेक्ट के संपादक रुसलान लेवीव कहते हैं कि सर्गेई अकेले ऐसे सैनिक नहीं हैं जो जंग के मैदान में लौटना नहीं चाहते. कॉन्फ्लिक्ट इंटेलिजेंस टीम गोपनीय इंटरव्यू और ओपन सोर्स मटिरीयल के ज़रिए यूक्रेन में रूसी सैनिकों के अनुभवों का दस्तावेज़ीकरण कर रही है.

लेवीव कहते हैं कि रूसी कॉन्ट्रैक्ट सैनिकों में एक छोटा हिस्सा ऐसा है यूक्रेन के साथ हुए युद्ध के शुरूआती दिनों में जंग के मैदान में था लेकिन अब फिर वहां लौटना नहीं चाहता.

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25 मई 2022 की इस तस्वीर में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन जंग में घायल सैनिकों से मुलाकात करने पहुंचे

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अप्रैल की शुरूआत से स्वतंत्र रूसी मीडिया में इस तरह की रिपोर्टें छप रही हैं कि सैकड़ों रूसी सैनिक वापस यूक्रेन की जंग में शामिल होने से इनकार कर रहे हैं.

बीबीसी ने कई वकीलों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं से बात की जिन्होंने बताया कि वो नियमित तौर पर लोगों को फिर से जंग के लिए यूक्रेन जाने से बचने के विषय में सलाह दे रहे हैं.

जितने लोगों से हमने बात की उनमें से हर किसी का कहना था कि उन्होंने कम से कम एक दर्जन लोगों से इस विषय पर बात की है और कुछ सैनिक अपने साथी सैनिकों के साथ भी ये क़ानूनी सलाह साझा कर रहे हैं.

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सर्गेई यूक्रेन लौटकर जंग में शामिल होना नहीं चाहते लेकिन किसी भी अप्रत्याशित परिणाम से बचने के लिए वो रूस में सेना में रहकर अपना कॉन्ट्रैक्ट की मियाद पूरा करना चाहते हैं.

इसका मतलब ये है कि फिलहाल जंग के मैदान में न लौटने की उनकी गुज़ारिश को स्वीकार कर लिया गया है लेकिन इस बात की कोई गारंटी नहीं कि कॉन्ट्रैक्ट पूरा होने से पहले उन्हें फिर से एक बार यूक्रेन न भेजा जाए.

सर्गेई ने बीबीसी से कहा, “मैं देख सकता हूं कि युद्ध जल्दी ख़त्म होने वाला नहीं दिख रहा. अनिवार्य मिलिटरी सेवा के मेरे कुछ महीने अभी बाकी हैं और इस दौरान अच्छा-बुरा कुछ भी हो सकता है.”