Putin Russia Ukraine War: रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के 6 महीने अब पूरे हो गए हैं और व्लादिमीर पुतिन हार मानने को तैयार नहीं हैं। अमेरिकी हथियारों से लैस यूक्रेन की सेना रूसी हमलों का करारा जवाब दे रही है लेकिन पुतिन का विजय रथ अब दोनबास पर कब्जे की ओर लगातार बढ़ रहा है।
कीव/मास्को: यूक्रेन पर रूसी हमलों के 6 महीने पूरे हो गए हैं और अभी भी दोनों ही देशों के बीच भीषण युद्ध जारी है। इस युद्ध से यूक्रेन के लाखों लोगों को जहां अपना घर छोड़कर विस्थापित होना पड़ा है, वहीं हजारों की तादाद में सैनिकों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। गत 24 फरवरी को शुरू हुए रूसी हमलों से अरबों डॉलर की संपत्ति तबाह हो गई है। यूक्रेन का मारियुपोल शहर तो जैसे यूक्रेन के नक्शे से ही मिट गया है। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन का मानना है कि इस हमले में रूस के 70 से 80 हजार सैनिक हताहत हुए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इस आंकड़े को अगर ज्यादा भी मान लें फिर भी सोवियत संघ ने एक दशक तक चले अफगानिस्तान युद्ध में जितने सैनिकों को गंवाया था, उससे ज्यादा सैनिक यूक्रेन युद्ध में मात्र 6 महीने में मारे गए हैं। इसके बाद भी रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन हार मानने के मूड में नहीं दिखाई दे रहे हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस भारी नुकसान के बाद भी पुतिन की लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आई है। ज्यादातर रूसी जनता ने यूक्रेन में चल रहे युद्ध का या तो समर्थन किया है या फिर पुतिन के इस अभियान को चुपचाप देखा है। यही नहीं पुतिन की रेटिंग पर भी यूक्रेन युद्ध का कोई असर नहीं पड़ा है। रूस की सरकारी और स्वतंत्र दोनों ही एजेंसियों ने अपने सर्वेक्षण में पाया है कि 24 फरवरी से लेकर अब तक पुतिन की स्वीकृति रेटिंग 80 फीसदी बनी हुई है। यही नहीं जून महीने में हुए सर्वेक्षण में 72 फीसदी रूसी जनता ने कहा था कि वे यूक्रेन में विशेष सैनिक अभियान का समर्थन करते हैं। पश्चिमी विश्लेषकों का कहना है कि रूसी नेता दुष्प्रचार के बल पर अपनी जनता को अपने पाले में किए हुए हैं। रूसी जनता को यह नहीं बताया जा रहा है कि यूक्रेन की मिसाइल ने रूस के युद्धपोत को डूबोया था। वे यह बता रहे हैं कि दुर्घटनावश रूसी हवाई ठिकाने पर विस्फोट हुआ था।
रूस में 16,380 लोग युद्ध विरोधी प्रदर्शन के लिए अरेस्ट!
रूस के एक स्वतंत्र मीडिया संस्थान ने स्थानीय खबरों और सोशल मीडिया पोस्ट के आधार पर खुलासा किया है कि यूक्रेन की जंग में 5,185 रूसी सैनिक अब तक मारे जा चुके हैं। पश्चिमी विश्लेषकों का कहना है कि इस युद्ध में मारे गए ज्यादातर रूसी सैनिक देश के गरीब इलाकों से आते हैं। रूस के जिन इलाकों से सबसे ज्यादा मौतों की खबरें आई हैं, उनमें दागेस्तान और बुरयातियां, मेडिआजोना हैं। वहीं रूस के दो सबसे अमीर इलाकों मास्को और सेंट पीटर्सबर्ग से मौतों की खबरें बहुत कम आई हैं। रूस में लोगों की हिरासत पर नजर रखने वाली संस्था ओवीडी-इंफो का कहना है कि 16,380 लोगों को युद्ध विरोधी प्रदर्शन करने के लिए या तो अरेस्ट किया गया है या फिर उन्हें हिरासत में रखा गया है।
कई विश्लेषकों ने शक जताया है कि अगर ऐसा ही रहा तो पुतिन कब तक अपनी लोकप्रियता को बरकरार रख पाएंगे, यह कहना मुश्किल है। वह भी तब जब रूस के खिलाफ दुनिया के कई देशों ने प्रतिबंध लगा दिए हैं जिससे वह अलग-थलग पड़ गया है। वहीं रूसी अर्थव्यवस्था भी बहुत बुरे दौर से गुजर रही है। रूस में विमानन क्षेत्र बहुत ज्यादा प्रभावित हुआ है जो अमेरिका और यूरोप में बने बोइंग और एयरबस के यात्री विमानों पर निर्भर है। विशेषज्ञों का कहना है कि रूस ने पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों से खुद को बचाने के लिए पिछले कई वर्षों से तैयारी शुरू कर दी थी। उन्होंने आयातित सामानों की जगह पर अपने सामान ला दिए हैं। आर्थिक नाकेबंदी से बचने के लिए अपना खुद का पेमेंट सिस्टम बनाया है। उधर, यूरोपीय देशों ने रूस से गैस का आयात रोक दिया है जिससे पुतिन को इसे बेचने में बहुत मुश्किल आ रही है।
जानें अब क्या प्लान कर रहे हैं जेलेंस्की और नाटो देश
विशेषज्ञों का कहना है कि रूस के पास अभी इतना आधारभूत ढांचा नहीं है कि वह एशिया के देशों को गैस का निर्यात करके अपने घाटे को कम कर सके। इसके बाद भी रूस का वित्तीय तंत्र अभी भी तबाह नहीं हुआ है। रूसी उपभोक्ताओं को हो रही दिक्कतों की वजह से रूस में राजनीतिक अशांति नहीं फैली है। वहीं यूक्रेन और उसके समर्थकों की कोशिश है कि अब रूसी जनता को ज्यादा से ज्यादा दर्द दिया जाए जो पुतिन को अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन दे रही है। यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने हाल ही में दिए अपने भाषण में कहा था, ‘हम रूस के खिलाफ नए प्रतिबंधों पर काम कर रहे हैं। साथ ही कोशिश कर रहे हैं कि पुतिन को इस आतंकी कार्रवाई में समर्थन देने वाली रूसी जनता को भी इसके लिए जिम्मेदार ठहराने जा रहे हैं।
ऐसी चर्चा तेज हो गई है कि रूसी पासपोर्ट वाले लोगों को यूरोप का वीजा न दिया जाए। इस मांग का समर्थन करने वाले लगातार बढ़ रहे हैं। हालांकि जर्मनी जैसे कुछ ऐसे यूरोपीय देश हैं जो रूसी नागरिकों पर वीजा प्रतिबंध लगाने का विरोध कर रहे हैं। जर्मनी के राष्ट्रपति का कहना है कि यह यूक्रेन में पुतिन का युद्ध चल रहा है और यह रूसी जनता का युद्ध नहीं है। वहीं अगले 6 महीने अब यूरोपीय जनता के लिए बहुत दर्दनाक हो सकते हैं। उन्हें ऊर्जा के लिए ज्यादा पैसा चुकाने के लिए तैयार रहना होगा। वह भी तब जब सर्दियां आ रही हैं। उधर, यूक्रेन की जनता भी अपने अस्तित्व को बचाए रखने के लिए आखिरी दम तक लड़ने का प्रण कर चुकी है।