Saharanpur: बारिश का असर, शाकंभरी देवी सहित सभी नदियां उफान पर, लोगों को हुई बड़ी परेशानी

बारिश होने से जहां किसानों के चेहरे खिल उठे हैं तो वहीं सिद्धपीठ शाकंभरी देवी सहित घाड़ क्षेत्र की सभी बरसाती नदियां उफान पर आ गईं। इससे लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा।

सहारनपुर में शिवालिक की पहाड़ियों पर हुई भारी बारिश के बाद सिद्धपीठ शाकंभरी देवी सहित घाड़ क्षेत्र की सभी बरसाती नदियां उफान पर रहीं। जिससे कई गांवों का घंटों तक तहसील मुख्यालय से संपर्क कटा रहा। ग्रामीणों को किनारे खड़े होकर पानी उतरने का इंतजार करना पड़ा। नदियों में पानी कम होने के बाद ही ग्रामीण अपने गंतव्य को पहुंच सके।

बुधवार की रात्रि से ही घाड़ क्षेत्र सहित शिवालिक की पहाड़ियों पर बादल छाए हुए थे। शिवालिक पहाड़ियों से सटे हुए बादशाही बाग, सिद्धपीठ शाकंभरी देवी में सुबह से ही बारिश होनी शुरू हो गई थी। इसके चलते घाड़ क्षेत्र की सभी बरसाती नदियों बादशाही बाग, चपड़ी खोल, शाकंभरी खोल, पाडली नदी में पानी उफान पर रहा। सिद्धपीठ शाकंभरी देवी में भूरादेव के निकट नदी में सुबह ही पानी आ गया। श्रद्धालुओं को काफी देर तक इंतजार करना पड़ा। पानी कम होने के बाद ही श्रद्धालु अपने वाहनों को भूरादेव मंदिर के पास खड़ा कर माता के दर्शन को जा सके।

शाकंभरी सिद्वपीठ के दर्शन के लिए पानी को पार कर जाते श्रद्वालु।

घाड़ में बारिश से खिले किसानों के चेहरे
घाड़ क्षेत्र में बारिश होने से एक ओर जहां लोगों को भीषण गर्मी से राहत मिली है, वहीं दूसरी ओर किसानों के चेहरे खिल उठे हैं। बारिश के बाद खाद-बीज की दुकानों पर भी किसानों की भीड़ जुट गई है। अब घाड़ क्षेत्र में मक्का, बाजरा व मूंगफली की फसल की बुवाई शुरू हो जाएगी।
बता दें कि घाड़ क्षेत्र में भूजल स्तर गहराई पर होने पर किसान सिंचाई के लिए बारिश पर निर्भर रहते हैं। बुधवार की शाम से हुई झमाझम बारिश के बाद क्षेत्र के किसान खुशी से झूम उठे हैं। किसान मक्का, मूंगफली व बाजरा की फसल की बुवाई करने की तैयारी में जुट गए हैं। क्षेत्र के किसान नीरज राणा, राजेंद्र सैनी, मदन राणा, करेशन सैनी, विजय कश्यप, जिला पंचायत सदस्य ताहिर पहलवान, पूर्व प्रधान नौशाद चौधरी, पूर्व प्रधान मो. आलिम, पूर्व प्रधान सइदुर्रहमान आदि ने बताया कि बारिश के बाद अब मक्का, मूंगफली व बाजरा की फसल की बुवाई समय से शुरू हो जाएगी। बुवाई समय से होने पर फसल की अच्छी पैदावार होने की संभावना भी प्रबल हो गई है।