‘साहब’ के बिना सायरा का एक साल…

दुनिया अपनी रफ़्तार से चल रही है. कहीं कुछ भी नहीं बदला है लेकिन कहीं कुछ है जो रुक गया है. किसी की दुनिया रुक गई थी ठीक एक साल पहले. जी हां, हम बात कर रहे हैं सायरा बानो की. जिनकी ज़िंदगी उनके ‘साहब’ के जाने के बाद जैसे रुक गई. वो तन्हां रह गई और ‘साहब’ चले गए एक नए सफ़र पर. सायरा बानो और यूसुफ़ खान यानि दिलीप कुमार की जोड़ी लोगों के लिए मोहब्बत की मिसाल बनी. दोनों की मोहब्बत का सफ़र जवानी से ऐसा शुरु हुआ कि वो महज़ जिस्मानी तौर पर अलग हुए. दिलीप साहब की रूह अब भी अपनी सायरा के साथ है.
7 जुलाई 2021 को बॉलीवुड का ट्रेजडी किंग इस दुनिया को अलविदा कह गया. ये नुकसान बॉलीवुड का नहीं था बल्कि पूरी दुनिया ने दिलीप साहब को सलाम किया. दिलीप साहब के जाने के बाद की पहली तस्वीर सामने आई तो हमेशा उनके साथ रहने वाली सायरा आखिरी बार भी उनके सिरहाने बैठी नज़र आईं. मानो कह रही हों कि ये ज़िंदगी का सफ़र जब साथ-साथ तय किया तो फिर अब क्यों दामन छुड़ा कर चले गए। लेकिन कहते हैं कि ज़िंदगी चलते चले जाने का नाम है. तो सायरा बानो की ज़िंदगी भी चल रही है लेकिन वो अपने साहब के बिना तन्हां हैं. उनकी मोहब्बत उनके साथ ज़रूर है लेकिन अब वो अपने यूसुफ़ के माथे पर हाथ नहीं फेर सकती हैं. उनकी ख़ुदमत में लगी रहने वाली सायरा बानो के पास जैसे अब कोई नहीं है.
पूरी दुनिया दिलीप साहब को याद कर रही है. क्योंकि उनकी शख़्सियत बेमिसाल थी. वो अपने किरदारों को महज़ निभाते नहीं थी उन्हें जीते भी थे। ट्रेजडी किंग का खिताब उन्हें यूं ही तो नहीं मिल गया था. लीजेंड बार बार इस दुनिया में नहीं आते हैं. वो आते हैं इस दुनिया और अपनी छाप ऐसी छोड़ जाते हैं कि लोग उन्हें सलाम करें. दुनिया दिलीप कुमार को अपनी नज़र से देख रही है लेकिन मेरी नज़र बस सायरा बानो पर जाकर टिक जाती है, आखिर कितनी शिद्दत से सायरा ने दिलीप साहब से अपनी मोहब्बत निभाई. 1966 में जब दिलीप कुमार और सायरा बानो ने निकाह किया तब सायरा बानो महज 22 साल की थीं और दिलीप साहब 44 साल के. लेकिन उम्र का ये फ़ासला दोनों के बीच कभी फासला नहीं ला पाया.
कहा जाता है कि 1981 में दिलीप साहब की ज़िंदगी में असमा रहमान नाम की महिला कुछ वक्त के लिए उनकी ज़िंदगी में आईं थी. जिससे दिलीप कुमार ने निकाह भी किया लेकिन ये शादी बहुत दिन तक चल नही पाईं. दिलीप साहब वापस सायरा बानो के पास आ गए. और दिलीप साहब की मोहब्बत में मुब्तिला सायरा ने दिलीप साहब से ऐसे रिश्ता निभाया जैसे कभी कुछ हुआ ही ना हो. बीच के कुछ वक्त को छोड़ दिया जाए तो दिलीप कुमार और सायरा बानो एक दूसरे के हमसाया बनकर रहे.

सायरा बानो के बारे में कहा जाता है कि उन्हें दिलीप साहब बचपन से ही पसंद थे और वो कहती थीं कि बड़े होकर उनसे ही शादी करेंगी. और बड़े होकर आखिरकार दिलीप कुमार और सायरा बानो की शादी हुई. उम्र के लंबे फासले की ये शादी फिल्म इंडस्ट्री के लिए ही नहीं पूरी दुनिया के लिए मिसाल बनी. उम्र के आख़िरी पड़ाव पर जब दिलीप साहब का जिस्म साथ देने से इंकार कर रहा था तो सायरा बानों उनकी कान और आँख बनी. वो दिलीप कुमार के इशारे समझती थीं, वो अनकही बातें भी जान जाती थीं. प्रेमिका, पत्नी के बाद सायरा बानो ने अपने साहब की मां बनकर देखभाल की.

दिलीप कुमार के साथ एक्टिंग का एक युग चला गया. उनके जाने से जो खालीपन आया वो हमेशा रहेगा. दिलीप कुमार की एक्टिंग के ही नहीं बल्कि उनकी शख़्सियत के भी लोग दीवाने रहे. सायरा बानो दिलीप कुमार के जाने के बाद भी उनके साथ हैं. वो दिलीप साहब के निधन के बाद अपनी शादी की 56वीं सालगिरह से पहले कहतीं हैं कि वो ख्यालों में आज भी एक-दूसरे का हाथ थामे चलते हैं. उन्होंने अपने दोस्तों, शुभचिंतकों का आभार भी जताया. सायरा बानो बतातीं है कि दिलीप कुमार की मोहब्बत में भी उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में आने का फ़ैसला किया था. बचपन की ख़्वाहिश को सायरा बानो ने हक़ीक़त में बदला. वो अभिनेत्री भी बनी और दिलीप साहब की मोहब्बत भी.

अपने साहब के बिना सायरा बानो का एक साल शायद एक सदी की तरह गुज़रा हो लेकिन वो कहतीं है कि वो कभी अलग हुए ही नहीं. उनके साहब अब भी उनका हाथ थामें हुए हैं. वो हक़ीक़त में भले जुदा हो गए हों लेकिन रूहों की दुनिया में उनका बसेरा अब भी. आज हम दिलीप साहब को याद कर रहे हैं और सायरा अपने साहब के साथ अपनी ज़िंदगी बसर कर रही हैं इस उम्मीद में कि उनके साहब दूसरी दुनिया में उनका इंतज़ार कर रहे होंगे.