Salman Rushdie Condition: सलमान रुश्दी जिंदा, लेकिन एक आंख की रोशनी गंवा दी, हाथ भी नहीं कर रहा काम

सलमान रुश्दी के सेहत को लेकर बड़ा अपडेट आया है। एक कट्टरपंथी के हमले में गंभीर रूप से घायल हुए रुश्दी अपने एक आंख की रोशनी गंवा चुके हैं। उनका एक हाथ भी ठीक से काम नहीं कर रहा है। रुश्दी पर न्यूयॉर्क में एक कार्यक्रम के दौरान हमला हुआ था।

Salman Rushdie
सलमान रुश्दी

न्यूयॉर्क: सलमान रुश्दी के साहित्यिक एजेंट का कहना है कि पश्चिमी न्यूयॉर्क में अगस्त में एक साहित्यिक कार्यक्रम में मंच पर पहुंचे एक व्यक्ति के हमले से उबरने के बाद लेखक की एक आंख की रोशनी चली गई और हाथ अक्षम हो गया। मीडिया की एक रिपोर्ट में यह कहा गया है। साहित्यिक एजेंट एंड्रयू वायली ने शनिवार को प्रकाशित एक लेख में सलमान रुश्दी के स्वास्थ्य की जानकारी दी है। सलमान रुश्दी पर न्यूयॉर्क में एक शख्स ने चाकू से हमला कर दिया था। इससे उनके गले पर कई गहरे जख्म हो गए थे। उन्हें आनन-फानन में एयर एंबुलेंस के जरिए अस्पताल पहुंचाया गया था। सलमान रुश्दी पर हमला करने वाले शख्स की पहचान ईरानी नागरिक के रूप में हुई थी। वह उनके उपन्यास को लेकर नाराज था और ईरानी धर्मगुरू अयातुल्लाह अली खामनेई के फतवे को पूरा करना चाहता था।

ईरानी सर्वोच्च नेता ने दी थी मौत की धमकी
1989 में ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला रूहोल्लाह खुमैनी ने भी रुश्दी को मौत की धमकी दी थी। जिसके बाद उन्हें ब्रिटिश सरकार ने पुलिस सुरक्षा प्रदान की। सलमान रुश्दी भारतीय मूल के लेखक हैं। उन्होंने द सैटर्निक वर्सेज और मिडनाइट चिल्ड्रन जैसे प्रसिद्ध उपन्यास लिखे हैं। मिडनाइट चिल्ड्रन के लिए रुश्दी को 1981 में बुकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। 1988 में आई उनकी चौथी उपन्यास द सैटेनिक वर्सेज को लेकर काफी बवाल भी हुआ था।

सलमान रुश्दी को मिले हैं कई पुरस्कार
1983 में रुश्दी को रॉयल सोसाइटी ऑफ लिटरेचर का फेलो चुना गया। उन्हें 1999 में फ्रांस के कमांडर डी ल’ऑर्ड्रे डेस आर्ट्स एट डेस लेट्रेस नियुक्त किया गया था। 2007 में, साहित्य के लिए उनकी सेवाओं को देखते हुए ब्रिटिश महारानी क्वीन एलिजाबेथ द्वितीय ने नाइट की उपाधि से सम्मानित किया । 2008 में, द टाइम्स ने उन्हें 1945 के बाद से 50 महानतम ब्रिटिश लेखकों की सूची में तेरहवें स्थान पर रखा था।

1988 में प्रकाशित हुआ था द सेटेनिक वर्सेज
द सेटेनिक वर्सेज सलमान रुश्दी का चौथा उपन्यास था, जो 1988 में प्रकाशित हुआ। इस किताब ने बाजार में आते ही तहलका मचा दिया। इसे लेकर विवाद इतना बढ़ा कि दुनियाभर के कई देशों ने इस उपन्यास को तत्काल प्रतिबंधित कर दिया। भारत में भी सलमान रुश्दी की द सेटेनिक वर्सेज उपन्यास पर पाबंदी है। इस उपन्यास की खरीद या बिक्री को पूरी तरह से गैर कानूनी घोषित किया गया है।