सलाम बनता है! किसी ने नौकरी नहीं दी तो खोल दिया ढाबा, यहां काम करने वाले दिव्यांग क्रिकेटर हैं

एक दिव्यांग के लिए जिंदगी बसर करना बेहद मुश्किल होता है. लोग या तो इन्हें इग्नोर करते हैं. या फिर इन पर तरस खाते हैं. लेकिन किसी को यह पसंद नहीं आता कि कोई उन्हें इग्नोर करे, या उन पर तरस खाए. सबको सम्मान से जीने का अधिकार है. ऐसे में मेरठ के कुछ दिव्यांग युवाओं ने ऐसा तरीका निकाला जिससे न तो उन्हें इग्नोर किया जाए और न ही उन पर तरस खाया जाए.

दिव्यांग युवाओं का कमाल

एक समय में ये युवा लगातार नौकरी के लिए मारे-मारे फिर रहे थे. दिव्यांगता के कारण लोग इन्हें नौकरी देने की जगह अजीब पूछते थे. कोई कहता सीढ़ी कैसे चढ़ोगे, कोई पूछता कि हमारे सामान की डिलीवरी टाइम पर कैसे करोगे. इसी बीच एक दिव्यांग युवक अपने जैसे युवाओं के लिए हिम्मत बनकर सामने आया. नौकरी की तलाश करते करते थक चुके इस युवक ने सभी दिव्यांग लोगों को एकजुट किया और खुद का कोई काम शुरू करने का मन बनाया.